वक्फ कानून पर पहले दिन बहस खत्म, सिब्बल-सिंघवी ने क्या-क्या दिए तर्क; SC ने क्या कहा

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सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि क्या गैर हिंदुओं को भी हिंदू बंदोबस्ती बोर्ड का हिस्सा बनने की अनुमति दी जाएगी।

सीजेआई ने केंद्र के वकील तुषार मेहता से पूछा कि 14वीं और 15वीं सदी की मस्जिदों में बिक्री विलेख नहीं होने के कारण उन्हें वक्फ बाई यूजर माना जाएगा।

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सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने अनुच्छेद 26 का जिक्र करते हुए कहा कि वक्फ बनाने के लिए सबूत की आवश्यकता है, और यह सभी समुदायों पर लागू होता है।

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अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि देशभर में आठ लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से चार लाख से अधिक वक्फ बाई यूजर के तौर पर दर्ज हैं, जो संशोधन के बाद खतरे में हैं।

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सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि संसद भवन की जमीन भी वक्फ की हो सकती है और अयोध्या केस के फैसले इस मामले में लागू नहीं होते।

संशोधित वक्फ अधिनियम पर अंतरिम रोक लगाने की मांग की गई है, ताकि इस पर अंतिम निर्णय आने तक संशोधन लागू न हो।

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अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने अधिनियम की धारा 3(आर) पर ध्यान देने की बात कही, जो 'इस्लाम का पालन करना' को आवश्यक धार्मिक अभ्यास मानता है, जिससे नागरिकों के मौलिक अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बाई यूजर संपत्तियों को गलत नहीं माना जा सकता, लेकिन इस मामले में स्पष्टता की आवश्यकता है।

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