रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के बेटे के आवास पर छापेमारी कर रहा है। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में शराब घोटाले से संबंधित 14 स्थानों पर तलाशी अभियान चलाया गया। इस तलाशी का संबंध पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से जुड़ा हुआ है, जिसमें उनके बेटे चैतन्य बघेल का आवास भी शामिल है, साथ ही चैतन्य बघेल के करीबी सहयोगियों जैसे- लक्ष्मी नारायण बंसल उर्फ पप्पू बंसल के स्थानों पर भी कार्रवाई की गई है।

बता दें कि कथित शराब घोटाले को लेकर आरोप है कि इसमें 2019 और 2022 के बीच राज्य के खजाने से करीब 2,161 करोड़ रुपए की हेराफेरी की गई। ईडी के मुताबिक जांच के दौरान एजेंसी को ऐसे सबूत मिले हैं, जिनका संबंध चैतन्य बघेल से है। एजेंसी ने मौजूदा सबूतों को तलाशी का आधार बताया है। ईडी की जांच में सीनियर ब्यूरोक्रेट्स, राजनेताओं और आबकारी विभाग के अधिकारियों से जुड़े एक नेटवर्क का भी पता चला है।

क्या है शराब घोटले का पूरा मामला?

इस सिंडिकेट पर एक 'समानांतर' आबकारी प्रणाली संचालित करने का आरोप है, जिसमें बिना सही डॉक्यूमेंट्स के सरकारी दुकानों के जरिए बेहिसाब शराब बेची गई। इससे छत्तीसगढ़ को राजस्व का काफी नुकसान हुआ। कथित तौर पर इस सिस्टम में अवैध शराब की बिक्री को सुविधाजनक बनाने के लिए डुप्लिकेट होलोग्राम और बोतलों का इस्तेमाल भी शामिल था।

ईडी ने जुलाई 2023 में अभियोजन शिकायत दर्ज की, जिसमें रायपुर के मेयर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर, पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा और छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (सीएसएमसीएल) के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी जैसे प्रमुख व्यक्तियों का नाम शामिल था। एजेंसी ने दावा किया था कि इन लोगों ने ही घोटाले को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी, जिसमें खरीद प्रक्रियाओं में हेरफेर करना और चुनिंदा शराब निर्माताओं से कमीशन लेना शामिल था। कथित घोटाले के मामले में एक्शन लेते हुए में एजेंसी ने व्यापारियों और पूर्व ब्यूरोक्रेट्स सहित अलग-अलग आरोपियों से जुड़ी करीब 205.49 करोड़ रुपए की संपत्तियां जब्त की हैं। इन संपत्तियों में चल और अचल दोनों शामिल हैं।

कौन हैं इसमें बड़े प्लेयर?

चैतन्य बघेल के खिलाफ हुई इस छापेमारी से प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की संलिप्तता के मामले को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। हालांकि, पूर्व सीएम भूपेश बघेल पहले ही घोटाले से जुड़े आरोपों से इनकार कर चुके हैं। वह ईडी की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। लखमा पर घोटाले से 72 करोड़ रुपए हासिल करने का आरोप है। इस मामले में अब तक ईडी ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, ढेबर, टुटेजा और तत्कालीन आईएएस अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, जो सीएसएमसीएल के प्रबंध निदेशक के खिलाफ आरोप लगाए हैं। इन सभी को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।

क्या है मामले की मौजूदा स्थिति?

ईडी 2024 में आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) द्वारा दर्ज दूसरी एफआईआर में मनी लॉन्ड्रिंग के हिस्से की जांच कर रहा है। इस एफआईआर के आधार पर घोटाले में एक दूसरी (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) ईसीआईआर पिछले साल 11 अप्रैल को ईडी द्वारा दर्ज की गई थी। यह घटनाक्रम सुप्रीम कोर्ट द्वारा उसी मामले में उनकी पहली ईसीआईआर को खारिज करने के तीन दिन बाद हुआ, जिसमें कहा गया था कि लगाए गए अपराध धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की अनुसूची में नहीं आते हैं और इसलिए अधिनियम द्वारा परिभाषित कोई अपराध की आय नहीं हो सकती है।

पिछले साल अप्रैल में ईडी ने दूसरे ईसीआईआर में टुटेजा को गिरफ्तार किया था और एक साल तक मामले की जांच करने के बाद इस साल जनवरी में लखमा को गिरफ्तार किया। लखमा की गिरफ्तारी के बाद उनके बेटे का नाम भी इस मामले में सामने आया है। शराब घोटाले में ईडी के वकील सौरभ कुमार पांडे ने पुष्टि की कि अब तक कुल मिलाकर 205 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई है। 

शराब घोटाले में भूपेश बघेल की भूमिका?

हालांकि, ईडी ने अभी तक बघेल की भूमिका का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन सोमवार को उसने उनके आवास पर छापा मारा। वहीं, इस मामले में पूर्व सीएम  भूपेश बघेल के कार्यालय ने अपने एक्स हैंडल पर छापेमारी पर तुरंत प्रतिक्रिया दी। पोस्ट में कहा, "सात वर्षों से चले आ रहे झूठे केस को जब अदालत में बर्खास्त कर दिया गया तो आज ईडी के मेहमानों ने पूर्व मुख्यमंत्री, कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई निवास में आज सुबह प्रवेश किया है। अगर इस षड्यंत्र से कोई पंजाब में कांग्रेस को रोकने का प्रयास कर रहा है, तो यह गलतफहमी है।"