जगदीप धनखड़ का कार्यकाल के बीच में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा, अब आगे क्या...कैसे होता है चुनाव?

राष्ट्रपति पद के लिए संविधान के अनुसार रिक्त पद को छह महीने के भीतर भरना आवश्यक है। वहीं, उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसी कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है।

Jagdeep Dhankar

जगदीप धनखड़ Photograph: (IANS)

नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार देर रात अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे वाले पत्र में स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया। हालांकि, इस तरह अचानक इस्तीफे ने कई लोगों को हैरान कर दिया है। इसमें विपक्ष भी शामिल है। कांग्रेस समेत विपक्ष ने जगदीप धनखड़ को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

बहरहाल, धनखड़ के इस्तीफे से देश का दूसरे सबसे बड़ा संवैधानिक पद खाली हो रहा है। यह एक तरह का दुर्लभ मामला है। ऐसा इसलिए क्योंकि धनखड़ भारत के इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले इस्तीफा देने वाले केवल तीसरे उपराष्ट्रपति हैं। इससे पहले वी.वी. गिरि और आर. वेंकटरमन ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ा था। उनके बाद क्रमशः गोपाल स्वरूप पाठक और शंकर दयाल शर्मा ने वो पद संभाला था। 

वैसे, उपराष्ट्रपति पद के बीच में खाली होने जाने के कुछ और उदाहरण भी हैं, लेकिन धनखड़ से पहले केवल वीवी गिरि और आर वेंकटरमन- दो ऐसे नाम हैं जिन्होंने कार्यकाल का तीन साल भी पूरा नहीं किया और इस्तीफा दिया। अब सवाल है कि धनखड़ के इस्तीफे के बाद पैदा हुई परिस्थिति को लेकर संविधान में क्या व्यवस्था है और साथ ही ये भी कि नए उपराष्ट्रपति का चुनाव कब तक हो सकता है? आईए समझते हैं।

उपराष्ट्रपति का कामकाज अब कौन करेगा, चुनाव कब?

संविधान में कार्यवाहक उपराष्ट्रपति का प्रावधान नहीं है। चूँकि उपराष्ट्रपति राज्यसभा के भी सभापति होते है, इसलिए अभी राज्यसभा के उपसभापति ( वर्तमान में हरिवंश नारायण सिंह) उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में सदन की अध्यक्षता करेंगे। ऐसे में फिलहाल राज्यसभा के कामकाज में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा।

अब बात उपराष्ट्रपति के चुनाव संबंधी व्यवस्था की करते हैं। राष्ट्रपति पद के लिए संविधान के अनुसार रिक्त पद को छह महीने के भीतर भरना आवश्यक है। वहीं, उपराष्ट्रपति पद के लिए ऐसी कोई निश्चित समय-सीमा नहीं है। केवल यह आवश्यक है कि पद रिक्त होने के बाद 'जल्द से जल्द' चुनाव कराए जाएँ। चुनाव आयोग कार्यक्रम की घोषणा करेगा। यह चुनाव राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव अधिनियम-1952 के तहत आयोजित किया जाता है। परंपरा के अनुसार, इस चुनाव के लिए संसद के दोनों सदन के सेक्रेटरी जनरल को बारी-बारी से निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया जाता है। नियमों के अनुसार निर्वाचित उम्मीदवार पदभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगा। 

उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है?

उपराष्ट्रपति का चुनाव संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों से बने निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाता है। इसमें राज्य सभा के मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं। राज्य विधान सभाएँ इसमें भाग नहीं लेतीं, जैसा कि राष्ट्रपति के चुनाव में होता है।

नई दिल्ली में संसद भवन में वोटिंग होती है। इसमें आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली यानी प्रपोर्शनल रिप्रजेंटेशन सिस्टम का इस्तेमाल होता है। उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोटों की गिनती की प्रक्रिया सबसे अलग होती है। आसान भाषा में समझा जाए तो इस चुनाव में सदस्य किसी एक उम्मीदवार को वोट नहीं डालते हैं। वे अपनी पसंद की प्राथमिकता बताते हुए बैलेट पेपर पर उम्मीदवार के नाम के आगे 1, 2, या 3 लिखते हैं। हर बैलेट पेपर का एक वोट मान्य होता है।

- सबसे पहले प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त किए गए प्रथम वरीयता वाले मतों की संख्या का पता लगाया जाता है।

- इस प्रकार पता लगाई गई संख्याओं को जोड़ा जाता है। कुल को दो से भाग दिया जाता और फिर उसमें एक जोड़ दिया जाता है। इसके बाद जो संख्या आई वो किसी उम्मीदवार के लिए चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त 'कोटा' मानी जाती है।

- यदि वोटों की पहले राउंड की गिनती में किसी उम्मीदवार को प्राप्त कुल मतों की संख्या 'कोटे' के बराबर या उससे अधिक हो, तो उस उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता है।

- यदि काउंटिंग के अंत में किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जा सके, तो फिर प्रक्रिया और लंबी हो जाती है।

- ऐसी स्थिति में, इस चरण तक जिस उम्मीदवार को सबसे कम संख्या में मत (प्राथमिकता के तौर पर) मिले हों, उसे चुनाव से बाहर कर दिया जाएगा, और उसके सभी मतपत्रों की एक-एक करके फिर समीक्षा की जाएगी। फिर ये देखा जाएगा कि दूसरी प्राथमिकता किसे दी गई है। ये वोट फिर दूसरे उम्मीदवार को बतौर पहली प्राथमिकता के तौर पर ट्रांसफर कर दी जाती है। 

- इसके बाद देखा जाता है कि सारे वोट मिला देने से अगर किसी उम्मीदवार को जरूरी कोटा या उससे ज्यादा वोट मिल जाता है तो उसे निर्वाचित घोषित किया जाएगा। अगर इस चरण तक भी कोई चयन नहीं हो पाता है तो एक बार फिर वही प्रक्रिया दोहराई जाएगी। इस तरह ये प्रक्रिया तब तक चलती रहेगी जब तक किसी उम्मीदवार की जीत का फैसला नहीं हो जाए।

उपराष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए क्या शर्तें हैं?

उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने वाले व्यक्ति को भारत का नागरिक होना चाहिए। उम्र कम से कम 35 वर्ष का होना चाहिए। राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के योग्य होना चाहिए, और किसी भी संसदीय क्षेत्र में मतदाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए। उन्हें राष्ट्रपति, राज्यपाल या मंत्री जैसे पदों को छोड़कर, केंद्र या राज्य सरकारों के अधीन किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए।

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