पटनाः संसद में वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने के बाद बिहार में सत्तारूढ़ जदयू के कई नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। पार्टी ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपनी स्थिति साफ की, जिसमें पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख नेता शामिल हुए। केंद्र सरकार में शामिल जदयू ने संसद में विधेयक का समर्थन किया था।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पार्टी की प्रवक्ता अंजूम आरा ने कहा कि विधेयक पर विचार के लिए बनी संयुक्त संसदीय समिति में जदयू ने जो पांच सुझाव दिए थे, उन्हें विधेयक में शामिल किया गया। इस विधेयक के तहत मस्जिदों और दरगाहों जैसे धार्मिक स्थलों को किसी भी तरह से खतरा नहीं है। उन्होंने दावा किया कि नीतीश कुमार की सरकार के दौरान अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा की जाएगी और पार्टी का पक्ष पहले की तरह मजबूत रहेगा।
'सुझाव मानने के बाद ही पार्टी ने समर्थन किया'
अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष अशरफ अंसारी ने कहा कि जदयू ने जो सुझाव दिए थे, उन्हें मानने के बाद ही पार्टी ने इस विधेयक का समर्थन किया है। नीतीश कुमार ने हमेशा अल्पसंख्यकों के विकास के लिए काम किया है और उन्होंने इस विधेयक को पारित करवाने में पार्टी की भूमिका को सही ठहराया।
जदयू के विधान पार्षद खालिद अनवर ने कहा कि विपक्ष लगातार बिहार में मुसलमानों को डराने की कोशिश कर रहा है। राज्य के मुसलमानों को यह बखूबी पता है कि नीतीश कुमार के शासन में न तो मस्जिदों को कोई खतरा है और न ही दरगाहों को। उनका कहना था कि कुछ सोशल मीडिया ट्रोल्स और विपक्षी पार्टियां बिना वजह इस मुद्दे को हवा दे रही हैं और बिहार के मुसलमानों को बदनाम करने की कोशिश कर रही हैं।
'नीतीश कुमार की सेक्युलरिज्म की अवधारणा सबसे मजबूत'
जदयू नेता सलीम परवेज ने कहा कि उनके नेता नीतीश कुमार हैं और वह उनके साथ खड़े हैं। सुन्नी बोर्ड के अध्यक्ष इर्शादुल्ला ने नीतीश कुमार को एक सेक्युलर नेता बताते हुए कहा कि उनका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की सेक्युलरिज्म की अवधारणा सबसे मजबूत है और पार्टी पूरी तरह उनके साथ खड़ी है।
कहकशां परवीन ने भी पार्टी के रुख का समर्थन किया और कहा कि पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी नेता एकजुट हैं।