नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि 2013 में वक्फ अधिनियम में हुए संशोधन के बाद देश भर में वक्फ बोर्डों द्वारा नियंत्रित भूमि में 116% की वृद्धि हुई है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दिए अपने जवाब में निजी और सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण करने के लिए वक्फ प्रावधानों के 'दुरुपयोग' का भी खास तौर पर जिक्र किया।
केंद्र की ओर से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को चुनौती देने वाली याचिकाओं के जवाब में कुछ आंकड़े दिए गए। इसके अनुसार देश भर में वक्फ बोर्डों के पास 'आज की तारीख' में कुल 39,02,476.356 एकड़ क्षेत्र में 8,72,870 संपत्तियां हैं। केंद्र ने जवाब में कहा, 'यह वास्तव में चौंकाने वाली बात है कि 2013 में लाए गए (वक्फ) संशोधन के बाद, औकाफ क्षेत्र में 116% की वृद्धि हुई है।'
केंद्र ने कहा, 'दूसरे शब्दों में, 2013 तक (इस अवधि में मुगल काल, आजादी के पूर्व का समय और बाद का समय शामिल है) निर्मित वक्फ का कुल क्षेत्रफल 18,29,163.896 एकड़ भूमि थी। यह वाकई चौंकाने वाली बात है कि 2013 के बाद केवल 11 वर्षों में वक्फ भूमि में 20,92,072.563 एकड़ की वृद्धि हुई है, और इस प्रकार यह 39 लाख एकड़ से अधिक भूमि हो गई है।'
अलग-अलग राज्यों का केंद्र ने पेश किया आंकड़ा
केंद्र ने कहा कि जम्मू-कश्मीर औकाफ बोर्ड के पास 2013 तक केवल 0.4199 एकड़ की एक वक्फ संपत्ति थी। इसमें 32,532 और संपत्तियां जुड़ गईं, जिससे इसकी कुल संपत्ति 31,405.53075 एकड़ हो गई। ऐसे ही झारखंड राज्य (सुन्नी) वक्फ बोर्ड के पास 2013 तक कोई संपत्ति नहीं थी। इसके बाद इसने 1,085.16284 एकड़ पर 698 और संपत्तियां जोड़ दीं।
केंद्र के जवाब के अनुसार तमिलनाडु में 2013 तक सबसे ज़्यादा 43,623 वक्फ संपत्तियां थीं। केरल राज्य वक्फ बोर्ड के पास 2013 तक 23,092 संपत्तियां थीं और उसके बाद 30,303 और जुड़ गईं। इससे कुल भूमि क्षेत्र 36,995.47248 एकड़ हो गया।
इसी प्रकार दिल्ली वक्फ बोर्ड के पास 2013 तक 0.03698 एकड़ पर 9 संपत्तियां थीं। उसके बाद उसने 28.04889 एकड़ पर 1,038 और संपत्तियां जोड़ीं। केंद्र के हलफनामे में कहा गया है कि पूरे भारत में 2013 तक 2,07,394 वक्फ संपत्तियां थीं। इसके बाद 2014 और 2025 के बीच 6,65,476 और संपत्तियां जोड़ी गईं, जो 320.9% की वृद्धि है।
'पोर्टल पर अपडेट के बाद और बढ़ेंगे आंकड़े'
केंद्र ने बताया कि ये वो आंकड़े हैं जो वक्फ बोर्डों ने अपनी मर्जी से WAMSI (भारतीय वक्फ प्रबंधन प्रणाली) पोर्टल पर अपलोड किए हैं। सरकार ने कहा कि अधिनियम की 'धारा 3बी' के तहत पोर्टल और डेटाबेस पर वक्फ का विवरण दर्ज करने के लिए 6 महीने का समय दिया गया है। एक बार संशोधित धारा 3बी के अनुसार अपडेट हो जाने के बाद आंकड़े और काफी हद तक बढ़ जाएंगे।
केंद्र द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के नियंत्रण में 6,84,235.8033 एकड़ में 2,17,161 संपत्तियां हैं। इस तरह उसके पास सबसे अधिक संपत्ति और जमीनें हैं। दूसरे स्थान पर पश्चिम बंगाल वक्फ बोर्ड है जिसके नियंत्रण में 82,150.55829 एकड़ में 80,808 संपत्तियां हैं।
पंजाब वक्फ बोर्ड के पास 61,792.65803 एकड़ में 75,965 संपत्तियां हैं। इसके बाद तमिलनाडु वक्फ बोर्ड के पास 651573.896 एकड़ में 66,092 संपत्तियां हैं। कर्नाटक राज्य औकाफ बोर्ड के पास 5,52,514.9736 एकड़ में 62,830 संपत्तियां हैं।
सरकार ने जवाब में और क्या कहा?
सरकार ने बताया कि 1923 से वक्फ बाय यूजर प्रावधान के तहत रजिस्ट्रेशन जरूरी होने के बावजूद इसका दुरुपयोग कर निजी और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जाता रहा, जिसे रोकना जरूरी था।
केंद्र सरकार ने कहा कि वक्फ बाय यूजर की व्यवस्था खत्म होने से मुस्लिम समुदाय का वक्फ करने का अधिकार नहीं छीना गया है, बल्कि कानून के दुरुपयोग पर लगाम लगाई गई है। सरकार ने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।
जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) को 5 सितंबर 2024 को दी गई जानकारी के अनुसार, 5,975 सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया जा चुका था। सरकार का कहना है कि पुराने कानून के तहत वक्फ बाय यूजर एक “सुरक्षित स्वर्ग” बन गया था, जहां से सरकारी और निजी संपत्तियों को हथियाया जा सकता था।
सरकार ने यह भी बताया कि वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में 22 सदस्यों में से अधिकतम दो गैर-मुस्लिम हो सकते हैं, जो समावेशी प्रतिनिधित्व का संकेत है। सरकार ने अपने जवाब में यह भी कहा कि पिछले 100 वर्षों से वक्फ बाय यूजर मौखिक नहीं, बल्कि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत ही होता रहा है।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)