नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने यमुना को लेकर टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि दिल्ली में नई सरकार आने के बाद यमुना को लेकर जारी 'सभी विवादों का हल' हो सकता है। इसमें यमुना से प्रदूषकों को साफ करने के साथ-साथ पड़ोसी राज्य हरियाणा को पानी की उचित आपूर्ति सुनिश्चित करना शामिल है।
कोर्ट ने साल 2021 में यमुना को लेकर स्वतः संज्ञान लिया था। इसके बाद से कोर्ट समय-समय पर आदेश पारित कर रही है। इस मामले में कोर्ट में न्याय मित्र (एमिकस क्यूरी) मीनाक्षी अरोड़ा दिल्ली और हरियाणा के बीच जारी विवाद में बोल रहीं थी। एमिकस क्यूरी किसी कानूनी मामले में किसी पक्ष से नहीं होता है बल्कि ये मामले से जुड़ी जानकारी कोर्ट के समक्ष रखते हैं।
कोर्ट ने क्या कहा?
इस मामले में न्यायमूर्ति बीआर गवई ने कहा " ...लेकिन अब सरकार बदलने के साथ सारे विवादों का हल हो सकता है। इन बदली हुई परिस्थितियों में बेहतर कार्यान्वयन संभव है। "
न्यायालय में यमुना के प्रदूषण को लेकर चल रही सुनवाई के बीच यह टिप्पणी आई है।
इससे पहले हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार थी लेकिन अब दिल्ली में भाजपा भी की सरकार है। ऐसे में तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार होने से यमुना का मुद्दा बिना किसी विवाद के सुलझ सकता है। गौरतलब है कि यमुना नदी उत्तराखंड से निकलती है और हरियाणा, दिल्ली से होते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यमुना से मिलती है।
दिल्ली में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने यमुना की सफाई को लेकर बड़ा मुद्दा बनाया था। भाजपा ने आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर भी निशाना साधा था कि उन्होंने यमुना साफ करने के वादे को पूरा नहीं किया है।
केजरीवाल पर साधा था निशाना
इसके साथ ही भाजपा ने केजरीवाल के उस बयान पर भी निशाना साधा था जिसमें उन्होंने हरियाणा सरकार पर यमुना के पानी में "जहर" मिलाने का आरोप लगाया था।
केजरीवाल के इस बयान पर हरियाणा के सीएम नायब सैनी ने भी यमुना का पानी पिया था। वहीं, चुनाव आयोग ने केजरीवाल के इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी।
केजरीवाल के इस बयान के बाद पीएम मोदी ने उनपर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि 11 साल से यमुना का पानी पी रहे हैं। भाजपा ने चुनाव के दौरान यमुना की सफाई करने का चुनावी वादा किया था।
दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा ने यमुना की सफाई के लिए और प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने के लिए मशीनें तैनात की हैं। हालांकि देखने वाली बात होगी कि अब भाजपा अपने चुनावी वादे को पूरा करने में कहां तक सफल हो पाती है।