कोलकाताः पश्चिम बंगाल विधानसभा में बीजेपी के चार विधायकों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित किए गए विधायकों में विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी का नाम भी शामिल है। इसके अलावा अग्निमित्रा पॉल, विश्वनाथ कारक और बंकिम घोष को निलंबित किया गया है। इन चारों ही विधायकों का निलंबन एक महीने के लिए किया गया है।
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह निलंबन भाजपा द्वारा लाए गए एक प्रस्ताव के बाद लिया गया है। इस प्रस्ताव में यह आरोप लगाया गया था कि राज्य में सरस्वती पूजा की अनुमति नहीं है।
क्या बोले सुवेंदु अधिकारी?
निलंबन के बाद नेता प्रतिपक्ष ने इस कदम पर कड़ा असंतोष जाहिर करते हुए कहा है कि "बेकार स्पीकर... मुख्यमंत्री आती नहीं हैं। वह हम लोगों पर नजर बनाए रखती हैं जब हम सदन में नहीं होते हैं, तभी वह आती हैं। चौथी बार उन्होंने भाजपा विधायकों को निलंबित किया है। 2022 में यह (निलंबन) पांच महीने का हुआ था फिर एक महीने का और फिर दो महीनों का। कुल मिलाकर आठ महीने हम लोग सदन से बाहर रहे। हम केवल विपक्ष हैं। सदन विपक्ष का है। हम हिंदुओं के वोट से जीते हैं। हम उनके लिए आवाज उठाएंगे। यह सरकार अल्पसंख्यकों की है, यह हिंदू विरोधी है।"
सुवेंदु अधिकारी ने आगे कहा "उन्होंने जानबूझकर उन लोगों को टार्गेट किया जो बहस और सवाल-जवाब सत्र में अच्छे से भाग लेते हैं। अग्निमित्रा पॉल अपनी सीट से विरोध कर रहीं थी उनका निलंबन क्यों हुआ?..."
उन्होंने यह भी कहा कि कल मुख्यमंत्री राज्यपाल के भाषण का जवाब देंगी। इसलिए, पहले ही नेता प्रतिपक्ष के साथ तीन अन्य भाजपा विधायकों को सदन से बाहर रखा गया ताकि सीएम बिना किसी आपत्ति के बोल सकें।
अग्निमित्रा पॉल के नेतृत्व में लाया गया था प्रस्ताव
सदन में यह प्रस्ताव विधायक अग्निमित्रा पॉल के नेतृत्व में लाया गया था। इसमें सरस्वती पूजा में 'बाधा' पर चर्चा की मांग की गई थी। हालांकि, जब स्पीकर बिमान बनर्जी ने इसकी अनुमति नहीं दी तो बड़ा हंगामा हुआ। इसके बाद भाजपा विधायक सदन से बाहर चले गए।
इस मसले पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि " टीएमसी विधायक निर्मल घोष ने एक प्रस्ताव पेश किया था और जिस तरह से विपक्षी नेता ने मेरी कुर्सी पर दस्तावेज फेंके, वह बहुत निंदनीय है। घोष ने प्रस्ताव रखा कि उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए। उसके बाद एक मतदान हुआ और उन लोगों को 30 दिनों के लिए निलंबित किया गया है। "