पश्चिम बंगाल में हाई कोर्ट ने 77 जातियों का ओबीसी दर्जा खत्म किया, क्यों चल रहा था विवाद?

हाई कोर्ट ने 77 जातियों का दर्जा बंगाल में खत्म किया है। इनमें ज्यादातर मुस्लिम जातियां थी। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 2010 के बाद जारी किए गए सर्टिफिकेट निर्धारित कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार जारी नहीं किए गए थे।

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High Court in West Bengal abolished OBC status of 77 castes, why was the controversy going on?

High Court in West Bengal abolished OBC status of 77 castes, why was the controversy going on?

कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए 2010 के बाद से बंगाल में जारी सभी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) प्रमाणपत्र रद्द कर दिए हैं। जस्टिस तपब्रत चक्रवर्ती और जस्टिस राजशेखर मंथा की पीठ ने यह फैसला सुनाया। इस आदेश के बाद राज्य में 2010 से जारी किए गए पांच लाख से ज्यादा ओबीसी प्रमाणपत्रों का उपयोग अब नौकरियों में आरक्षण मांगने के लिए नहीं किया जा सकता। हालांकि, उन लोगों को छूट दी गई है जिन्होंने उस अवधि के दौरान जारी प्रमाणपत्रों का उपयोग कर पहले ही नौकरी ले ली है। कोर्ट के नये आदेश का उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

कोर्ट ने क्यों ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द करने का दिया आदेश?

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि 2010 के बाद जारी किए गए सर्टिफिकेट निर्धारित कानूनी प्रक्रियाओं के अनुसार जारी नहीं किए गए थे, इसलिए उन्हें रद्द किया जाता है। कोर्ट ने तृणमूल सरकार द्वारा ओबीसी की नई श्रेणियों को जोड़ने के दौरान कार्रवाई की प्रक्रिया का विवरण देते हुए कहा, 'रिकॉर्ड से पता चलता है कि 8 फरवरी, 2010 को या उसके आसपास सभी प्रमुख समाचार पत्रों में यह प्रकाशित हुआ था कि सरकार ने मुस्लिमों के लिए 10% आरक्षण की घोषणा की है। इसके बाद 6 महीने की अवधि के भीतर आयोग ने ओबीसी के रूप में 42 वर्गों की सिफारिश की जिनमें से 41 मुस्लिम धर्म से थे।'

अदालत ने कहा कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए 'वास्तव में धर्म ही एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है। कोर्ट ने आगे कहा कि वह इस संदेह से मुक्त नहीं हो पा रहा है कि 'उक्त समुदाय को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एक वस्तु के रूप में इस्तेमाल किया गया है।'

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, 'अधिकारियों ने संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन किया है और संवैधानिक मानदंडों से हटकर भेदभाव किया है। ऐसा कोई डेटा सार्वजनिक नहीं किया गया जिसके आधार पर यह सुनिश्चित किया जाए कि संबंधित समुदाय को पश्चिम बंगाल सरकार के तहत सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है।'

कोर्ट का फैसला 2010 और 2020 के बीच तीन लोगों और एक मानवाधिकार संगठन 'आत्मदीप' की ओर से दायर याचिकाओं पर आया है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि 2011 के बाद से जब टीएमसी सत्ता में आई, ओबीसी-ए (सबसे पिछड़ा) और ओबीसी-बी (पिछड़ा) दोनों श्रेणियों के तहत कई समुदायों को उनकी आर्थिक स्थिति का मूल्यांकन किए बिना आरक्षण प्रदान किया गया।

2010 वामपंथी सरकार और फिर ममता सरकार ने दिया था आरक्षण

साल 2010 में वामपंथी सत्ता में थे और मई 2011 में तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई। वामपंथी सरकार ने 42 जातियों को ओबीसी का दर्जा दिया था। इसके बाद जब सरकार बदली तो ममता सरकार में 11 मई 2012 को एक नोटिफिकेशन के जरिए 35 और जातियों को ओबीसी में रखने की सिफारिश की गई। इसमें 34 मुस्लिम समुदाय से थे। इस तरह ताजा फैसले के बाद कुल 77 जातियों को ओबीसी लिस्ट से बाहर होना पड़ेगा।

बहरहाल, ममता बनर्जी ने हाई कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताई है और कहा है कि वे इसे नहीं मानेंगी और जरूरत पड़ी तो आगे के कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगी। यहां ये भी बता दें कि पश्चिम बंगाल में सरकारी नौकरियों में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण 17 प्रतिशत है। इसमें श्रेणी-ए के उम्मीदवारों को 10 फीसदी जबकि श्रेणी-बी के उम्मीदवारों को 7 प्रतिशत आरक्षण मिलता है।

बंगाल में ओबीसी लिस्ट पर क्यों विवाद?

पिछले ही साल राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की ओर से कहा गया था कि बंगाल में ओबीसी लिस्ट में शामिल 179 ग्रुप में 118 मुस्लिम समुदाय से हैं। आयोग के चेयरमैन और भाजपा के पूर्व सांसद हंसराज गंगाराम अहीर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, 'हमें कई शिकायतें मिली हैं और हमने इस साल (2023) फरवरी में अपनी राज्य की यात्रा के दौरान समीक्षा बैठक में राज्य सरकार के साथ इस मामले को उठाया था।'

उन्होंने यह भी कहा था कि आयोग को कई शिकायतें मिल रही हैं जिनमें कहा गया है कि सूची में शामिल मुस्लिम समुदाय के कई लोग बांग्लादेश से आए अप्रवासी हैं। उन्होंने कहा था कि मामले की जांच हो रही हैं क्योंकि वास्तविक लाभार्थियों को वंचित करके ऐसा किया गया है।

अहीर के अनुसार, 'राज्य की ओबीसी सूची दो श्रेणियों में विभाजित है: सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग (श्रेणी ए) और पिछड़ा वर्ग (श्रेणी बी)। सबसे पिछड़ा वर्ग श्रेणी में कुल 81 समुदाय हैं, जिनमें से 73 मुस्लिम और आठ हिंदू हैं। श्रेणी बी में कुल 98 समुदाय हैं, जिनमें से 45 मुस्लिम समुदाय के हैं और बाकी हिंदू समुदाय के हैं।'

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