नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 73 से ज्यादा याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में दूसरे दिन की सुनवाई हो गई। यह कानून 8 अप्रैल, 2025 से लागू हुआ था। इस कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और नियंत्रण में सुधार लाना है, लेकिन विपक्षी दलों, मुस्लिम संगठनों और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इसे "मुस्लिम विरोधी" और "असंवैधानिक" कहकर चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट अब अगली सुनवाई 5 मई को करेगा।
चीफ जस्टिस ने कहा, 'केंद्र सरकार, राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड एक हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल करें।" सीजेआई ने यह भी कहा, "1995 और 2013 के वक्फ कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट की कॉज लिस्ट (सुनवाई की सूची) में अलग से लगाई जाएंगी, ताकि उन्हें अलग से सुना जा सके। सीजेआई ने कहा, "केंद्र सरकार, राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड एक हफ्ते के अंदर अपना जवाब दाखिल करें।"
अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं
अगले आदेश तक वक्फ में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने अपने अंतरिम आदेश में कहा, "सुनवाई के दौरान एसजी मेहता ने कहा कि प्रतिवादी 7 दिनों के भीतर एक संक्षिप्त जवाब दाखिल करना चाहते हैं और आश्वासन दिया कि अगली तारीख तक 2025 अधिनियम के तहत बोर्ड और परिषदों में कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अधिसूचना या राजपत्रित द्वारा पहले से घोषित यूजर्स द्वारा वक्फ सहित वक्फों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। जवाब 7 दिनों के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए। उस पर जवाब सेवा के 5 दिनों के भीतर दाखिल किया जाना चाहिए।"
सरकार ने एक सप्ताह का मांगा समय
भारत सरकार का पक्ष रखते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार महता ने एक सप्ताह का समय मांगा है। उन्होंने कहा कि कृपया मुझे कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दें। यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर इस तरह से विचार किया जा सके।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब देने के लिए एक सप्ताह का समय दिया जाए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि अगर उच्चतम न्यायालय 'वक्फ बाय यूजर' के बारे में कुछ कहेगा, तो इसका क्या परिणाम होगा?
केंद्र सरकार को सात दिन का समय दिया
केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय को आश्वासन दिया कि वह अगली सुनवाई तक 'वक्फ बाय डीड' और 'वक्फ बाय यूजर' को गैर-अधिसूचित नहीं करेगा। उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को सात दिन का समय दिया। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वक्फ मामले में इतनी सारी याचिकाओं पर विचार करना असंभव, केवल पांच पर ही सुनवाई होगी।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि याचिकाकर्ता केंद्र के जवाब पर पांच दिन में प्रत्युत्तर दाखिल कर सकते हैं, जिसके बाद वह मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध करेगा। उच्चतम न्यायालय ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए पांच मई की तारीख तय की।