नई दिल्लीः वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण 13 फरवरी को संसद में नया इनकम टैक्स बिल पेश कर सकती हैं। इस बिल को लाने का उद्देश्य पुराने टैक्स नियमों में सुधार लाना है और गैर जरूरी प्रावधानों को हटाना है। इसके साथ ही टैक्सपेयर्स को भी सुविधा प्रदान करने का उद्देश्य है जिससे वह पेशेवरों की सहायता के बिना भी नियमों को आसानी से समझ सकें। 

इन प्रस्तावों का उद्देश्य पुराने आयकर कानून को सरल बनाना है। इसके साथ ही शब्दावली में भी परिवर्तन करना है। इस नए विधेयक में आकलन वर्ष को कर वर्ष में बदलने का प्रस्ताव है। इसके साथ ही पिछले वर्ष को वित्तीय वर्ष में बदलने का प्रस्ताव है। 

नए विधेयक में क्या होंगे नियम?

नए स्थापित व्यवसाय या पेशे के मामले में कर वर्ष ऐसे व्यवसाय या पेशे की स्थापना की तारीख से शुरू होने वाली अवधि होगी। किसी वित्तीय वर्ष के मध्य में आय का कोई नया स्रोत अस्तित्व में आने की स्थिति में कर वर्ष उस तारीख से शुरू होगा जिस दिन आय का ऐसा स्रोत अस्तित्व में आएगा। दोनों ही मामलों में कर वर्ष वित्तीय वर्ष समाप्त होने पर समाप्त होगा।

नए आयकर विधेयक में तलाशी के दौरान उजागर हुई आभासी डिजिटल संपत्तियों को अघोषित आय के रूप में गिनने का प्रस्ताव है। इस विधेयक में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को भी कुछ सुविधा देने का प्रस्ताव दिया गया है। इसमें बोर्ड को कर प्रशासन नियम स्थापित करने, उपायों को लागू करने का भी प्रावधान किया गया है। 

आयकर रिटर्न की तारीख में नहीं कोई परिवर्तन

हालांकि इस बिल में आयकर रिटर्न भरने की तारीखों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। जिन लोगों को खाते का ऑडिट कराने की आवश्यकता नहीं है, वे लोग 31 जुलाई तक आईटीआर (इनकम टैक्स रिटर्न) फाइल कर सकते हैं।

वहीं, जिन लोगों को खाते का ऑडिट कराना होता है ऐसे लोग 30 सितंबर तक रिपोर्ट दाखिल कर सकते हैं। इसके बाद 31 अक्टूबर तक आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। 

इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन करने वाले करदाता 31 अक्तूबर तक ऑडिट रिपोर्ट जमा कर सकते हैं। वहीं, 30 नवंबर तक आईटीआर दाखिल कर सकते हैं। अगर कोई करदाता तय समय सीमा के भीतर आयकर नहीं भर पाते हैं तो या फिर संशोधित रिटर्न भरना चाहते हैं तो ऐसे लोग 31 दिसंबर तक रिटर्न जमा कर पाएंगे। 

देर से आयकर दाखिल करने पर करदाताओं को जुर्माना भी देना पड़ सकता है।