वर्धमान ग्रुप के मालिक एसपी ओसवाल के साथ 7 करोड़ की धोखाधड़ी करने वाले 2 स्कैमर गिरफ्तार, जानें कैसे हुआ था स्कैम

दिग्गज कारोबारी ने बताया कि रात दिन निगरानी के कारण वे सही से सो नहीं पाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि स्कैमर जिस तरीके से उनके साथ पेश आते थे या फिर जो भी कागजात पेश करते थे, उससे यह जरा भी पता नहीं चलता था कि यह सब फर्जी है।

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Vardhman Group chief S P Oswal defrauded of Rs 7 crore kept in digital custody for 2 days fake Supreme Court hearing 2 scammers arrested from Assam

प्रतीकात्मक तस्वीर (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: टैक्सटाइल क्षेत्र में लुधियाना की दिग्गज वर्धमान ग्रुप के चेयरमैन एसपी ओसवाल के साथ करोड़ों का स्कैम हुआ है। 82 साल के पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानि उद्योगपति से स्कैमरों ने सात करोड़ का फ्रॉड किया है।

स्कैमरों ने फर्जी सीबीआई और ईडी सहित विभिन्न हाई-प्रोफाइल संस्थानों के अधिकारियों का हवाला देकर सुप्रीम कोर्ट की फेक सुनवाई भी चलाई थी। ओसवाल को 27 अगस्त से "डिजिटल हिरासत" में रखा गया था और दो दिन में उनसे सात करोड़ पैसे ट्रांसफर करवाए गए थे।

इस मामले में एसपी ओसवाल ने 31 अगस्त को पुलिस से शिकायत की है। लुधियाना पुलिस ने रविवार को असम से दो लोगों को गिरफ्तार भी किया है। पुलिस को मामले में शामिल सात अन्य लोगों की भी तलाश है जो पश्चिम बंगाल और दिल्ली जैसे जगहों पर छिपे हुए हैं।

गिरफ्तार आोरपियों के पास से पुलिस ने ओसवाल से फ्रॉड किए हुए 5.25 करोड़ रुपए जब्त कर लिए हैं।

स्कैमरों ने कैसे किया था स्कैम

पुलिस शिकायत में एसपी ओसवाल ने बताया कि 27 अगस्त को उन्हें एक कॉल आई थी जिसमें कथित भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के एक अधिकारी ने उन्हें धमकी दी थी। अधिकारी ने ओसवाल को कहा था कि अगर वे अपने फोन से नौ नंबर नहीं दबाते हैं तो उनके फोन की सेवाएं बंद कर दी जाएगी।

इस पर उन्होंने अपने फोन से वह नंबर दबा दिया था जिसके बाद कॉल कट गया था। ओसवाल ने बताया कि कुछ घंटों के बाद उन्हें एक और कॉल आया था जिसमें एक शख्स ने खुद को सीबीआई अधिकारी होने का दावा किया था।

नरेश गोयल से जुड़ी मनी-लॉन्ड्रिंग में ओसवाल को बताया था संदिग्ध

ओसवाल के अनुसार, कथित अधिकारी ने उन्हें बताया था कि वे जेट एयरवेज के संस्थापक नरेश गोयल से जुड़ी मनी-लॉन्ड्रिंग जांच में एक संदिग्ध है। कथित अधिकारी ने उन्हें आगे बताया कि इस मामले में आगे जांच होगी। इसके बाद स्कैमरों ने ओसवाल को मुंबई पुलिस के स्टैंप वाले कुछ कागजात भेजे गए थे।

एसपी ओसवाल ने बताया कि उसी दिन फर्जी सीबीआई का उनके व्हाट्सऐप पर एक ऑर्डर भी भेजा गया था जिसमें फेक सीबीआई टीम द्वारा "डिजिटल हिरासत" की बात कही गई थी। उन लोगों ने ओसवाल की गतिविधियों को स्काइप के जरिए नियंत्रित करना शुरू कर दिया था।

"डिजिटल हिरासत" के बारे में जानकारी देने पर सजा का दावा

स्कैमरों द्वारा फर्जी सीबीआई ऑर्डर में "डिजिटल हिरासत" को लेकर 70 प्वाइंट का जिक्र किया था। उन लोगों ने ओसवाल से कहा था कि ऑर्डर को किसी के साथ शेयर करने पर उनको तीन से पांच साल की सजा हो सकती है।

ओसवाल ने बताया कि स्कैमरों की टीम ने उनकी दिन भर मॉनिटरिंग की थी और कही जाने के लिए उन्हें उनकी इजाजत लेनी होती थी। अलगे दिन यानी 28 अगस्त को इस मामले में फर्जी सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के लिए उन्हें जानकारी दी गई थी।

स्कैमरों ने मुख्य न्यायाधीश द्वारा मामले की सुनवाई का दावा किया था

ओसवाल ने बताया कि उन्हें बताया गया था इस मामले में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचडू़ सुनवाई करेंगे। हालांकि जब सुनवाई शुरू हुई तो चेहरा साफ नहीं आने के कारण कथित मुख्य न्यायाधीश को वे देख नहीं पाए थे।

सुनवाई के दौरान उनके खिलाफ फैसला सुनाया गया था। फैसले में उनकी हिरासत को एक और दिन यानी 29 अगस्त तक बढ़ा दी गई थी।

सुनवाई के बाद ओसवाल को पैसे ट्रांसफर को कहा गया था

फैसला सुनाते हुए कथित मुख्य न्यायाधीश ने ओसवाल को नरेश गोयल मामले से जुड़ी मनी-लॉन्ड्रिंग के पैसों को एक कथित गुप्त खाते में ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया था। ओसवाल ने बताया कि वे नरेश गोयल को नहीं जानते हैं और न ही वे कभी उनसे मिले हैं।

निरंतर निगरानी में रहने वाले ओसवाल ने बताया कि पैसे नहीं ट्रांसफर करने पर उन्हें गिरफ्तार करने की भी धमकी दी गई थी। उन्होंने दो दिन में दो अलग-अलग लेनदेन में सात करोड़ उस खाते में ट्रांसफर किए थे।

निगरानी के कारण ओसवाल सही से सो नहीं पाए थे 

ओसवाल ने बताया कि दो दिन तक उनकी रात दिन निगरानी की गई थी और इस दौरान उन्हें उनके फोन को दूर में रखने को कहा गया था।

दिग्गज कारोबारी ने बताया कि रात दिन निगरानी के कारण वे सही से सो नहीं पाए थे। उन्होंने यह भी कहा कि स्कैमर जिस तरीके से उनके साथ पेश आते थे या फिर जो भी कागजात पेश करते थे, उससे यह जरा भी पता नहीं चलता था कि यह सब फर्जी है।

ओसवाल ने कहा है कि स्कैमरों द्वारा पेश किए गए कागजातों में कई बड़े सरकारी संस्थानों के स्टैंप लगे हुए थे जिन्हें फर्जी समझना लगभग असंभव हो रहा था।

एसपी ओसवाल को कैसे हुआ शक

ओसवाल ने बताया कि स्कैमरों को सात करोड़ ट्रांसफर करने के बाद उन लोगों ने आगे और पैसों की डिमांड की थी। स्कैमरों ने ओसवाल के मुंबई स्थित कनारा बैंक में वित्तीय अनियमितताओं का जिक्र किया था और उनसे अतिरिक्त दो करोड़ रुपए की मांग की थी।

स्कैमरों के इस जिक्र और डिमांड पर ओसवाल को यह एहसास हो गया था कि उनके साथ स्कैम हुआ है। 29 अगस्त को ओसवाल ने अपने खराब सेहत का हवाला देकर अस्पताल जाने की बात कही थी।

तीसरी बार पैसे नहीं भेजने पर भी दी थी गिरफ्तारी की धमकी

इसके बाद ओसवाल ने अपने वरिष्ठ सहकर्मी विकास कुमार के साथ अपनी आपबीती साझा की थी जिसे उन्होंने फर्जी करार दिया था। ओसवाल ने बताया कि इसके बाद उन्होंने स्कैमरों को और पैसे नहीं देने और इसका विरोध करने की बात कही थी।

इसके बाद स्कैमरों ने उन्हें तुरंत हिरासत में लेने की धमकी दी थी। ओसवाल ने बताया कि स्कैमरों ने उन्हें फर्जी ईडी द्वारा गिरफ्तार करने का एक ऑर्डर भी भेजा था। इस ऑर्डर के बावजूद ओसवाल ने और पैसे भेजने से इनकार कर दिया था और पुलिस से इसकी शिकायत की थी।

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