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नई दिल्ली: औरगंजेब को लेकर एक बार फिर देश में चल रही तमाम तरह की बहसों के बीच सोशल मीडिया पर भी काफी कुछ कहा जा रहा है। इन बहसों के दौरान राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) से जुड़ा एक मुद्दा भी चर्चा में है। यह मामला पुराना है लेकिन औरंगजेब पर जारी बहस के बीच एक बार फिर सुर्खियों में आने लगा है।
दरअसल, एनसीईआरटी की 12वीं की किताब में कुछ ऐसे अंश हैं, जिसमें कहा गया कि औरंगजेब और अन्य मुगल राजाओं ने हिंदू मंदिरों के पुनर्निमाण और जिर्णोद्धार आदि के लिए अनुदान जारी किए। किताब के इसी दावे को लेकर एक शिवांक वर्मा नाम के एक छात्र ने आरटीआई दायर किया था और किताब में दी गई जानकारी के स्रोत के बारे में पूछा था। इस पर एनसीईआरटी की ओर से कहा गया कि मांगी गई जानकारी के संबंध में उनके पास कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। यह मामला 2020 का है।
आरटीआई में NCERT से दो सवाल
एनसीआईआरटी की किताब में दी गई जानकारी हवाला देते हुए शिवांक वर्मा ने आरटीआई में दो सवाल पूछे थे। इसमें एक सवाल था- किस आधार पर यह बताया गया है कि युद्ध में मंदिरों के टूटने आदि पर शाहजहां और औरंगजेब की ओर से इनकी मरम्मत के लिए अनुदान जारी किए गए थे। साथ ही दूसरा सवाल था कि कितने ऐसे मंदिर हैं जिनकी मरम्मत शाहजहां और औरंगजेब ने करवाई थी। दोनों ही सवालों पर एनसीईआरटी का जवाब था कि इस संबंध में कोई सूचना उपलब्ध नहीं है।
इस पुराने वायरल पोस्ट पर प्रोफेसर शमिका रवि की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। शमिका रवि वर्तमान में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की सदस्य हैं। उन्होंने किताब तैयार करने वाली टीम के सदस्यों के नाम की तस्वीरें शेयर करते हुए लिखा, 'पाठ्यपुस्तक विकास एक गंभीर शैक्षणिक मामला है। इसीलिए ऐसा कार्य शिक्षाविदों और विद्वानों को दिया जाता है - नौकरशाही को नहीं। तो, जबकि एनसीईआरटी इसका स्रोत नहीं है, तो शायद जिम्मेदार शिक्षाविदों के इस समूह में से किसी के पास जवाब हो।'
बता दें कि हाल में हिंदी फिल्म 'छावा' के आने के बाद औरंगजेब पर बहस शुरू हुई। इस बीच महाराष्ट्र में अबू आजमी के औरंगजेब की तारीफ करने पर बहस ने और राजनीतिक रूप ले लिया। हालात ऐसे बने कि सपा विधायक अबू आजमी को महाराष्ट्र विधानसभा से मौजूदा सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया। इसके बाद आजमी सफाई देते हुए कहना पड़ा कि उनकी बातों को गलत तरीके से पेश किया गया है।