पिछले कुछ सालों से जिस तरीके से भारत के मौसम में भारी बदलाव देखें गए हैं, उससे यहां पर मौसम की भविष्यवाणी के लिए एआई का इस्तेमाल करना काफी जरूरी होता जा रहा है।
जानकारों का मानना है कि मौसम की भविष्यवाणी के लिए अभी जो तरीके इस्तेमाल हो रहे हैं उसकी तुलना एआई बहुत अच्छा है। यह सटीक और समय से बहुत पहले मौसम की सही अनुमान लगा लेता है।
भारत के बदलते मौसम पर सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की रिपोर्ट में भारी बारिश और सूखे जैसे घटनाओं के चलते साल 2023 में लगभग तीन हजार लोगों की मौत होने की बात कही गई है। ऐसे में जान-माल की सुरक्षा के लिए भारत जैसे देशों को एआई की बहुत जरूरत है ताकि सटीक और सही समय पर मौसम की भविष्यवाणी की जा सके।
मौसम के पूर्वानुमान के लिए भारत ने एआई का यूज करना अभी शुरू किया है, लेकिन इसमें काफी दिक्कतें आ रही है। मौसम की भविष्यवाणी से जुड़े जानकारों का कहना है कि भारत विश्वसनीय डेटा की कमी से जूझ रहा है, जिससे वह सही से एआई की इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है।
ऐसे में एआई के यूज को लेकर भारत के सामने क्या हैं चुनौतियां और इस पर क्या कहते हैं जानकार, आइए जान लेते हैं।
मौसम पूर्वानुमान के लिए भारत में एआई
भारत जैसे बड़े देश में जहां भारी संख्या में लोग किसान हैं, जो चावल और गेहूं जैसी फसलों की खेती करते हैं, उनकी और उनकी तरह के अन्य लोगों की मदद के लिए मौसम की सटीक भविष्यवाणियां बहुत जरूरी बन जाती है।
इस बारे में बोलते हुए हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि भारत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग अभी सीमित तरीके से कर रहा है और अगले पांच सालों में इससे और विकसित करने पर काम किया जा रहा है।
इससे पहले दिसंबर 2023 में, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के मंत्री किरेन रिजिजू कहा था मौसम के बेहतर पूर्वानुमानों के लिए देश में विभिन्न एआई और एमएल तकनीकों का इस्तेमाल हो रहा है और इसके लिए वर्चुअल केंद्र भी बनाए गए हैं।
आपको बता दें कि आईएमडी हीटवेव और मलेरिया जैसी बीमारियों के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहा है और इसके जरिए लोगों को अलर्ट्स भी भेजे जा रहे हैं।
पुराने तरीके और एआई में क्या है फर्क
मौसम से जुड़े जानकारों ने बताया कि पुराने तरीके में महंगे-महंगे सुपर कंप्यूटर का इस्तेमाल कर मौसम की भविष्यवाणी की जाती है, जबकि एआई के इस्तेमाल में यह काम केवल एक डेस्कटॉप कंप्यूटर से ही हो जाएगा।
ईटी से बात करते हुए आईआईटी-दिल्ली के सौरभ राठौड़ ने बताया कि एआई मॉडल सुपर कंप्यूटर की तुलना में काफी सस्ता है और यह सटीक भविष्यवाणी भी करता है।
क्या है भारत में चुनौतियां
भारत को छोड़ दुनिया के कई देश जैसे चीन और यूके एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान पर काम कर रहे हैं और इसमें वे काफी आगे भी हैं। इस क्षेत्र में भारत भी अपने आप को काफी तेजी से विकसित करने में लगा है लेकिन फिलहाल उसे कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
डायलोग अर्थ की एक रिपोर्ट के अनुसार, मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए विश्वसनीय डेटा की जरूरत पड़ती है जिसकी कमी से भारत जूझ रहा है।
रिपोर्ट में आईआईटी दिल्ली के कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर प्रोफेसर बागची ने कहा है कि एआई मॉडल को क्वालिटी वाले डेटा चाहिए ताकी वह सटीक भविष्यवाणी कर सके।
यही नहीं कश्मीर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रशीद ने बताया कि उन्हें भी हिमालय के बारे में जानकारी लेने के लिए डेटा की कमी का सामना करना पड़ रहा है और बिना सटीक डेटा का एआई सही से काम नहीं कर सकता है।
जानकारों का कहना है कि पुराने तरीके में फिजिक्स का इस्तेमाल होता है वहीं एआई के लिए भारी संख्या में डेटा की जरूरत पड़ती है। उनके अनुसार, एआई की सफलता डेटा एक्सेस पर निर्भर करती है। ऐसे में बेहतर एआई का तब तक कोई मतलब नहीं है, जब तक एआई को ट्रेन्ड करने के लिए उनके पास सटीक डेटा ही नहीं हो।