नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया है। राज्य सभा में करीब 11 घंटे यानी देर रात तक चली चर्चा के बाद रात करीब ढाई बजे यह पारित हो गया। इसके साथ ही विधेयक को संसद की दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। राज्य सभा में विधेयक के पक्ष में 128 और विरोध में 95 मत पड़े। लोकसभा ने बुधवार को करीब 12 घंटे की चर्चा के बाद इसे मंजूरी दी थी।
अब इसके कानून बनने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी का इंतजार है। सरकार ने बताया है कि इस विधेयक का उद्देश्य वक्फ अधिनियम में संशोधन के जरिए वक्फ बोर्ड के ढांचे में बदलाव और कानूनी विवादों को कम करना है। विधेयक को पारित करने के लिए राज्यसभा की बैठक (शुक्रवार) रात 2:30 बजे के बाद तक चली।
विपक्ष के सभी संशोधन गिरे
विपक्ष से सभी संशोधन गिर गए। तमिलनाडु से डीएमके सांसद तिरुचि शिवा के एक संशोधन पर मत विभाजन हुआ, हालांकि यह संशोधन भी गिर गया। इससे पहले अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने चर्चा का जवाब देते हुए विपक्ष के इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि सरकार अल्पसंख्यकों को डराने के लिए यह विधेयक लाई है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को डराने और गुमराह करने का काम विपक्ष कर रहा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि विधेयक से मुसलमानों को कोई नुकसान नहीं होगा।
विपक्षी सांसदों से मुसलमानों को गुमराह न करने की अपील करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो फैसला लिया है, वह बहुत सोच-समझकर किया है। वे (विपक्षी सदस्य) बार-बार कह रहे हैं कि हम मुसलमानों को डरा रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। हम नहीं, बल्कि आप मुसलमानों को डराने का काम कर रहे हैं। जिन लोगों ने कहा था कि सीएए पारित होने के बाद मुसलमानों की नागरिकता छिन जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आप इस बिल को लेकर मुसलमानों को गुमराह नहीं कीजिए।'
मंत्री ने कहा कि जब यह बिल ड्राफ्ट हुआ तो उसमें सभी के सुझाव को ध्यान में रखा गया। वक्फ बिल के मूल ड्राफ्ट और मौजूदा ड्राफ्ट को देखें तो उसमें हमने कई बदलाव किए हैं। ये बदलाव सबके सुझाव से ही हुए हैं। जेपीसी में ज्यादातर लोगों के सुझाव स्वीकार हुए हैं। सारे सुझाव स्वीकार नहीं हो सकते। जेपीसी में शामिल दलों के सांसदों ने आरोप लगाया कि उनके सुझाव को नहीं सुना गया। लेकिन ऐसी स्थिति में हमने बहुमत से फैसला किया। लोकतंत्र में ऐसा ही होता है।
मंत्री ने कहा कि वक्फ बोर्ड के 11 सदस्यों में तीन से ज्यादा गैर-मुस्लिम नहीं होंगे, इसका प्रावधान किया गया है, ताकि मुसलमानों के हितों के साथ समझौता न हो। साथ ही उन्होंने कहा कि जेपीसी में विपक्ष की आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए इसे पूर्व प्रभाव से लागू नहीं किया गया है।
'मुसलमानों को गुमराह कर रहा विपक्ष'
इससे पहले चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के नेताओं ने इसके फायदे गिनाए और विपक्ष पर देश के मुसलमानों को गुमराह करने के आरोप लगाए। दूसरी ओर, विपक्ष के नेताओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताया।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक का मूल उद्देश्य रिफॉर्म्स लाकर वक्फ की प्रॉपर्टी का उचित प्रबंधन करना है। उन्होंने कहा कि इस सदन के माध्यम से देश की जनता को बताना चाहता हूं कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार पूरी तरह से लोकतांत्रिक नियमों का पालन करके आगे बढ़ रही है। वक्फ संपत्तियों के सही रखरखाव और जवाबदेही तय करने की जरूरत है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर 70 साल तक किसने मुस्लिम समुदाय को डर में रखा? उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक इस नीति को अपनाया, लेकिन अब जनता ने इसका परिणाम देख लिया है।
राजनीतिक फायदे का हथियार बनाया जा रहा: खड़गे
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह वक्फ विधेयक कोई सामान्य कानून नहीं है। इस कानून को राजनीतिक फायदे के लिए हथियार बनाया जा रहा है। यह देश की विविधता को सुनियोजित तरीके से कमजोर करने के लिए मोदी सरकार द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। लोकसभा में देर रात यह विधेयक पारित हुआ तो इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि विभिन्न दलों के विरोध के बाद भी मनमानी से यह विधेयक लाया गया। भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण की काफी बात कर रही है। सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं। लेकिन सच्चाई सरकार के पांच साल के अल्पसंख्यक विभाग के बजट आवंटन से साफ है।
खड़गे ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-20 में इस विभाग का बजट आवंटन 4,700 करोड़ रुपये था जो घटकर 2023-24 में 2,608 करोड़ रह गया। वित्त वर्ष 2022-23 में बजट आवंटन 2,612 करोड़ रुपये था, जिसमें से 1,775 करोड़ रुपये का खर्च मंत्रालय नहीं कर पाया। कुल मिलाकर पांच साल में बजट मिला 18,274 करोड़ रुपये, जिसमें से 3,574 करोड़ खर्च नहीं हो पाए।
अपनी जमीन जिसे दान देना चाहूं दे सकता हूं: कपिल सिब्बल
निर्दलीय राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने गुरुवार को सदन में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान कहा कि वह अपनी संपत्ति जिसे चाहें, दान दे सकते हैं; उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, "मान लीजिए मैं हिंदू हूं, मुस्लिम हूं, सिख हूं या ईसाई हूं और मेरे पास कोई संपत्ति है जिसे मैं दान में देना चाहता हूं, तो मुझे कौन रोक सकता है, कोई भी नहीं रोक सकता।"
उन्होंने कहा कि 1954 और 1995 में जो प्रावधान किए गए, उनमें कहा गया था कि केवल मुसलमान वक्फ बना (दान दे) सकते हैं। कोई और व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी यहां वक्फ बोर्ड को दान नहीं दे सकता। साल 2013 में जो संशोधन लाया गया, उसने इस प्रतिबंध को समाप्त कर दिया। अब इस नए संशोधन विधेयक में यह कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ दे सकते हैं। उन्होंने ऐसे अदालती फैसलों का जिक्र किया, जहां हिंदुओं ने अपनी जमीनें विभिन्न परियोजनाओं जैसे कि कब्रिस्तान आदि के लिए दान में दी हैं।
टीएमसी और बीआरएस ने किया विरोध
टीएमसी और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने राज्यसभा में वक्फ बिल का विरोध किया। टीएमसी सांसद सुष्मिता देव ने कहा कि जब भी बीजेपी हारेगी, हारेगी जरूर। हम जब सत्ता में आएंगे तो सबसे पहले इस बिल के असंवैधानिक प्रावधान हटाएंगे। बीआरएस के सांसद केआर सुरेश रेड्डी ने कहा कि आपको सुधार की जरूरत लगी तो राज्यों के साथ विचार-विमर्श करना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि हमें आपके इंटेंट पर शंका है। दरगाहों पर जाता रहता हूं, 55 फीसदी हिंदू जाते हैं, मन्नतें मांगते हैं। आप आज ये बिल लाए हैं कि गैर मुस्लिम वक्फ को नहीं दे सकते तो आप करना क्या चाहते हैं। क्या आप कन्वर्जन को बढ़ावा देना चाहते हैं या दरगाहों पर जाने से रोकना चाहते हैं। बड़े-बड़े लोग जाते हैं, अडानी जी भी जाते हैं। देश के सेक्यूलर ताने-बाने के खिलाफ है ये बिल। तेलंगाना में आज भी कई लोग जुबानी, सादा बैनामा करते हैं। सरकार रिफॉर्म लाती है तो हम कागज की भी इज्जत करते हैं। हम चाहते हैं कि आप बिल वापस ले लें। सेक्यूलरिज्म यहां शहीद हो रहा है। हम बिल का विरोध करते हैं।
राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने वक्फ बिल का समर्थन किया। जनता दल (सेक्यूलर्) के एचडी देवगौड़ा ने वक्फ बिल का समर्थन करते हुए कहा कि यहां हमने वर्षों तक एक-एक, दो-दो मिनट के लिए सफर किया है। उम्मीद है कि वक्फ प्रॉपर्टी का भविष्य सुरक्षित होगा।
(समाचार एजेंसी IANS के इनपुट के साथ)