आंखों की बीमारी ट्रेकोमा क्या है जिसे भारत ने खत्म करने में पाई सफलता?

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा है, भारत की सफलता उसकी सरकार के मजबूत नेतृत्व के कारण है।

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What is trachoma WHO has honored India for completely eliminating it from the country

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: भारत में ट्रेकोमा नामक आंखों की बीमारी पूरी तरह से खत्म हो गई है। यह भारत के लिए वैश्विक स्वास्थ्य में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। ट्रेकोमा आंखों की ऐसी बीमारी है जिससे दुनिया भर में अंधेपन का प्रमुख कारण माना जाता है।

इसकी वजह से लोगों में ऐसा अंधापन हो सकता है जो इररिवर्सिबल है। यानी हमेशा के लिए आंखों की रोशनी का चले जाना है। ट्रैकोमा एक उष्णकटिबंधीय रोग है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया के संक्रमण के कारण होता है।

इसका संक्रमण खराब स्वच्छता और साफ-सफाई से वंचित रहने वाले समुदायों में ज्यादा देखने को मिलता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि नेपाल, म्यांमार और पाकिस्तान के बाद भारत दक्षिण-पूर्व एशिया का चौथा देश है जिसने यह उपलब्धि हासिल की है। पुरुषों के मुकाबले यह बीमारी महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलती है।

ट्रेकोमा को लेकर डब्ल्यूएचओ का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर 150 मिलियन (15 करोड़) लोग इससे पीड़ित हैं। यही नहीं इस कारण छह मिलियन (60 लाख) लोगों के अंधे होने या इसकी जटिलताओं के कारण उनकी आंखों की रोशनी खोने के खतरे का भी अनुमान है।

ट्रेकोमा क्या है?

ट्रेकोमा की शुरुआत कंजक्टिवाइटिस यानी आंख के आने (जिसे रेड आई या पिंक आई भी कहते हैं) से शुरू होती है। इसके लक्षण में आंखों में खुजली, जलन और रोशनी को लेकर संवेदनशीलता जैसी दिक्कतें होती है।

अगर सही समय पर इसका इलाज नहीं किया गया तो यह ट्राइकियासिस में बदल सकता है जिसमें पलकें अंदर की ओर मुड़ जाती हैं। इस दौरान आंखों की पुतलियों को रगड़ने से लोगों के अंधे होने का खतरा और भी बढ़ जाता है।

ट्रेकोमा संक्रमित व्यक्तियों के सीधे संपर्क में आने से ज्यादा फैलता है। यह रोग संक्रमित लोगों के संपर्क में रहने वाली मक्खियों के कारण भी फैलता है। कुछ और कारणों के चलते भी लोग इससे संक्रमित होते हैं। भीड़ भाड़ इलाके या फिर घरों में रहने वाले और साफ पानी की कमी के कारण भी लोग इस बीमारी का शिकार होते हैं।

इसके रोकथाम और उपचार

शुरुआती स्टेज में ट्रेकोमा का रोकथाम और उपचार संभव है। बीमारी के शुरुआती स्टेज में एज़िथ्रोमाइसिन जैसे एंटीबायोटिक से इसे ठीक किया जकता है। डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित रणनीति (SAFE-सेफ) भी इस बीमारी को निपटने में काफी महत्वपूर्ण साबित हुई है।

डब्ल्यूएचओ के SAFE रणनीति के तहत संक्रमित लोगों की सर्जरी कराना, एंटीबायोटिक से संक्रमण को दूर करना, चेहरे की सफाई से संक्रमित होने से बचना और पर्यावरण में सुधार करना जिसमें पानी और स्वच्छता पर ज्यादा ध्यान देना है।

इस बीमारी से बचने के लिए हेल्थ केयर प्रोभाइडरों ने साल 2021 में 69,266 से अधिक संक्रमित लोगों की सर्जरी की थी। यही नहीं इस दौरान प्रोभाइडरों द्वारा 64.6 मिलियन (646 लाख) लोगों (वैश्विक स्तर पर 44 प्रतिशत) को एंटीबायोटिक्स दिया गया था।

भारत में ट्रेकोमा कब से हुआ था

1950-60 के दशक से ही भारत ट्रेकोमा से लड़ रहा है। साल 1963 में राष्ट्रीय ट्रेकोमा नियंत्रण कार्यक्रम की शुरूआत की गई थी। बीमारी को रोकने के लिए राष्ट्रीय अंधता नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीबी) द्वारा भी जरूरी कदम उठाए गए थे।

साल 1971 में ट्रेकोमा से संबंधित अंधापन पांच फीसदी था जो आगे चल कर एक फीसदी से भी कम हो गया था। भारत सरकार द्वारा उठाए गए जरूरी कदम और डब्ल्यूएचओ की सुरक्षित रणनीति को लागू करने से भारत को साल 2017 में ट्रेकोमा से मुक्त घोषित किया गया था।

हालांकि पूरी तरह से ट्रेकोमा से मुक्त होने के लिए साल 2024 तक इसकी निगरानी भी की गई थी। इसके बाद डब्ल्यूएचओ द्वारा इसी साल अक्टूबर में भारत को ट्रेकोमा से पूरी तरह से मुक्त घोषित किया गया है।

भारत से ट्रेकोमा को पूरी तरह से मुक्त करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने भारत को सम्मानित किया है और इसके लिए सरकार, डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की तारीफ भी की है।

डब्ल्यूएचओ ने भारत को किया है सम्मानित

डब्ल्यूएचओ ने मंगलवार को भारत को ट्रेकोमा नामक बैक्टीरिया आई इन्फेक्शन को समाप्त करने के लिए सम्मानित किया है। डब्ल्यूएचओ के प्रशस्ति पत्र के अनुसार, "विश्व स्वास्थ्य संगठन के दक्षिण-पूर्व एशिया के क्षेत्रीय कार्यालय को यह घोषणा करते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि भारत सरकार ने 2024 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में ट्रैकोमा को समाप्त कर दिया है।"

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया की क्षेत्रीय निदेशक साइमा वाजेद ने कहा, "भारत की सफलता उसकी सरकार के मजबूत नेतृत्व के कारण है।" यह उपलब्धि डब्ल्यूएचओ के व्यापक प्रयासों का एक हिस्सा जिसका लक्ष्य 2030 तक 20 बीमारियों को खत्म करना है।

डब्ल्यूएचओ ने न केवल भारत बल्कि भूटान, तिमोर-लेस्ते और मालदीव जैसे देशों को उनके अन्य स्वास्थ्य मुद्दों को खत्म करने में उनकी योगदानों को लेकर भी तारीफ की है।

क्षेत्रीय निदेशक ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की तारीफ की

डब्ल्यूएचओ के क्षेत्रीय निदेशक ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की तारीफ की, जिन्होंने आंखों की बीमारी ट्रैकोमा को रोकने के लिए बहुत काम किया है। उन्होंने लोगों को साफ पानी पीने, साफ रहने और चेहरा धोने के लिए भी प्रोत्साहित किया है।

साइमा वाजेद ने राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित 77वें क्षेत्रीय समिति सत्र में 'सार्वजनिक स्वास्थ्य पुरस्कार' समारोह में भारत को एक पट्टिका और प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किया है।

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1950-60 के दशक में ट्रेकोमा को माना जाता था एंडेमिक

भारत को 1950 और 1960 के दशक में ट्रेकोमा एंडेमिक के रूप में जाना जाता था। वर्तमान में, स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में ट्रेकोमा और संबंधित अंधेपन की भयावहता पर कोई हालिया सबूत नहीं है।

केंद्र सरकार ने देश को बच्चों में संक्रामक ट्रेकोमा और सक्रिय ट्रेकोमा से मुक्त घोषित किया था। साल 2014 से 2017 तक किए गए राष्ट्रीय ट्रेकोमा प्रसार सर्वेक्षण और ट्रेकोमा रैपिड असेसमेंट सर्वेक्षणों के निष्कर्षों से पता चला है कि सक्रिय ट्रेकोमा का समग्र प्रसार 0.7 प्रतिशत था।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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