तिरुवनंतपुरम: वायनाड भूस्खलन पीड़ितों को दिए गए मुआवजे को बैंक द्वारा लोन की ईएमआई काट लेने को लेकर विवाद शुरू हो गया है। पीड़ितों ने दावा किया है कि केरल ग्रामीण बैंक ने उनके मुआवजे के पैसों से लोन की ईएमआई काट ली है।
इसे लेकर काफी विवाद हुआ है और पीड़ितों ने इसके खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया है। प्रदर्शनकारियों ने कहा है कि केरल सरकार द्वारा 10 हजार मुआवजे में से बैंक ने दो हजार उनके लोन की ईएमआई काट ली है।
मामले में विभिन्न राजनीतिक दलों के युवा संगठनों ने सोमवार को कलपेट्टा में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया है। केरल के यूथ कांग्रेस, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) और मुस्लिम यूथ लीग ने भी बैंक की कलपेट्टा क्षेत्रीय शाखा के बाहर आज विरोध किया है।
मामले को तूल पकड़ता देख केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने बैंकों से भूस्खलन से पीड़ित लोगों की मदद करने का आग्रह किया है।
क्यों दिया गया है यह मुआवजा
बता दें कि केरल सरकार ने वायनाड भूस्खलन से प्रभावित लोगों को तत्काल सहायता के लिए हर पीड़ित को 10 हजार का मुआवजा दिया है। इस वित्तीय सहायता का उद्देश्य पीड़ित लोगों को बिना किसी शर्त के उनकी तत्काल जरूरतों को पूरा करना और उन्हें राहत प्रदान करना है।
इन राहत कोषों से केरल ग्रामीण बैंक द्वारा ईएमआई काटने का फैसला मुआवजा के मूल उद्देश्य के खिलाफ है। वायनाड भूस्खलन पीड़ितों को मुआवजा देना के पीछे प्रभावित लोगों को उनके जीवन को सामान्य करने में उनकी मदद करना है न कि इससे मौजूदा ऋणों का निपटान करना है।
क्या कहते हैं नियम
हालांकि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 यह साफ नहीं करता है कि मुआवजे की राशि से किसी लोन की किश्त की कटौती होगी कि नहीं। लेकिन यह नियम यह जरूर कहता है कि मुआवजे को पीड़ितों की तत्काल जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
इसी तरह से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन नीति भी यह कहता है कि मुआवजे की रकम को किसी और काम जैसे लोन की किश्त को अदा करने के लिए यूज नहीं होना चाहिए।
क्या कहा है आरबीआई
इन नियमों से यह पता चलता है कि वित्तीय संस्थानों को संकट के दौरान लचीला दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राहत प्रयास प्रभावी हो। आपात स्थितियों में वित्तीय राहत के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने दिशानिर्देश भी जारी कर रखा है।
हालांकि वायनाड भूस्खलन को लेकर कोई विशिष्ट गाइडलाइन मौजूद नहीं है लेकिन आमतौर पर आरबीआई ने सभी बैंकों को यह सलाह दे रखी है कि मुआवजे से कोई लोन की अदायगी नहीं होगी। यही नहीं आरबीआई ने यह भी सूझाव दे रखा है कि मुआवजे से ऑटोमेटिक लोन की किश्तों की भी कटौती नहीं होगी।
क्या कहता है संयुक्त राष्ट्र
व्यापार और मानवाधिकारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि बैंकों सहित व्यवसायों को मानवाधिकारों का सम्मान करना चाहिए और उन कार्यों से बचना चाहिए जो लोगों पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
इसका मतलब यह हुआ है कि किसी आपदा के लिए दिए गए मुआवजे का सही से इस्तेमाल होना चाहिए और उसे केवल पीड़ित लोगों की जरूरतों को ही पूरा करने के लिए यूज किया जाना चाहिए।
मुआवजे से बैंक ने क्यों काटा है किश्त
आपातकालीन राहत कोष से ईएमआई काटने का केरल ग्रामीण बैंक का निर्णय नियामक दिशानिर्देशों और मानवीय सिद्धांतों दोनों के विपरीत प्रतीत होता है। ऐसा हो सकता है कि बैंक ने नीजि नियम के तहत इस किश्त को काटी होगी।
लेकिन बैंक के इस एक्शन से पीड़ित लोग प्रभावित हो रहे हैं। खबर यह भी है कि मामले के तूल पकड़ने के बाद बैंक ने कुछ पीड़ितों का पैसा भी वापस किया है। हालांकि अभी भी कई ऐसे पीड़ित हैं जिन्हें उनका पैसा वापस नहीं मिला है।