स्लीपर वंदे भारत के शुरू होने में होगी देरी, कोच के डिजाइन अब तक नहीं हुए फाइनल: रिपोर्ट

वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के लिए कोच का निर्माण रूस में होना है। रूसी फर्म टीएमएच के साथ 55,000 करोड़ रुपये का कॉन्ट्रैक्ट हुए भी 14 महीने हो गए हैं। हालांकि, डिजाइन पर पेंच फंसा हुआ है।

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वंदे भारत की पहली महिला लोको पायलट रितिका तिर्की को मिला राष्ट्रपति का न्योता, फोटोः आईएएनएस

मॉस्को: वंदे भारत स्लीपर ट्रेन के शुरू होने में अभी कुछ देरी हो सकती है। रेलवे ने दरअसल अभी तक इस सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन के नए स्लीपर कोच संस्करण के लिए डिजाइन को अंतिम रूप नहीं दिया है। ऐसी स्थिति तब है जब स्लीपर वंदे भारत के लिए रूसी फर्म टीएमएच के साथ एक संयुक्त समझौते के तहत 55,000 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर 14 महीने पहले ही हो गए थे।

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार एक कोच में अधिक शौचालय (तीन के बजाय चार), प्रत्येक ट्रेन सेट में एक पेंट्री कार और प्रत्येक कोच में सामान रखने की अलग जगह के मुद्दे को लेकर अंतिम डिजाइन अभी फाइनल नहीं किया जा सका है। इसकी वजह से परियोजना लागत में वृद्धि और ट्रेन के परिचालन को शुरू करने में देरी संभव है।

वंदे भारत स्लीपर कोच के डिजाइन पर फंसा है पेंच

रिपोर्ट के अनुसार टीएमएच के सीईओ किरिल लीपा (Kirill Lipa) ने बताया कि यह मामला पिछले हफ्ते दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर और रूस के पहले डिप्टी पीएम डेनिस मंटुरोव के बीच एक उच्च स्तरीय समिति की बैठक में उठाया गया था। उन्होंने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी इस मुद्दे से अवगत हैं।

किरिल ने कहा, 'हमने बैठक के दौरान इस मुद्दे को उठाया। ऐसा नहीं है कि हम रूसी सरकार से कोई दबाव चाहते हैं, बल्कि हम चाहते हैं कि भारतीय रेलवे हमें महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण दे। इसके लिए हमें भारतीय सरकार से भी कुछ समर्थन की जरूरत है।'

वंदे भारत के 1920 स्लीपर कोच का करना है निर्माण

टीएमएच किनेट रेलवे सॉल्यूशंस, रूसी फर्म के एसपीवी और भारतीय रेलवे पीएसयू आरवीएनएल में प्रमुख शेयरधारक है। इसने अनुबंध हासिल किया और सितंबर 2023 में भारतीय रेलवे के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के तहत टीएमएच 1920 वंदे भारत स्लीपर कोचों का निर्माण करेगी और अगले 35 वर्षों तक उसका रखरखाव भी देखेगी।

किरिल ने कहा कि इस साल मई तक उन्हें उम्मीद थी कि साल के अंत तक ट्रेन का पहला प्रोटोटाइप तैयार कर लिया जाएगा। उन्होंने आगे कहा, 'लेकिन भारतीय रेलवे ने डिजाइन में बदलाव की मांग की और हमें फिर से काम करना पड़ा। ये बदलाव समय और अतिरिक्त बजट की जरूरत पैदा कर रहे हैं।' किनेट ने डिजाइन में बदलाव के लिए मुआवजे की भी मांग की है।

दूसरी ओर रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा कि अनुबंध समझौते के अनुसार 'तकनीकी संशोधन' सुझाए गए थे और किनेट ने 'चार-पांच महीने बाद' जवाब दिया है। इसे अभी देखा जा रहा है।

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