चेन्नईः तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने विधानसभा सत्र के प्रारंभ में राष्ट्रगान न बजाए जाने पर नाराजगी जाहिर करते हुए सदन से वाकआउट कर गए। इस विवाद ने संविधान के प्रोटोकॉल और राजनीतिक दबदबे पर बहस को फिर से हवा दे दी है।
परंपरा के अनुसार, तमिलनाडु विधानसभा सत्र की शुरुआत तमिल थाई वाज़्थु (राज्य गीत) के साथ होती है, जबकि राष्ट्रगान सत्र के अंत में बजाया जाता है। लेकिन इस बार, राजभवन ने इस प्रोटोकॉल को बदलने का सुझाव दिया, जिससे डीएमके सरकार और राज्यपाल के बीच विवाद पैदा हो गया।
सोमवार को साल के पहले विधानसभा सत्र की शुरुआत तमिल थाई वाज़्थु के साथ हुई। हालांकि, राष्ट्रगान की अनुपस्थिति पर राज्यपाल ने आपत्ति जताई और मुख्यमंत्री एमके स्टालिन व विधानसभा अध्यक्ष एम अप्पावु से इसे शामिल करने का अनुरोध किया। अनुरोध अस्वीकार होने के बाद, राज्यपाल केवल पांच मिनट के भीतर सत्र से बाहर चले गए।
राज्यपाल का वाकआउट और राजभवन का आरोप
राजभवन ने सोशल मीडिया पर जारी बयान में राज्य सरकार पर “संविधान और राष्ट्रगान का अपमान” करने का आरोप लगाया। बयान में कहा गया, “तमिलनाडु विधानसभा में संविधान और राष्ट्रगान का अपमान हुआ है। राष्ट्रीय गान का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है। राज्यपाल ने सदन को संविधान के कर्तव्यों की याद दिलाई और राष्ट्रीय गान गाने की अपील की। लेकिन मुख्यमंत्री और अध्यक्ष ने इसे ठुकरा दिया। इस अपमानजनक कृत्य का हिस्सा न बनने के लिए राज्यपाल ने गहरी पीड़ा में सदन छोड़ दिया।”
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— RAJ BHAVAN, TAMIL NADU (@rajbhavan_tn) January 6, 2025
विधानसभा में हंगामा, अन्ना विश्वविद्यालय विवाद का उठा मुद्दा
डीएमके सरकार ने राजभवन की राष्ट्रगान बजाने की मांग को राज्य के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करार दिया और राज्यपाल के वाकआउट के बाद, विधानसभा की कार्यवाही जारी रही। अध्यक्ष ने राज्यपाल के अभिभाषण को, जो सरकार द्वारा तैयार किया गया था, तमिल में पढ़ा। राज्यपाल के जाने के बाद सदन में खूब हंगामा हुआ।
अन्ना विश्वविद्यालय के मामले को लेकर एआईएडीएमके के सदस्यों ने हाथों में पोस्टर लेकर विरोध प्रदर्शन किया। पोस्टर में लिखा हुआ था कि आखिर इस मामले में आरोपी कौन है? कांग्रेस, भाजपा और पीएमके ने भी अलग-अलग कारणों से सदन का वाकआउट किया। भाजपा विधायकों ने कहा कि अन्ना विश्वविद्यालय मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, इसलिए वे विधानसभा से बाहर चले गए। कांग्रेस विधायकों ने काले बैज पहनकर राज्यपाल के राज्य के मामलों में कथित हस्तक्षेप की निंदा की।
सदन के बाहर, एआईएडीएमके विधायकों ने “Who is the sir?” जैसे नारों वाले पोस्टर लेकर प्रदर्शन किया। यह नारा अन्ना विश्वविद्यालय में यौन उत्पीड़न मामले से संबंधित था, जिसमें आरोप है कि अपराधी ने घटना के दौरान एक “सर” से फोन पर बात की थी। हालांकि पुलिस ने दावा किया है कि आरोपी, जो एक आदतन अपराधी है, ने अपने फोन को ‘फ्लाइट मोड’ में डाल दिया था और “सर” से कॉल केवल डराने के लिए किया गया झूठा दावा था।
नारेबाजी के बीच, स्पीकर ने मार्शल्स को आदेश दिया कि वे एआईएडीएमके सदस्यों को सदन से बाहर करें और गवर्नर का संबोधन पढ़ें। स्पीकर ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि राज्य विधानसभा में राष्ट्रीय गान से पहले राज्यगान बजाना एक परंपरा है।
पिछले साल भी हुई थी ऐसी ही घटना
डीएमके सरकार और राजभवन के बीच तनाव राज्य विधानसभा में नया नहीं है। पिछले साल फरवरी में भी राज्यपाल ने विधानसभा सत्र के पहले दिन पारंपरिक उद्घाटन भाषण पढ़ने से इनकार कर दिया था और सदन से वॉकआउट कर गए थे। उन्होंने सरकार द्वारा तैयार किए गए अभिभाषण के पहले पैराग्राफ को पढ़ने के बाद अपने फैसले की घोषणा की थी, जिसमें नए साल में “खुशी, समृद्धि और कल्याण” की कामना की गई थी और तिरुक्कुरल से एक दोहा उद्धृत किया गया था।
इसी तरह की एक घटना जनवरी 2023 में भी हुई थी, जिसमें राज्यपाल ने अचानक विधानसभा से वॉकआउट कर दिया था। रवि ने मुख्यमंत्री स्टालिन के उस निर्णय पर असहमति जताई थी, जिसमें उन्होंने गवर्नर के भाषण के कुछ हिस्सों को छोड़ने के उनके निर्णय को खारिज किया था।
पिछले कुछ वर्षों में तमिलनाडु विधानसभा में राष्ट्रगान के बजाय राज्यगीत गाने के मामले सामने आ रहे हैं। इतना ही नहीं, तमिलनाडु विधानसभा के स्पीकर अप्पावु ने मीडिया को सख्त निर्देश दिया कि वो उनकी अनुमति के बिना विधानसभा में घटने वाली किसी भी घटना के बारे में रिपोर्ट ना करें, अन्यथा कड़ी कार्रवाई की जाएगी।