वेट बल्ट टेम्प्रेचर किसे कहते हैं? भारत के किन शहरों में है इसका ज्यादा असर, शरीर को कैसे करता है प्रभावित

2010 के एक स्टडी के अनुसार, 35 डिग्री सेल्सियस को मनुष्यों के लिए सर्वाधिक वेट बल्ब टेम्प्रेचर माना गया है।\r\n

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What is wet belt temperature Which areas of India are most affected by this how dangerous can it be for body

प्रतिकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत के कई राज्य इस समय भीषण गर्मी का सामना कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, चंडीगढ़ और दिल्ली में गर्मी से लोगों की हालत खराब है। देश में राजस्थान एक ऐसा राज्य हैं जहां पर पारा 50 डिग्री सेल्सियस से ऊपर जा चुका है।

इन राज्यों में केवल गर्मी ही नहीं पड़ रही है बल्कि यहां पर भयंकर लू भी चल रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने सोमवार को पूर्वानुमान लगाते हुए कहा था कि जून में देश के अधिकतर राज्यों में लू चलेगी।

आईएमडी ने कहा था कि “दक्षिणी प्रायद्वीपीय भारत के कई हिस्सों को छोड़कर जून में देश के अधिकतर हिस्सों में मासिक अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है।”

आईएमडी के पूर्वानुमान में कहा गया है कि अगले महीने के दौरान उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकतर हिस्सों और मध्य भारत के आसपास के इलाकों में सामान्य से ऊपर गर्मी रहने की संभावना है। भारत के कुछ राज्यों में हालात इतनी खराब हैं जिससे वहां पर वेट बल्ब टेम्प्रेचर की स्थिति पैदा हो गई है।

क्या है वेट-बल्ब टेम्प्रेचर

आसान भाषा में समझे तो वेट-बल्ब टेम्प्रेचर गर्मी एवं ह्यूडिटी की वह सीमा है जिसके ऊपर का टेम्प्रेचर मनुष्य सहन नहीं कर सकता है। इस टेम्प्रेचर में हवा में नमी और तापमान दोनों को मापा जाता है।

मनुष्यों के लिए सर्वाधिक वेट बल्ब टेम्प्रेचर 35 डिग्री सेल्सियस माना गया है। ऐसे में जब टेम्प्रेचर इससे ऊपर जाता है तो शरीर से निकलने वाला पसीना हवा में भाप नहीं बन पाता है। इस हालत में शरीर का टेम्प्रेचर बढ़ने लगता है। यह स्थिति बॉडी के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है।

वेट-बल्ब टेम्प्रेचर को मापने के लिए थर्मामीटर बल्ब को गीले कपड़े से ढकना होता और पानी को वाष्पित होने दिया जाता है। जैसे ही पानी भाप बनकर उड़ जाता है, थर्मामीटर ठंडा हो जाता है और इससे वेट-बल्ब टेम्प्रेचर पता चलता है।

भारत के किन इलाकों को करता है यह ज्यादा प्रभावित

भारत के तटीय क्षेत्र वेट-बल्ब टेम्प्रेचर से ज्यादा प्रभावित होते हैं। इन क्षेत्रों में पश्चिम बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, और कर्नाटक जैसे राज्य शामिल हैं। इन क्षेत्रों में सालाना 35 से 200 दिन ह्यूमिड हीटवेव चलती है।

इसका सही उदाहरण है कोलकाता जहां पर 25 मई 2024 को तापमान 36 डिग्री सेल्सियस था वहीं उसी समय भोपाल जैसे शहर में तापमान 42 डिग्री सेल्सियस था। इस दौरान कोलकाता में अधिक नमी भी थी जिससे यहां पर खतरनाक गर्मी देखी गई थी।

कितना खतरनाक है वेट-बल्ब टेम्प्रेचर

वेट-बल्ब टेम्प्रेचर के बढ़ने के कारण लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। जब शरीर ज्यादा गर्म हो जाता है तब दिल जोर से धड़कने लगता है। इससे शरीर से ज्यादा पसीना निकलता है जिसमें आवश्यक मिनरल्स और सोडियम भी बाहर निकल जाते हैं।

इस कारण लोगों को गंभीर समस्या भी हो सकती है। उच्च गर्मी और आर्द्रता के लंबे समय तक संपर्क में रहने से हीट स्ट्रोक की भी परेशानी हो सकती है। इस कारण दिल और किडनी पर भी असर पड़ने का डर बना रहता है।

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