कोलकाता: पश्चिम बंगाल में उपचुनाव में जीत कर आए तृणमूल कांग्रेस के दो विधायकों सयंतिका बंदोपाध्याय और रयात हुसैन के शपथ ग्रहण को लेकर स्पीकर और राज्यपाल आमने-सामने हैं। राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने दोनों विधायकों को शपथ दिलाने के लिए स्पीकर को जिम्मेदारी सौंपने से इनकार किया है। इसके बाद से ये पूरा विवाद शुरू हुआ। इस बीच नवनिर्वाचित दोनों विधायक बुधवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा परिसर में धरने पर भी बैठे।
स्पीकर ने राष्ट्रपति को लिखी है चिट्ठी
वहीं, जारी विवाद के बीच पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बंदोपाध्याय ने गुरुवार शाम कहा कि उन्होंने दो नवनिर्वाचित विधायकों सयंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार के शपथ ग्रहण समारोह को लेकर राजभवन के साथ जारी टकराव के बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है।
बंदोपाध्याय ने कोलकाता में मीडिया से कहा कि पत्र में उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि तृणमूल कांग्रेस के दोनों नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने के लिए विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को नामांकित करने का निर्देश वह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को दें।
उन्होंने कहा, ‘मैं उम्मीद करता हूं कि राष्ट्रपति राज्यपाल को सही सलाह देंगी। पहले भी इस तरह के टकराव हो चुके हैं। उस समय मैंने लोकसभा अध्यक्ष से पूछा था कि नये सांसदों को वह खुद शपथ दिलाते हैं या यह जिम्मेदारी राष्ट्रपति निभाते हैं। उन्होंने मुझे बताया था कि परंपरा के अनुसार, लोकसभा अध्यक्ष नये सांसदों को शपथ दिलाते हैं। लेकिन पश्चिम बंगाल में जो हो रहा है, वह परंपरा के विपरीत है।’
विधानसभा अध्यक्ष ने ये भी कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने के लिए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी संपर्क करने की कोशिश की थी जो सीवी आनंद बोस से पहले पश्चिम बंगाल के राज्यपाल थे। उन्होंने कहा, ‘लेकिन उपराष्ट्रपति व्यस्तताओं के कारण मेरा फोन नहीं उठा सके। उम्मीद करता हूं कि जल्द ही उनसे इस मुद्दे पर बात होगी।’
राज्यपाल ने शपथ के लिए किया था आमंत्रित
इससे पहले राज्यपाल ने तृणमूल कांग्रेस के दोनों नवनिर्वाचित विधायकों को बुधवार को राजभवन में शपथ ग्रहण से लिए आमंत्रित किया था। दोनों ने यह कहते हुए उनका आमंत्रण अस्वीकार कर दिया कि परंपरा के अनुसार उपचुनाव में जीतने वाले विधायकों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी राज्यपाल विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को सौंपते हैं।
वहीं, राज्यपाल ने शपथ ग्रहण समारोह विधानसभा में आयोजित करने से इनकार कर दिया। इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार सुबह कहा, ‘दोनों विधायक जनादेश से जीतकर आये हैं। राज्यपाल को उन्हें शपथ लेने से रोकने का क्या अधिकार है।’
शपथ ग्रहण के लिए राजभवन क्यों जाएं विधायक: ममता बनर्जी
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सयंतिका बनर्जी और रेयात हुसैन सरकार की इस मांग का समर्थन किया कि या तो राज्यपाल शपथ दिलाने के लिए विधानसभा आएं या विधानसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को शपथ दिलाने के लिए नामांकित करें। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘वे दोनों विधायक सही हैं…दोनों विधायक राजभवन क्यों जाएंगे।’
राज्यपाल सीवी आनंद ने क्या कहा?
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार राज्यपाल सीवी आनंद ने इस मुद्दे पर बुधवार को कहा कि संविधान ने उन्हें यह तय करने का अधिकार दिया है कि विधायकों को शपथ दिलाने का काम किसे सौंपा जाना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि वह खुद राजभवन में नए विधायकों को शपथ दिलाना चाहते थे, लेकिन स्पीकर ने इस बात पर जोर दिया कि राज्यपाल विधान सभा में आकर शपथ ग्रहण समारोह की अध्यक्षता करें।
राज्यपाल बोस ने आगे कहा, ‘मुझे विधानसभा को आयोजन स्थल के रूप में तय करने पर कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन स्पीकर के आपत्तिजनक पत्र के बाद…जिसमें राज्यपाल के कार्यालय की गरिमा को काम करके आंका जा रहा था, यह विकल्प संभव नहीं था।’
वहीं, राजभवन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्यपाल बोस ने स्पीकर को लिखे अपने पत्र में यह भी संकेत दिया था कि वह एससी या एसटी समुदाय से विधानसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य को नामित करना पसंद करेंगे, जिनके सामने नवनिर्वाचित विधायक शपथ लेंगे।
हालांकि, इस पर स्पीकर ने अपने जवाब में कहा कि वह खुद इस काम को पूरा करना पसंद करेंगे। अधिकारी ने बताया कि अगर विधायक बिना शपथ लिए विधानसभा सत्र में शामिल होने लगते हैं तो उन पर कानून के मुताबिक प्रतिदिन 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)