नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रेसिप्रोकल टैरिफ ने दुनियभर की अर्थव्यवस्थाओं में तूफान सा ला दिया है। ट्रंप ने करीब 60 देशों के खिलाफ टैरिफ लगाए हैं जिसमें भारत भी शामिल हैं। भारत पर ट्रंप ने 26% टैरिफ की घोषणा की है। इन घटनाओं के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को भारत की व्यापारिक और कूटनीतिक रणनीति पर विस्तार से बात की।

एक कार्यक्रम में बोलते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर गहन बातचीत चल रही है और इस दिशा में इस साल कोई सकारात्मक परिणाम सामने आ सकता है।

उन्होंने कहा, "टैरिफ के मुद्दे पर भारत की रणनीति है कि हम ट्रंप प्रशासन से प्रत्यक्ष संवाद करें और उनकी शर्तों पर चर्चा करें। पिछले छह हफ्तों में जितनी व्यापार वार्ता अमेरिका से हुई है, उतनी तो यूरोप के साथ दो वर्षों में नहीं हुई।" उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका भारत के साथ एक ईमानदार और रचनात्मक बातचीत कर रहा है और दोनों देशों के बीच ‘सिद्धांतों का साझा आधार’ मौजूद है।

अमेरिका से व्यापार समझौते को लेकर भारत गंभीर: जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद भारत संभवतः ऐसा एकमात्र देश है जिसने उनके प्रशासन के साथ सैद्धांतिक स्तर पर ठोस समझ विकसित की है। उन्होंने कहा, "आज दुनिया के तमाम देश अमेरिका के साथ अपने हितों की रक्षा के लिए रणनीतियाँ बना रहे हैं, लेकिन भारत का फोकस स्पष्ट है- हम अमेरिका के साथ एक ठोस व्यापार समझौता करना चाहते हैं।"

जयशंकर ने कहा कि भारत की रणनीति का मुख्य उद्देश्य यह देखना है कि क्या द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के जरिए वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है। उन्होंने बताया कि व्यापार समझौते पर बातचीत भारत की दीर्घकालिक प्राथमिकताओं में शामिल रही है और मौजूदा हालात ने इस पर गंभीर वार्ता का अनुकूल वातावरण बनाया है।

पहले भी हुई थी कोशिशें

विदेश मंत्री ने याद दिलाया कि ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान भी भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते पर बातचीत हुई थी, लेकिन वह प्रक्रिया किसी निष्कर्ष तक नहीं पहुँच सकी। इसके बाद, बाइडन प्रशासन के साथ भी भारत ने व्यापारिक संभावनाओं पर चर्चा की और इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क पहल तक पहुँचा। इसके तहत भारत ने स्वच्छ ऊर्जा, आपूर्ति शृंखला की मजबूती और डिजिटल व्यापार जैसे क्षेत्रों में समान विचारधारा वाले देशों के साथ सहयोग को बढ़ाने की दिशा में काम किया।

जयशंकर ने यह भी कहा कि बाइडन प्रशासन द्विपक्षीय व्यापार समझौतों के पक्ष में नहीं था। लेकिन भारत के दृष्टिकोण से अमेरिका के साथ द्विपक्षीय रूप से काम करना किसी भी रूप में नुकसानदेह नहीं है।

बांग्लादेश पर गहरी नजर

बांग्लादेश के साथ संबंधों पर जयशंकर ने कहा, “हमारा रिश्ता सरकारों से ज़्यादा लोगों से है, यह एक 'पीपल-टू-पीपल कनेक्ट' है, जो हमारे संबंधों की नींव है। हमें उम्मीद है कि बांग्लादेश सही दिशा में आगे बढ़ेगा और सही फैसले लेगा।”

हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों, विशेषकर हिंदुओं पर हो रहे हमलों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। 2024 में बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की 2,200 घटनाएं दर्ज की गई थीं, जिसकी जानकारी विदेश मंत्रालय ने पहले ही दी थी।

पड़ोसी देशों पर दो टूक

पाकिस्तान को लेकर जयशंकर ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “अगर आप आतंकवाद की इंडस्ट्री शुरू करेंगे, तो आप उसी में डूबेंगे- और पाकिस्तान में यही हो रहा है।”

कनाडा के साथ संबंधों पर उन्होंने कहा कि वह दिशा भारत के हित में नहीं जा रही है और यह कनाडा को भी नुकसान पहुंचा रही है। चीन के साथ संबंधों पर उन्होंने संतुलित रुख अपनाते हुए कहा कि भारत-चीन रिश्ते फिलहाल सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं और बातचीत जारी है।