भुवनेश्वर: लोकसभा चुनाव और ओडिशा में साथ चल रहे विधानसभा चुनाव के बीच भाजपा ने वादा किया है कि अगर वह सत्ता में आई तो पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की ‘गुम हो चुकी चाबियों’ को खोजेगी। दरअसल यह पूरा विवाद 12वीं सदी के मंदिर के खजाने की चाबी को लेकर है जो आधिकारिक तौर पर खो गई है। इसी हफ्ते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओडिशा में कहा कि नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी सरकार में भगवान जगन्नाथ मंदिर भी सुरक्षित नहीं है।
पीएम मोदी ने सवाल दागा कि बीजेडी ने रत्न भंडार की चाबियों पर न्यायिक आयोग की रिपोर्ट को क्यों दबाया हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि मामले में बीजेडी की संलिप्तता संदिग्ध है। साथ ही पीएम मोदी ने वादा किया कि 10 जून को सत्ता में आने पर भाजपा सरकार उस रिपोर्ट को सार्वजनिक करेगी। उन्होंने यहां तक कहा कि यह अफवाह है कि चाबियां तमिलनाडु ले जाई गई हैं। माना जा रहा है कि चाबियों के तमिलनाडु भेजे जाने की पीएम की टिप्पणी दरअसल नवीन पटनायक के विश्वासपात्र वीके पांडियन के तमिल मूल के होने पर था। अब ये पूरा मामला है क्या, आइए समझते हैं।
जगन्नाथ मंदिर का ‘रत्न भंडार’ क्या है?
श्रीक्षेत्र पुरी में श्रीजगन्नाथ मंदिर को ‘श्रीमंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है। श्री मंदिर की सबसे कीमती संपत्ति श्री ‘रत्न भंडार’ है। श्री मंदिर के नियमों और प्रथाओं के अनुसार जगन्नाथ महाप्रभु को चढ़ाया गया सोना, गहने आदि इसी रत्न भंडार में रखे जाते हैं। भंडार में दो चेंबर हैं – एक बाहरी और एक भीतरी। बाहरी चेंबर में तीन कमरे हैं, जो इस्तेमाल में हैं। भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र को रोजमर्रा के पहनाए जाने वाले आभूषण और अन्य चीजें बाहरी चेंबर में रखी गई हैं। विवाद भीतरी चेंबर को लेकर है, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इसकी चाबी गुम हो गई है।
रत्न भंडार की चाबियां कब और कैसे गायब हो गईं?
रिकॉर्ड्स बताते हैं कि पिछली सदी में केवल चार बार जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खोला गया है। इसे आखिरी बार 1984 में खोला गया था। उस समय भी भीतरी चेंबर में प्रेवश नहीं पाया जा सका था। इससे पहले इसे 1978, 1926 और 1905 में खोला जा चुका है। सरकार ने 4 अप्रैल, 2018 को रत्न भंडार को देखने के लिए फिर से खोलने का प्रयास किया। हालांकि यह प्रयास असफल रहा। दरअसल, ओडिशा हाई कोर्ट के आदेश पर 16 सदस्यीय टीम ने रत्न भंडार की स्थिति की जांच करने के लिए इसमें प्रवेश किया।
हालांकि, चाबियां नहीं मिलने के कारण उन्हें सर्चलाइट का उपयोग करके लोहे की ग्रिल के बाहर से इसके भीतरी चेंबर का निरीक्षण करना पड़ा। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार कई आयरन चेस्टों और बैंक लॉकरों की गहन तलाशी के बावजूद मंदिर के रत्न भंडार की भीतरी चेंबर की चाबियां नहीं मिल सकीं। इसके बाद इस मुद्दे पर विवाद शुरू हो गया। आखिरकार मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए। आयोग ने उसी साल नवंबर में 324 पेज की रिपोर्ट भी दी।
ओडिशा हाई कोर्ट के निर्देश के बाद इस साल की शुरुआत में भी सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज अरिजीत पशायत के तहत एक और पैनल का गठन किया गया। हाई कोर्ट ने कहा कि पैनल रत्न भंडार में संग्रहीत आभूषणों सहित कीमती सामानों की सूची की प्रक्रिया की निगरानी करेगा।
जगन्नाथ मंदिर के ‘रत्न भंडार’ में क्या-क्या है?
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार जगन्नाथ मंदिर नियम, 1960 में कहा गया है कि रत्न भंडार के अंदर के आभूषणों का हर छह महीने में ऑडिट किया जाना चाहिए। नियम में बताया गया है कि आभूषणों के लिए कौन जिम्मेदार है, ऑडिट कैसे किया जाना चाहिए और चाबियां किसके पास होंगी। 12वीं सदी के मंदिर की प्रथाओं और नियम पुस्तिका के अनुसार इस्तेमाल नहीं होने वाले आभूषणों को रत्न भंडार के भीतरी कक्ष में रखा जाता है, जिसे दो तालों से सील किया गया है। ये ताले केवल राज्य सरकार की विशेष अनुमति से ही खोले जा सकते हैं और चाबियां मंदिर प्रशासन को सरकारी खजाने में रखनी चाहिए।
नियमों के अनुसार त्योहारों के दौरान विशेष तौर पर इस्तेमाल होने वाले आभूषणों वाले कक्ष को भी दो तालों से सुरक्षित किया जाता है। एक चाबी मंदिर के मुख्य प्रशासक के पास होती है, और दूसरी मंदिर के मामलों के लिए जिम्मेदार अधिकारी पट्टाजोशी महापात्र के पास होती है। वहीं, दैनिक अनुष्ठानों में उपयोग किए जाने वाले आभूषणों वाले कक्ष की चाबियां देवताओं के आभूषणों और कपड़ों की देखभाल करने वाले एक पुजारी भंडार मेकप के पास होती हैं।
1978 के एक सर्वे का हवाला देते हुए ओडिशा सरकार ने पहले बताया था कि रत्न भंडार में 149 किलोग्राम से अधिक सोने के गहने और 258 किलोग्राम चांदी के बर्तन थे। ओडिशा के तत्कालीन कानून मंत्री प्रताप जेना के अनुसार रत्न भंडार के बाहरी और भीतरी दोनों चेंबर खोले गए थे, और वहां संग्रहीत वस्तुओं की गिनती 15 मई, 1978 और 23 जुलाई, 1978 के बीच की गई। मंदिर प्रशासन ने इन वस्तुओं की एक सूची तैयार की थी।
जेना ने दावा किया था कि रत्न भंडार में 12,831 भारी (एक भारी 11.66 ग्राम के बराबर) सोने के आभूषण थे, जिनमें कीमती पत्थर जड़े हुए थे। साथ ही 22,153 भारी चांदी के बर्तन और अन्य सामान थे। हालांकि, इन वस्तुओं के मूल्यांकन का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं है। इसके अतिरिक्त, सोने और चांदी की 14 वस्तुओं का वजन उस समय नहीं किया जा सका और उन्हें 1978 की सूची में शामिल नहीं किया गया था।