डोनाल्ड ट्रंप 2.0 में भारत के लिए व्यापार, H-1B वीजा, बाजार के क्या हैं मायने?

डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल में एच-1बी वीजा के नियमों में सख्ती देखी गई थी जिससे विदेशी श्रमिकों को यह वीजा लेना पहले से मुश्किल हो गया था। ऐसे में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में एच-1बी वीजा के और अधिक सख्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

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What does this mean for India in terms of trade H-1B visas and markets when Donald Trump win usa presidential election 2024

डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: अमेरिका में हाल में हुए राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी डेमोक्रेटिक प्रतिद्वंद्वी कमला हैरिस को हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। ट्रंप दूसरी बार अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं।

इससे पहले साल 2016 में ट्रंप ने डेमोक्रेट नेता हिलेरी क्लिंटन को हराया था और राष्ट्रपति बने थे। साल 2020 में वे जो बाइडन के खिलाफ चुनाव हार गए थे। ट्रंप के चुनाव जीतने पर बुधवार को पीएम मोदी ने उन्हें बधाई दी है।

ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनना भारत के लिए कई मायनों में कारगर साबित हो सकता है। इससे व्यापार, एच-1बी वीजा समेत बाजार पर भी असर पड़ सकता है।

कुछ रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने पर भारत के लिए नए अवसर खुलेंगे वहीं कुछ और रिपोर्ट में भारत के कई क्षेत्रों के प्रभावित होने का भी अनुमान लगाया गया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि इस मामले में रिपोर्ट क्या कहते हैं और एक्सपर्ट क्या राय रखते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप 2.0 को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

मामले की जानकारी रखने वाले एक्सपर्टों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद अगर अमेरिका आयात और एच1बी वीजा नियमों पर अंकुश लगाता है तो इससे भारतीय फार्मा और आईटी जैसे कुछ क्षेत्र हैं जो प्रभावित हो सकते हैं। वहीं कुछ और जानकारों का कहना है कि ट्रंप और पीएम मोदी की दोस्ती से भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक असर पड़ सकता है।

द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप के राष्ट्रपति बनने पर व्यापार में अधिक अमेरिकी-केंद्रित नीतियों की ओर झुकाव देखा जा सकता है।

इससे भारत को व्यापार बाधाओं को कम करने या फिर टैरिफ का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है जिस कारण आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और कपड़ा जैसे क्षेत्रों ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं जो अमेरिकी बाजार पर बहुत हद तक निर्भर हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप संतुलित व्यापार पर जोर दे सकते हैं जो भारत के लिए चुनौती साबित हो सकते हैं।

स्पेशल सेंटर फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित सिंह का कहना है कि पीएम मोदी के साथ ट्रंप के जिस तरीके के दोस्ताना रिश्तें हैं उससे भारत का व्यापार उनके दूसरे कार्यकाल में और भी मजबूत होगा।

मार्केट रिसर्च फर्म नोमुरा की सितंबर की एक रिपोर्ट में ट्र्ंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने पर एशिया में पड़ने वाले संभावित प्रभावों का विश्लेषण किया गया है।

इसमें यह दावा किया गया है कि ट्रंप अमेरिका के साथ भारत के व्यापार अधिशेष की जांच कर सकते हैं और उन देशों पर जुर्माना लगा सकते हैं जो अमेरिकी डॉलर को आर्टिफिशियल रूप से अवमूल्यन करते हैं।

यही नहीं रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि "चाइना प्लस वन" रणनीति का लाभ भारत समेत अन्य एशियाई देश को मिल सकता है। ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद अमेरिका चीन के सप्लाई चैन को भारत जैसे मित्र देशों से पूरा करा सकता है।

"चाइना प्लस वन" एक ऐसी रणनीति है जिसके तहत कंपनियां केवल चीन में ही निवेश से बचती हैं और इसके विकल्प में अन्य देशों में अपना व्यापार को बढ़ाती हैं।

एक अन्य रिपोर्ट में नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है, ‘‘ट्रंप का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए एक नया अवसर हो सकता है। ट्रंप उन देशों पर शुल्क और आयात प्रतिबंध लगाएंगे, जिनके बारे में उन्हें लगता है कि वे अमेरिका के अनुकूल नहीं हैं। इनमें चीन और यहां तक ​कुछ यूरोपीय देश शामिल हैं। अगर ऐसा हुआ तो इससे भारतीय निर्यात के लिए बाजार खुल सकते हैं।’’

शेयर बाजार और एच-1बी वीजा पर क्या असर पड़ेगा

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्र्ंप के बाजार नीतियों के कारण उभरते बाजारों और इक्विटी पर इसका महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है। इस पर बोलते हुए आईसीआईसीआई बैंक के आर्थिक अनुसंधान प्रमुख समीर नारंग ने कहा है कि ट्रंप की नीतियों से उच्च ब्याज दरें, मजबूत अमेरिकी डॉलर और सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं।

ट्रंप के फिर से सत्ता में आने पर बाजार के अंदरूनी सूत्रों का मानना ​​है कि इससे वॉल स्ट्रीट मजबूत हो सकता है लेकिन भारत सहित वैश्विक बाजारों को चुनौतियां मिल सकती हैं।

आईसीआईसीआई के विश्लेषकों का अनुमान है कि ट्रंप के दृष्टिकोण से पैदावार और सोने की कीमतें बढ़ सकती हैं, कच्चे तेल की कीमतें कम हो सकती हैं और धातुएं कमजोर हो सकती हैं।

एक और रिपोर्ट में मद्रास स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के निदेशक एन आर भानुमूर्ति ने कहा है, ‘‘मुझे संदेह है कि ट्रंप भारतीय उत्पादों पर शुल्क लगाएंगे, क्योंकि अमेरिका के लिए चिंता भारत को लेकर नहीं, बल्कि चीन के बारे में अधिक है।’’

एक शोध के रिपोर्ट में ब्रिटेन की बैंक बार्कलेज ने बुधवार को कहा है कि व्यापार के मद्देनजर ट्रंप एशिया के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। बार्कलेज ने कहा, ‘‘हमारा अनुमान है कि ट्रंप के शुल्क प्रस्ताव चीन के सकल घरेलू उत्पाद में दो प्रतिशत की कमी लाएंगे - और क्षेत्र की बाकी अधिक खुली अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डालेंगे।’’ रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, इंडोनेशिया और फिलिपीन सहित अन्य अर्थव्यवस्थाएं जो घरेलू बाजार पर अधिक निर्भर होती है वे उच्च शुल्क से कम प्रभावित हो सकती है।

डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल में एच-1बी वीजा के नियमों में सख्ती देखी गई थी जिससे विदेशी श्रमिकों को यह वीजा लेना पहले से मुश्किल हो गया था। ऐसे में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में एच-1बी वीजा के और अधिक सख्त होने का अनुमान लगाया जा रहा है।

ट्रंप के फिर से राष्ट्रपति बनने पर एच-1बी वीजा के तहत उच्च वेतन आवश्यकताओं को पेश किया जा सकता है ताकि अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा हो सके और इस तरह की नौकरियां पहले अमेरिकी लोगों को ही मिले।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एच-1बी वीजा की संख्या सीमित हो सकती है और चयन प्रक्रिया उन्नत डिग्री या विशेष कौशल वाले आवेदकों के पक्ष में हो सकती है। ऐसे में इन बदलावों का असर अमेरिका में काम करने वाले भारतीय पेशेवरों पर पड़ सकता है।

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