नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (9 जनवरी) को भुवनेश्वर में प्रवासी भारतीय दिवस के 18वें संस्करण का उद्घाटन किया। उन्होंने अपने भाषण में ‘विकसित भारत में प्रवासी भारतीयों के योगदान’ विषय पर बात रखी। उन्होंने यह भी कहा कि, ‘यह वही तारीख थी जब 1915 में महात्मा गांधी लंबे समय तक विदेश में रहने के बाद भारत वापस आए थे।’
प्रवासी भारतीय दिवस का समारोह हर दो साल में एक बार आयोजित किया जाता है। इस आयोजन उद्देश्य ‘अपनी मातृभूमि में भारतीय प्रवासियों के योगदान का सम्मान करना’ होता है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, 3.5 करोड़ से अधिक प्रवासी भारतीय विदेश में हैं। आईए जानते हैं कि प्रवासी भारतीय दिवस क्यों मनाया जाता है, कब शुरुआत हुई थी और हाल के वर्षों में भारत सरकार ने प्रवासी भारतीयों के महत्व को कैसे देखा है?
प्रवासी भारतीय दिवस: क्या है इतिहास, कब हुई शुरुआत?
न्यायविद और सांसद एलएम सिंघवी की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति ने जनवरी 2002 में सिफारिश की थी कि सरकार को प्रवासी भारतीयों के उनके मूल स्थान और एक-दूसरे के साथ संबंधों को मजबूत करना चाहिए।
समिति ने कहा कि भारत और उसके विदेशी भारतीय समुदाय के बीच नेटवर्किंग के केंद्र बिंदु के रूप में एक प्रवासी भारतीय भवन स्थापित किया जाना चाहिए। बाद में इसे नई दिल्ली में स्थापित किया गया। इसी तरह प्रवासी भारतीयों को सम्मान देने के लिए एक दिन समर्पित करने का विचार आया और इसे पहली बार 2003 में आयोजित किया गया।
9 जनवरी को इसलिए चुना गया क्योंकि यही वह तारीख थी जब महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। 2015 से, जब महात्मा गांधी की वापसी का शताब्दी वर्ष था, हर दो साल में एक बार प्रवासी भारतीय दिवस के लिए समारोह आयोजित करने का फैसला हुआ।
प्रवासी भारतीय सम्मान अवॉर्ड
कार्यक्रम में ‘प्रवासी भारतीय सम्मान पुरस्कार’ नाम से एक पुरस्कार भी दिया जाता है। यह किसी एनआआरआई, भारतीय मूल के व्यक्ति या उनके द्वारा स्थापित और संचालित किसी संगठन या संस्था को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है।
यह पुरस्कार विदेशों में भारत के बारे में बेहतर समझ बनाने, भारत के मुद्दों का समर्थन करने और स्थानीय भारतीय समुदाय के कल्याण के लिए काम करने में प्रवासी भारतीयों के योगदान को सराहने के लिए है।
विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में बताया, ‘एक जूरी-सह-पुरस्कार समिति, जिसके अध्यक्ष उपराष्ट्रपति और विदेश मंत्री उपाध्यक्ष थे, उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित सदस्यों के नामांकन पर विचार किया और सर्वसम्मति से पुरस्कार विजेताओं का चयन किया।’
भारतीय प्रवासियों पर क्यों रहती है नजर?
विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2024 के लगभग अंत तक अमेरिका में 54 लाख प्रवासी भारतीय हैं। ऐसे ही संयुक्त अरब अमीरात में यह संख्या 35 लाख, कनाडा में 28 लाख और सऊदी अरब में 24 लाख है। यह आबादी बड़ी रकम वापस भारत में भेजती है। 2023 में यह राशि लगभग 125 बिलियन डॉलर थी।
हालांकि इन संख्याओं से अलग प्रवासी नागरिक दो देशों के बीच संबंधों में एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में भी काम करते हैं। अमेरिका और कनाडा जैसे देशों में हाल के वर्षों में भारतीय प्रवासी सदस्य राजनीति में तेजी से उभरते दिखाई दे रहे हैं। इसका असर घरेलू राजनीति पर भी नजर आता है। यही कारण भी है कि भारत में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर सत्तारूढ़ भाजपा तक ने पिछले कुछ वर्षों में प्रवासी भारतीयों तक अपनी पहुंच बढ़ाने का प्रयास किया है।