नई दिल्लीः लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी द्वारा चुनाव आयोग से पाँच सीधे सवाल पूछे जाने के बाद, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने जवाब देते हुए उनके बयानों को भ्रामक बताया और कई तथ्य सार्वजनिक किए। आयोग के फैक्ट चेक डिवीजन ने एक्स पर विस्तृत पोस्ट जारी की।

ईसीआई ने स्पष्ट किया कि मशीन रीडेबल वोटर लिस्ट उपलब्ध कराने की कांग्रेस की याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही कमलनाथ बनाम चुनाव आयोग, 2018 मामले में खारिज कर दिया था। समाचार एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 2018 के कमलनाथ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने वोटर डेटाबेस की विश्वसनीयता पर फैसला सुनाया था। उस वक्त भी, कमलनाथ ने एक निजी वेबसाइट के डेटा का हवाला देते हुए वोटर लिस्ट में एक ही चेहरे की कई प्रविष्टियों का दावा किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके दावे को खारिज कर दिया था, क्योंकि चुनाव आयोग ने साबित कर दिया था कि कथित विसंगतियों को याचिका दायर होने से कई महीने पहले ही ठीक कर लिया गया था। इस मामले में, कांग्रेस पार्टी को पहले ही अपडेटेड वोटर लिस्ट दी जा चुकी थी, जिससे उनके दावे कमजोर हो गए थे।

आयोग के अनुसार, कोई भी पराजित उम्मीदवार अपने निर्वाचन को चुनौती देने के लिए 45 दिनों के भीतर संबंधित हाई कोर्ट में चुनाव याचिका (Election Petition) दायर कर सकता है।अगर ऐसी याचिका दायर होती है, तो मतदान केंद्रों का सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखा जाता है। अन्यथा, बिना कानूनी उद्देश्य के इतने बड़े पैमाने पर फुटेज रखना मतदाता की गोपनीयता का उल्लंघन होगा। आयोग ने उदाहरण दिया— यदि 1 लाख मतदान केंद्रों का सीसीटीवी फुटेज देखना हो, तो इसमें 1 लाख दिन यानी करीब 273 साल लगेंगे, और इससे कोई कानूनी नतीजा भी नहीं निकलेगा।

ईसीआई फैक्ट चेक ने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान वोटर लिस्ट तैयार करते समय आरपी अधिनियम, 1950 की धारा 24 के तहत कांग्रेस ने शायद ही किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपील दायर की हो। आयोग के अनुसार, राहुल गांधी ने कई आरोप सार्वजनिक मंचों पर लगाए, लेकिन कभी औपचारिक लिखित शिकायत नहीं दी और न ही व्यक्तिगत रूप से स्व-हस्ताक्षरित पत्र भेजा।

एक उदाहरण देते हुए आयोग ने कहा— दिसंबर 2024 में राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में गड़बड़ी का मुद्दा उठाया। इस पर एआईसीसी के एक वकील ने पत्र भेजा, जिसका उत्तर 24 दिसंबर 2024 को ईसीआई की वेबसाइट पर सार्वजनिक कर दिया गया। इसके बावजूद राहुल गांधी दावा करते हैं कि चुनाव आयोग ने जवाब नहीं दिया।

चुनाव आयोग ने कहा- राहुल शपथ पत्र दें या माफी मांगें

आयोग ने कहा कि अगर राहुल गांधी अपने विश्लेषण और आरोपों पर विश्वास रखते हैं, तो उन्हें मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के नियम 20(3)(ख) के तहत संबंधित मतदाताओं के खिलाफ दावा/आपत्ति दर्ज करनी चाहिए और उस पर घोषणा या शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने चाहिए।

ईसीआई फैक्ट चेक ने कहा, "अगर राहुल गांधी घोषणा पर हस्ताक्षर नहीं करते, तो यह मानना होगा कि उन्हें अपने ही आरोपों पर विश्वास नहीं है और वे बेतुके आरोप लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें राष्ट्र से क्षमा मांगनी चाहिए।" 

राहुल गांधी के क्या थे पाँच सवाल?

 राहुल गांधी ने ईसीआई से ये पाँच सवाल किए थे—

1. विपक्ष को डिजिटल वोटर लिस्ट क्यों नहीं दी जा रही? क्या छिपाया जा रहा है?

2. सीसीटीवी और वीडियो सबूत क्यों मिटाए जा रहे हैं, और किसके निर्देश पर?

3. फर्जी वोटिंग और वोटर लिस्ट में गड़बड़ी क्यों हुई?

4. विपक्षी नेताओं को धमकाना और डराना क्यों जारी है?

5. क्या ईसीआई अब भाजपा का एजेंट बन चुका है?

हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, राहुल गांधी ने दावा किया था कि वोटर लिस्ट में कई प्रविष्टियां और डुप्लीकेशन हैं, जिससे चुनाव प्रक्रिया की अखंडता पर सवाल खड़े होते हैं। उन्होंने आदित्य श्रीवास्तव नामक एक मतदाता का उदाहरण दिया, जिसका नाम कथित तौर पर तीन अलग-अलग राज्यों की लिस्ट में था। राहुल ने कहा कि भारत का लोकतंत्र बेशकीमती है और इसकी "चोरी" का अंजाम बहुत गंभीर होगा। राहुल गांधी ने कहा कि “जनता अब बोल रही है—बहुत हुआ।”

समाचार एजेंसी आईएएनएस इनपुट के साथ