: केंद्र और राज्य सरकार ने राहत और बचाव कार्य में झोंकी ताकत, युद्धस्तर पर जारी अभियान। फोटोः IANS
Uttarkashi Cloudbursts: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में मंगलवार को अचानक आई भीषण बाढ़ और भूस्खलन ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि 70 से अधिक लोग, जिनमें 9 सेना के जवान भी शामिल हैं, लापता हैं। अब तक करीब 150 लोगों को सुरक्षित निकाला गया है, लेकिन 200 से अधिक ग्रामीण अब भी फंसे हुए हैं।
धराली गांव, जो समुद्र तल से लगभग 2,745 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, अचानक कीचड़ और पानी की एक विशाल धारा में समा गया। शुरुआत में इसे बादल फटने की घटना माना गया, लेकिन इंडिया टुडे ने भारतीय मौसम विभाग (IMD) के हवाले से लिखा है कि घटना के समय आसपास के किसी भी स्टेशन में क्लाउडबर्स्ट दर्ज नहीं हुआ। इस विरोधाभास ने वैज्ञानिकों को उलझन में डाल दिया है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि विशेषज्ञों का कहना है कि 3,000 मीटर से अधिक ऊंचाई पर कोई तीव्र वर्षा घटना हुई हो सकती है, जो नियमित मौसम स्टेशनों की निगरानी से बाहर थी। इसने नीचे बसे धराली जैसे गांवों में कीचड़ और मलबे के साथ भयानक जलप्रवाह को जन्म दिया।
विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन इस घटना की एक बड़ी वजह हो सकती है। बढ़ते तापमान के कारण हिमालयी क्षेत्र में बर्फबारी के स्थान पर बारिश बढ़ रही है, जिससे भूस्खलन और अचानक बाढ़ की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आपदाग्रस्त इलाके का दौरा किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फोन पर बात कर स्थिति की जानकारी ली और केंद्र सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। मुख्यमंत्री धामी ने बुधवार सुबह स्वयं आपदा क्षेत्र का दौरा किया और पीड़ितों से मुलाकात की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राहत सामग्री शीघ्रता से प्रभावितों तक पहुंचाई जाए और किसी भी स्तर पर ढिलाई न बरती जाए।
राज्य सरकार ने दो हेलीकॉप्टरों के माध्यम से राहत सामग्री धराली क्षेत्र में पहुंचाई, जबकि केंद्र सरकार ने 2 चिनूक और 2 एमआई-17 हेलीकॉप्टर चंडीगढ़, सरसावा और आगरा से भेजे हैं, जो भारी मशीनरी और राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं।
केंद्र और राज्य ने बचाव कार्य में झोंकी ताकत
बचाव कार्य में भारतीय सेना के 125 जवान, आईटीबीपी के 83 जवान, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, पुलिस और राजस्व विभाग की टीमें लगातार जुटी हुई हैं। बीआरओ के 100 से अधिक मजदूर और 6 अधिकारी भी अभियान में सक्रिय हैं। ये सभी टीमें लगातार 25 फीट ऊंचे मलबे को हटाने के प्रयास में लगी हैं, ताकि फंसे हुए लोगों तक पहुंच बनाई जा सके। इसके साथ ही लिमचागाड़ नदी पर एक अस्थायी पुल का निर्माण भी किया जा रहा है।
स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत घायलों के लिए एम्स ऋषिकेश, दून मेडिकल कॉलेज और कोरोनेशन अस्पताल में विशेष बेड आरक्षित किए गए हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीमें, जिनमें मनोचिकित्सक भी शामिल हैं, उत्तरकाशी भेजी गई हैं। हर्षिल, झाला और जीएमवीएन गेस्ट हाउस में राहत शिविर बनाए गए हैं। बिजली और संचार व्यवस्था की बहाली के लिए भी प्रयास तेज कर दिए गए हैं।
हालांकि गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग कई स्थानों पर अवरुद्ध है। लिमचागाड़ नदी पर बना पुल बह जाने के कारण कई राहत दल रास्ते में ही फंसे हुए हैं। लगातार बारिश और भूस्खलन बचाव कार्यों में बड़ी चुनौती बनकर सामने आ रही है। एनडीआरएफ के डीआईजी ऑपरेशन्स मोसेन शाहेदी के अनुसार, तीन टीमें रवाना की गई हैं, लेकिन ऋषिकेश-उत्तरकाशी हाईवे बंद होने के कारण वे मौके पर नहीं पहुंच पा रहीं।