जहरीली फसल! बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत के पीछे क्या वजह है?

वन्यजीव अपराध नियंत्रण, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और एक विशेष कार्य बल के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों सहित 30 से अधिक विशेषज्ञ मामले की जांच के लिए बांधवगढ़ में तैनात किए गए हैं।

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What is reason behind death of 10 elephants in Bandhavgarh Tiger Reserve of Madhya Pradesh fungus-infected kodo grain

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

भोपाल: मध्य प्रदेश के उमरिया जिले के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों के मौत के पीछ कथित तौर पर कोदो अनाज को कारण बताया जा रहा है। शुरुआती जांच के अनुसार, 29 से 31 अक्टूबर के बीच मरने वाले हाथियों के कई अंग काम करना बंद कर दिए थे जिसके बाद उनकी मौत हो गई थी।

तेरह हाथियों के झुंड में से तीन अभी भी स्वस्थ हैं और किसी और नुकसान को रोकने के लिए उन पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। घटना को देखते हुए सीएम डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार रात को एक आपातकालीन बैठक बुलाई है और उच्च स्तरीय जांच दल को बांधवगढ़ भेजकर 24 घंटे में जांच रिपोर्ट देने को कहा है।

जबलपुर में स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएच ) के वन्यजीव स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा मरे हुए 10 हाथियों के शव की शुरुआती जांच की गई है और इसकी अंतिम रिपोर्ट शनिवार को आने वाली है।

शुरुआती जांच में मृत हाथियों के पेट में भारी मात्रा में कोदो अनाज का पता चला है। इसके चलते वन अधिकारियों को दो दीन के भीतर इलाके के कोदो फसलों को नष्ट करने का आदेश दिया है।

यही नहीं सभी रेंज अधिकारियों को इस तरह के फसल की पहचना कर उन्हे भी नष्ट करने के आदेश दिए गए हैं। फसलों को कटने से प्रभावित किसानों को प्रशासन द्वारा इसका मुआवजा भी देने का ऐलान किया गया है।

पोस्टमॉर्टम के निष्कर्षों से पता चला कि हाथियों के लीवर, फेफड़े, आंत और गुर्दे जैसे जरूरी हिस्सों को गंभीर नुकसान हुआ है जिससे कोदो अनाज में कथित जहर को लेकर संदेह और भी गहरा हो रहा है। हालांकि अधिकारी अन्य संभावित कारकों को भी पता लगाने में लगे हैं।

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाथियों की मौत पर क्या कहा गया है

अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्य-जीव एल. कृष्णमूर्ति ने बताया है कि 29 अक्टूबर की दोपहर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खितौली और पतौर रेंज में 13 हाथियों के झुण्ड में से कुछ हाथियों के अस्वस्थ होने की जानकारी मिली थी।

कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व के वन्य-जीव स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा सभी हाथियों की जांच की गई है। अस्वस्थ हाथियों का उपचार किया जा रहा है।

कृष्णमूर्ति ने बताया कि 13 हाथियों के झुंड में से दो हाथी पूर्णतः स्वस्थ पाए गए, दो हाथी उपचार के सफल प्रयासों के बाद पूरी तरह से ठीक हो गए हैं। एक हाथी का अभी भी उपचार चल रहा है। उन्होंने बताया कि मरने वाले 10 हाथियों में नर और मादा हाथी भी शामिल थे।

बताया गया है कि एसटीएसएफ प्रमुख और उनकी टीम डॉग स्क्वॉड के साथ घटनास्थल से पांच किमी के इलाके में छानबीन कर मामले की जांच कर रही है। क्षेत्र से कोदो के अलावा धान और पानी के नमूने लेकर जांच के लिए एसडब्ल्यूएफएच भेजे गए हैं।

एसटीएसएफ की टीम ने डॉग स्क्वायड की मदद से सात खेतों और सात घरों की तलाशी भी ली है। यही नहीं अधिकारियों ने बताया है कि घटना के संबंध में पांच लोगों से पूछताछ भी की गई है।

कोदो अनाज को क्यों बताया जा रहा कारण

वन्यजीव अपराध नियंत्रण, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण और एक विशेष कार्य बल के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों सहित 30 से अधिक विशेषज्ञ मामले की जांच के लिए बांधवगढ़ में तैनात किए गए हैं।

दस हाथियों की मौत पर जानकारों का कहना है कि इसके पीछे मायकोटॉक्सिन नामक एक जहर हो सकता है जो कोदो बाजरा से जुड़ा हुआ है।

वन्यजीव पशुचिकित्सक आगे की जानकारी के लिए आईवीआरआई-बरेली, डब्ल्यूआईआई-देहरादून, सागर में राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला और सीसीएमबी-हैदराबाद सहित विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों से संपर्क में हैं और इस पर विचार कर रहे हैं।

जांच में मदद के लिए हाथियों के विसरा नमूने के विस्तृत विश्लेषण के लिए सागर, जबलपुर और बरेली की प्रयोगशालाओं में भेजे गए हैं।

टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक पी.के. वर्मा ने कहा कि है कि शुरुआती जांच में शक कोदो अनाज के तरफ ही जा रहा है। वर्मा ने कहा है कि कथित तौर पर कोदा अनाज के फसलों को समय पर काटा नहीं गिया था जिस कारण फसले खराब और जहरीली हो गई थी और उन्हें खाने से हाथियों की मौत हुई है।

जांचकर्ताओं का कहना है कि हाथियों की मौत के पीछे अन्य कारण भी हो सकते हैं। दावा है कि इनकी मौत से एक दिन पहले इलाके में आठ एकड़ कोदो के फसलों को नष्ट किया गया है। जांच में आगे की मदद के लिए जंगली हाथी के मल के नमूने भी जमा किए गए हैं।

समाचार एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ

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