ऑपरेशन सिंदूर के दौरान क्या स्वर्ण मंदिर में की गई थी एयर डिफेंस गन की तैनाती, सेना और मुख्य ग्रंथी ने क्या कहा?

कुछ रिपोर्टों में सेना के एयर डिफेंस प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी'कुन्हा के हवाले से कहा गया था कि स्वर्ण मंदिर प्रबंधन ने परिसर में एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी थी।

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स्वर्ण मंदिर। Photograph: (IANS)

अमृतसरः भारतीय सेना ने मंगलवार को उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया जिनमें दावा किया गया था कि अमृतसर स्थित श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) परिसर में वायु रक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस गन) तैनात की गई थी। यह खबरें पाकिस्तान द्वारा हाल ही में किए गए ड्रोन और मिसाइल हमलों की आशंका के मद्देनजर सेना की प्रतिक्रिया के रूप में सामने आई थीं।

सेना की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, "कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया जा रहा है कि स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन तैनात की गई थीं। स्पष्ट किया जाता है कि श्री दरबार साहिब अमृतसर परिसर के भीतर किसी भी प्रकार की एयर डिफेंस गन या अन्य संसाधन तैनात नहीं किए गए थे।"

'सेना ने हमसे संपर्क नहीं किया': हेड ग्रंथि

स्वर्ण मंदिर के हेड ग्रंथि, सिंह साहिब ज्ञानी रघुबीर सिंह ने भी ऐसी किसी तैनाती की जानकारी से इनकार किया है। ज्ञानी रघुबीर सिंह ने लेफ्टिनेंट जनरल डी’कुन्हा और मीडिया रिपोर्टों के दावे को खारिज करते हुए कहा कि ना तो उनसे किसी भी सेना अधिकारी ने संपर्क किया और ना ही ऐसी कोई अनुमति दी गई। उन्होंने इस बयान को प्रोपेगेंडा बताया।

ज्ञानी रघुबीर सिंह ने कहा, "मैं 24 अप्रैल से 14 मई तक अमेरिका में छुट्टी पर था। जब मैं गया तब तक कोई सैन्य गतिविधि शुरू नहीं हुई थी, और जब तक मैं लौटा, तब तक ऑपरेशन समाप्त हो चुका था। श्री दरबार साहिब परिसर में किसी भी प्रकार की गन तैनात नहीं की गई थी और न ही कोई संवाद मेरे साथ हुआ।"

उन्होंने आगे कहा, "अगर इस मामले में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का कोई सदस्य शामिल पाया जाता है, तो एसजीपीसी को इस दावे की जांच करनी चाहिए और विभागीय कार्रवाई करनी चाहिए।"

सेना अधिकारी ने तैनाती की बात मानी थी

यह स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया जब कुछ रिपोर्टों में सेना के एयर डिफेंस प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी'कुन्हा के हवाले से कहा गया था कि स्वर्ण मंदिर प्रबंधन ने परिसर में एयर डिफेंस गन तैनात करने की अनुमति दी थी।

समाचार एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "यह अच्छा था कि हेड ग्रंथि ने हमें गन तैनात करने की अनुमति दी। कई वर्षों में शायद पहली बार स्वर्ण मंदिर की लाइट्स बंद की गईं ताकि हम ड्रोन को पहचान सकें।" 

डी'कुन्हा ने यह भी कहा कि मंदिर प्रशासन को संभावित खतरे की गंभीरता समझाई गई और राष्ट्रीय महत्व के इस धार्मिक स्थल की सुरक्षा को देखते हुए उन्होंने सहयोग दिया। उन्होंने कहा, "यह बहुत ही सराहनीय था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने हमें वहां गन तैनात करने की अनुमति दी। संभवतः वर्षों में पहली बार स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद की गईं ताकि हम ड्रोन को देख सकें।"

डी’कुन्हा ने दावा किया, "हमें इस बात का पूर्वाभास था कि पाकिस्तान कुछ ऐसा कर सकता है। उनके पास सीमा पार कोई वैध लक्ष्य नहीं था, इसलिए वे भारत के भीतर भ्रम और अराजकता फैलाना चाहते थे। हमें लगा कि वे हमारे नागरिक इलाकों और धार्मिक स्थलों को निशाना बना सकते हैं, और हमने उसी आधार पर तैयारी की।"

15वीं इन्फैंट्री डिवीजन के जीओसी मेजर जनरल कार्तिक सी. शेषाद्रि ने भी एएनआई को बताया कि स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने वाले सभी ड्रोन और मिसाइल हमलों को भारतीय सेना के एयर डिफेंस गनर्स ने सफलतापूर्वक विफल कर दिया।

उन्होंने कहा, 7 मई की रात को हमें पुख्ता जानकारी मिली थी कि पाकिस्तान किसी उचित और सटीक टार्गेट न होने के कारण सिविल ठिकानों, खासतौर पर धार्मिक स्थलों को निशाना बनाएगा। इसमें अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर सबसे अहम था। हमें अतिरिक्त जानकारी यह भी मिली कि वे(पाकिस्तान) स्वर्ण मंदिर पर भारी तादाद में ड्रोन और मिसाइल से हमला करेंगे इसलिए हमने तुरंत आधुनिक अतिरिक्त एवं उपयुक्त एयर डिफेंस उपलब्ध कराया था। हमने स्वर्ण मंदिर पर एक आंच भी नहीं आने दी।

 

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