क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना? यूपी-एमपी के 13 जिलों से खत्म होगी सूखे की समस्या

जल शक्ति मंत्रालय का दावा है कि केन-बेतवा लिंक परियोजना जल संकट हल करने और नदियों को जोड़ने की अन्य योजनाओं के लिए मॉडल बनेगी।

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What is the Ken-Betwa River Linking Project? PM Modi Lays Foundation Stone Amid Environmental Concerns

क्या है केन-बेतवा लिंक परियोजना? यूपी-एमपी के 13 जिलों से खत्म होगी सूखे की समस्या (फोटो- IANS)

भोपाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 दिसंबर 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर बुंदेलखंड में केन-बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना का शिलान्यास किया।

इस परियोजना को बुंदेलखंड क्षेत्र की पानी की कमी दूर करने और कृषि एवं पीने के पानी की आपूर्ति के लिए ऐतिहासिक पहल माना जा रहा है। हालांकि, पर्यावरणविदों और विपक्षी दलों ने इसके गंभीर पर्यावरणीय प्रभावों पर सवाल उठाए हैं।

इस परियोजना से केन नदी के अधिशेष पानी को बेतवा नदी में भेजने की तैयारी की जा रही है। दोनों नदियां यमुना की सहायक नदियां हैं। परियोजना के तहत 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी, जिसमें दो किलोमीटर की सुरंग भी शामिल है।

इससे 10.62 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा, 62 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध होगा और 103 मेगावाट जलविद्युत तथा 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा। यह परियोजना राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना के तहत शुरू की गई पहली परियोजना है, जिसे 1980 में तैयार किया गया था।

केंद्र ने परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी

दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। इसे आठ साल में पूरा करने का लक्ष्य है। परियोजना का मुख्य हिस्सा दौधन बांध (Daudhan Dam) होगा, जो 2,031 मीटर लंबा और 77 मीटर ऊंचा बनाया जाएगा।

इससे नौ हजार हेक्टेयर जमीन जलमग्न होगी और 10 गांव प्रभावित होंगे। निर्माण का ठेका इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एनसीसी लिमिटेड को दिया गया है।

यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 13 जिलों में फैले सूखा प्रभावित बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए उपयोगी मानी जा रही है। इनमें मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झांसी और ललितपुर जिले शामिल हैं।

केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर क्या है चिंताएं

परियोजना को लेकर पर्यावरणीय प्रभावों पर गंभीर चिंताएं उठाई गई हैं। पन्ना टाइगर रिजर्व के 98 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का जलमग्न होना और 20 से 30 लाख पेड़ों की कटाई प्रस्तावित है।

इससे बाघों के पुनर्वास प्रयास, घड़ियाल संरक्षण और गिद्धों के घोंसले प्रभावित होंगे। हाइड्रोलॉजिकल अध्ययन को लेकर विशेषज्ञों ने मांग की है कि केन नदी के जल स्तर का डाटा सार्वजनिक किया जाए।

परियोजना के कारण छतरपुर और पन्ना जिलों के 6,628 परिवार विस्थापित होंगे और मुआवजे को लेकर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। जल शक्ति मंत्रालय का दावा है कि यह परियोजना जल संकट को दूर करने के साथ-साथ नदियों को जोड़ने की अन्य परियोजनाओं के लिए एक मॉडल स्थापित करेगी।

हालांकि, पर्यावरणीय और सामाजिक चुनौतियों को देखते हुए इसके क्रियान्वयन पर निगरानी और संतुलन बनाए रखना आवश्यक होगा।

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