चुनाव से जुड़े नियमों में केंद्र सरकार ने क्या बदलाव किए हैं जिस पर कांग्रेस उठा रही है सवाल? (फोटो- IANS)
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नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने चुनाव नियमों में एक बड़ा बदलाव किया है। अब सीसीटीवी फुटेज और उम्मीदवारों की वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की सार्वजनिक जांच नहीं की जा सकेगी। कांग्रेस पार्टी ने इस बदलाव की कड़ी आलोचना की है।
पार्टी के नेता जयराम रमेश ने इसे चुनावी प्रक्रिया की "आखिरी बची हुई ईमानदारी" को खत्म करने वाला कदम बताया है। यह भी कहा कि यह पार्टी के उस दावे को सही ठहराता है, जिसमें चुनावी प्रक्रिया की "तेजी से घटती विश्वसनीयता" की बात की गई है।
इंडिया टूडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बदलाव के तहत केंद्रीय कानून मंत्रालय ने चुनाव नियम, 1961 में संशोधन किया है। पहले यह नियम था कि चुनाव से जुड़ी सारी जानकारी लोगों को देखने के लिए खुली रहती थी, लेकिन अब नए नियम के मुताबिक केवल वही दस्तावेज जनता के लिए खुले रहेंगे, जो चुनाव आचार संहिता में बताए गए हैं। इसका मतलब है कि सीसीटीवी फुटेज, वीडियो और उम्मीदवारों की रिकॉर्डिंग अब सार्वजनिक तौर पर नहीं देखी जा सकेंगी।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, इस बदलाव के पीछे एक कोर्ट केस था, जिसने इस पर फैसला लिया। उनका कहना था कि कई बार नियमों का हवाला देकर लोग इन इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों की मांग करते थे। अब नए नियमों से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल वही दस्तावेज जनता देख सकेगी, जो चुनाव आचार संहिता में हैं।
खबर के अनुसार चुनाव आयोग ने कहा कि मतदान केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाने से मतदाता की गोपनीयता खतरे में पड़ सकती है। हालांकि, इस बदलाव के बावजूद उम्मीदवारों को इन दस्तावेजों तक पहुंच मिलती रहेगी, और वे इनको प्राप्त करने के लिए कोर्ट का सहारा ले सकते हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान वकील ने मांगा था दस्तावेज
कुछ समय पहले वकील महमूद प्राचा ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की मांग की थी। इस पर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को आदेश दिया था कि वह यह दस्तावेज प्राचा को दे।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस बदलाव पर उठाए सवाल
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस बदलाव पर सवाल उठाए और कहा कि चुनाव आयोग को इस कदम को कोर्ट में चुनौती दी जानी चाहिए। उन्होंने पूछा कि चुनाव आयोग पारदर्शिता से क्यों डरता है और क्यों वह ऐसी जानकारी साझा करने से बच रहा है, जो कानून के तहत जनता को दी जानी चाहिए।