नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल प्राथमिक विद्यालय भर्ती घोटाले से जुड़े सीबीआई मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के निलंबित सांसद कुंतल घोष को नियमित जमानत दे दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने इस बात को ध्यान में रखते हुए जमानत दे दी कि निकट भविष्य में मुकदमे के पूरा होने की संभावना नहीं है।
घोष 19 महीनों से हिरासत में हैं। लाइव लॉ के अनुसार, सीबीआई ने इसी साल जनवरी में घोष के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी। लेकिन दस्तावेज की कमी के कारण विशेष अदालत ने इस पर संज्ञान नहीं लिया था। सीबीआई ने मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर करने की मांग की है।
कुंतल घोष को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
घोष की ओर से पेश हुए वकील एमएस खान ने अदालत को बताया कि सीबीआई अब तक मामले में अंतिम चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाई है। इस तर्क को स्वीकारते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मंजूर की और कहा कि जमानत की शर्तें ट्रायल कोर्ट निर्धारित करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने घोष को निर्देश दिया है कि वह अपना पासपोर्ट जांच एजेंसी को जमा करें और पश्चिम बंगाल से बाहर जाने के लिए अदालत या जांच एजेंसी की पूर्व अनुमति लें। इसके अतिरिक्त, घोष को सार्वजनिक पद पर बने रहने या जांच से जुड़े मामलों पर मीडिया में बयान देने से भी रोक दिया गया है।
कुंतल घोष को 21 जनवरी 2023 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने धनशोधन मामले में गिरफ्तार किया था। इसके बाद, 20 फरवरी 2023 को सीबीआई ने उन्हें भर्ती घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार कर लिया। ईडी के मामले में 20 नवंबर 2024 को कलकत्ता हाईकोर्ट ने घोष को सशर्त जमानत दी थी, लेकिन सीबीआई मामले में उन्हें राहत नहीं मिली।
घोष स्कूल में नौकरी के बदले पैसे मामले में आरोपी हैं। स्कूल नौकरी मामले में ईडी और सीबीआई साथ-साथ जांच कर रहे हैं, जिसमें शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताएं शामिल हैं। एजेंसियों की जांच में कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं।