गुजरात: दिवाली पर पीएम मोदी ने सेना के जवानों को क्या कहा, समझे 8 प्वाइंटों में

सरदार वल्लभ भाई पटेल की 149 जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि भी दी है। उन्होंने कहा है कि इस बार राष्ट्रीय एकता दिवस एक अद्भुत संयोग लेकर आया है। एक तरफ आज हम एकता का पर्व मना रहे हैं तो दूसरी तरफ दीपावली का पर्व भी है।

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What PM Modi has said to the army soldiers on Diwali understand in 8 points

गुजरात: दिवाली पर पीएम मोदी ने सेना के जवानों को क्या कहा है, समझे 8 प्वाइंटों में (फोटो- IANS)

कच्छ: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा पर तैनात जवानों के साथ दिवाली मनाने की अपनी परंपरा इस वर्ष भी जारी रखी है। उन्होंने गुरुवार को गुजरात के कच्छ के सर क्रीक क्षेत्र में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के कर्मियों के साथ दिवाली मनाई है।

पीएम मोदी ने दिवाली पर इस दुर्गम और चुनौतीपूर्ण सीमावर्ती स्थान पर तैनात सैनिकों के साथ समय भी बिताए हैं। सर क्रीक के पास लक्की नाला में समारोह में भाग लेने के दौरान उन्हें जवानों को मिठाई खिलाते हुए देखा गया है।

यह क्षेत्र पाकिस्तान के साथ क्रीक सीमा की शुरुआत को चिह्नित करता है। दलदली क्षेत्र के लिए मशहूर यह इलाका पेट्रोल ऑपरेशन के लिए बड़ी चुनौतियां पेश करता है। इस पर बीएसएफ की सतर्क निगरानी रहती है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, प्रधानमंत्री ने सैनिकों से भी बातचीत की, उनके परिचालन वातावरण में हाल ही में हुए बदलावों के बारे में जानकारी ली और उनके कर्तव्यों को आसान बनाने के लिए संभावित तरीकों पर चर्चा भी की है। पीएम मोदी ने खाड़ी क्षेत्र का बारीकी से निरीक्षण किया और भुज के लिए रवाना होने से पहले कर्मियों के साथ लगभग एक घंटा बिताया है।

इससे पहले पीएम मोदी गुजरात के एकता नगर के केवड़िया में राष्ट्रीय एकता दिवस के जश्न में भी शामिल हुए थे। राष्ट्रीय एकता दिवस को देश के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की जयंती पर मनाई जाती है।

सरदार वल्लभ भाई पटेल की 149 जयंती के मौके पर पीएम मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि भी दी है। उन्होंने कहा है कि इस बार राष्ट्रीय एकता दिवस एक अद्भुत संयोग लेकर आया है। एक तरफ आज हम एकता का पर्व मना रहे हैं तो दूसरी तरफ दीपावली का पर्व भी है।

2014 से अलग-अलग जगहों पर पीएम मोदी मनाते आ रहे हैं दिवाली

पीएम मोदी का दिवाली पर गुजरात की यात्रा साल 2014 से उनकी वार्षिक परंपरा का ही एक हिस्सा है, जब उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर का औचक दौरा किया था, जिसमें वे सीमा चौकियों पर तैनात सैनिकों के साथ दिवाली मनाते देखे गए थे।

साल 2015 में पंजाब सीमा, 2016 में हिमाचल प्रदेश के सुमदो, 2017 में जम्मू-कश्मीर के गुरेज सेक्टर, 2018 में उत्तराखंड के हर्षिल का दौरा किया था। यही नहीं साल 2019 में जम्मू-कश्मीर के राजौरी, 2020 में राजस्थान के लोंगेवाला, 2021 में कश्मीर के नौशेरा और 2022 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल में दिवाली मनाए थे।

पिछले साल प्रधानमंत्री ने हिमाचल प्रदेश के लेप्चा में सैनिकों के साथ दिवाली मनाई थी, जो चीनी सीमा से सटा हुआ है। उन्होंने लेप्चा में 'बहादुर सुरक्षा बलों' के साथ दिवाली मनाने के अवसर को 'गहरी भावना और गर्व से भरा अनुभव' बताया था।

दिवाली पर पीएम मोदी ने सेना और जवानों से क्या कहा, 10 प्वाइंटों में

दिवाली के मौके पर पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सेना और जवानों के साहस और बलिदान का जिक्र किया है। इस दौरान उन्होंने कहा है,

1. "आज भारत अपनी सीमाओं के एक इंच पर भी समझौता नहीं कर सकता। यही कारण है कि हमारी नीतियां हमारे सशस्त्र बलों के संकल्प के अनुरूप हैं।"

2. "हमें अपने सैनिकों के दृढ़ संकल्प पर भरोसा है, दुश्मनों की बातों पर नहीं।"

3. "हम सेना, नौसेना और वायु सेना को अलग-अलग इकाइयों के रूप में देखते हैं, लेकिन जब वे एक साथ आएंगे तो उनकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।"

4. "21वीं सदी की जरूरतों को समझते हुए.... हम अपने सशस्त्र बलों को आधुनिक संसाधनों से लैस कर रहे हैं। हम इन प्रयासों की नींव के रूप में रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के साथ अपनी सेना को दुनिया की सबसे आधुनिक सेनाओं में स्थापित कर रहे हैं।"

5. "जब दुनिया आपको देखती है वह आप में भारत की ताकत देखती है। जब दुश्मन आपको (सैनिकों को) देखते हैं....तो उन्हें आप में अपनी भयावह योजनाओं का अंत दिखता है। जब आप उत्साह से दहाड़ते हैं तो आपकी दहाड़ से आतंक के पोषक भय से कांप उठते हैं।"

6. "अपनी मातृभूमि की सेवा करना एक दुर्लभ विशेषाधिकार है। जब राष्ट्र आपके अटूट संकल्प, अदम्य साहस और अद्वितीय पराक्रम को देखता है, तो वह अपनी सुरक्षा और शांति के प्रति आश्वस्त महसूस करता है। भारत के लोगों को लगता है कि आपका देश आपकी वजह से सुरक्षित है।"

7. "सीमा पर्यटन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा एक पहलू है जिस पर ज्यादा चर्चा नहीं होती है… कच्छ में इसमें अपार संभावनाएं हैं। हमारे आकर्षण के उल्लेखनीय केंद्र और आस्था के स्थल, विरासत से समृद्ध, प्रकृति के खास उपहार हैं। गुजरात में कच्छ और खंभात की खाड़ी के मैंग्रोव वन काफी महत्वपूर्ण हैं। गुजरात तटरेखा समुद्री जीवन और वनस्पतियों का समर्थन करती है। इन मैंग्रोव के वनों के विस्तार के लिए सरकार ने जरूरी कदम भी उठाए हैं। हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता हमारे सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास करना है।"

8. "आज जब हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर इतनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, तो आप सभी इस सपने के रक्षक हैं।"

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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