नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लागू कर दिया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति के बाद मंगलवार को इसे आधिकारिक रूप से प्रभाव में लाया गया।

एक सरकारी बयान में कहा गया, "वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की धारा 1 की उप-धारा (2) के तहत केंद्र सरकार 8 अप्रैल, 2025 की तारीख को अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने की तिथि घोषित करती है।"

यह विधेयक पिछले सप्ताह संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था। राज्यसभा ने लगभग 17 घंटे की लंबी बहस के बाद शुक्रवार को इसे 128 मतों के पक्ष और 95 के विरोध में पारित किया। इससे पहले लोकसभा ने भी 13 घंटे की चर्चा के बाद इसे मंजूरी दी थी।

क्या है इस अधिनियम का मकसद?

सरकार का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और वक्फ बोर्डों में मुस्लिम समुदाय के विभिन्न संप्रदायों को उचित प्रतिनिधित्व देना है। अधिनियम में विरासत स्थलों की सुरक्षा, सामाजिक कल्याण योजनाओं को सशक्त बनाना, और मुस्लिम विधवाओं व तलाकशुदा महिलाओं जैसी हाशिए पर मौजूद आबादी को आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में कदम शामिल हैं।

वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं

हालांकि विपक्ष ने इस कानून की नीयत और प्रभाव को लेकर सवाल उठाए हैं। संसद द्वारा शुक्रवार को  विधेयक पारित किए जाने के तुरंत बाद संशोधनों को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह अधिनियम अल्पसंख्यकों की स्वायत्तता को कमजोर करता है और सत्ता के केंद्रीकरण को बढ़ावा देता है। कुछ आलोचकों ने इसे विभाजनकारी एजेंडा करार दिया है। कांग्रेस ने दावा किया कि यह संविधान के मूल ढांचे पर हमला है और इसका उद्देश्य धर्म के आधार पर देश को ध्रुवीकृत और विभाजित करना है।