जगदीप धनखड़ 'नजरबंद'? विपक्ष के आरोपों के बीच अमित शाह ने पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर क्या कहा?

अमित शाह की यह टिप्पणी विपक्षी नेताओं द्वारा धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर सवाल उठाने के बाद आई है। विपक्ष की ओर से दावा किया जाता रहा है कि सरकार ने जगदीप धनखड़ को 'चुप' करा दिया है।

Jagdeep Dhankar

जगदीप धनखड़ Photograph: (IANS)

नई दिल्ली: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की वजहों को लेकर चर्चा अभी भी जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। उन्होंने विपक्ष के उन दावों को खारिज किया कि वे 'नजरबंद' हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, 'धनखड़ साहब का इस्तीफा पत्र अपने आप में स्पष्ट है। उन्होंने अपने इस्तीफे के लिए स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है। उन्होंने अपने कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों और सरकार के सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार भी व्यक्त किया है।'

जब उनसे कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा धनखड़ के 'नजरबंद' होने के दावे के बारे में पूछा गया, तो शाह ने कहा कि सच और झूठ की व्याख्या केवल विपक्ष के बयानों पर निर्भर नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व उपराष्ट्रपति के इस्तीफे पर इस तरह का हंगामा नहीं होना चाहिए।

अमित शाह ने कहा, 'ऐसा लगता है कि सच और झूठ की आपकी व्याख्या विपक्ष की बातों पर आधारित है। हमें इस सब पर ज्यादा हंगामा नहीं करना चाहिए। धनखड़ एक संवैधानिक पद पर थे और उन्होंने संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। उन्होंने निजी स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया। इस मुद्दे पर ज्यादा विचार-विमर्श नहीं करना चाहिए।'

विपक्ष लगातार उठा रहा है सवाल

अमित शाह की यह टिप्पणी विपक्षी नेताओं द्वारा धनखड़ के अचानक इस्तीफे को लेकर सवाल उठाने के बाद आई है। विपक्ष की ओर से दावा किया जाता रहा है कि सरकार ने धनखड़ को 'चुप' करा दिया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि देश के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी उपराष्ट्रपति के इस्तीफे के साथ-साथ उन्हें चुप कराने की भी बात कही गई है।

वहीं, लोकसभा में विपक्ष के नेता (एलओपी) राहुल गांधी ने भी केंद्र की आलोचना की। धनखड़ के इस्तीफे पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि  सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) देश को 'मध्ययुगीन काल' में वापस ले जा रही है।

राहुल गांधी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'हम मध्ययुगीन काल में वापस जा रहे हैं जब राजा अपनी मर्जी से किसी को भी हटा सकता था। निर्वाचित व्यक्ति क्या होता है, इसकी कोई अवधारणा ही नहीं है। उसे आपका चेहरा पसंद नहीं आता, इसलिए वह प्रवर्तन निदेशालय को मुकदमा चलाने को कहते हैं, और फिर लोकतांत्रिक रूप से चुने गए व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर हटा दिया जाता है। साथ ही, यह भी न भूलें कि हम एक नए उपराष्ट्रपति का चुनाव क्यों कर रहे हैं। कल ही मैं किसी से बात कर रहा था, और मैंने कहा आप जानते हैं, पुराने उपराष्ट्रपति कहाँ चले गए? वह चले गए।'

सुप्रीम कोर्ट के वकील और वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने भी यह सवाल उठाया कि क्या धनखड़ की सार्वजनिक रूप से अनुपस्थिति को देखते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की जानी चाहिए। हालांकि, भाजपा का कहना है कि धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया है। पार्टी ने उनके साथ किसी भी मतभेद की बात को खारिज कर दिया है।

जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को संसद के मानसून सत्र के पहले दिन इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने अपने इस्तीफे में कहा था कि वह अपने 'स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना चाहते हैं और चिकित्सा सलाह का पालन करना चाहते हैं।'

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