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नई दिल्ली: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का विरोध करने के लिए विपक्ष की आलोचना की। उन्होंने कहा कि गरीब मुसलमानों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उम्मीदें हैं और मौजूदा स्थिति को '70 साल बनाम मोदी कार्यकाल' बताया। शम्स ने कहा कि पीएम मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने गरीब मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने का फैसला किया है।
समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार शम्स ने कहा, 'गरीब मुसलमानों को पीएम मोदी से उम्मीदें हैं और इसीलिए हमने इस संशोधन विधेयक को 'उम्मीद' नाम दिया है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू उम्मीद की किरण हैं। पीएम मोदी की सरकार ने फैसला किया है कि वह गरीब मुसलमानों को मुख्यधारा में लाएगी। यह '70 साल बनाम मोदी कार्यकाल' है।'
'विरोध करने वाले विपक्षी पार्टियों के राजनीतिक मुसलमान हैं'
शम्स ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि वे 70 साल सत्ता में रहे और वक्फ संसाधनों का दुरुपयोग किया। उन्होंने कहा, 'उन्होंने (विपक्ष ने) वक्फ को लूटा। उन्होंने गरीबों के अधिकारों को लूटा। वे मुसलमानों को यह कहकर डरा रहे हैं कि मस्जिदें छीन ली जाएंगी। जो लोग विरोध कर रहे हैं, वे मुसलमान नहीं हैं। वे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, आप और जनता दल के राजनीतिक मुसलमान हैं।'
शम्स ने आगे कहा, 'उनके पीछे (विरोध करने वाले) जमीयत उलेमा-ए-हिंद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे एनजीओ और समितियां हैं, जो पिछले दरवाजे से राज्यसभा जाना चाहते हैं। ये सभी वक्फ लाभार्थी हैं। उन्हें चिंता है कि यह उनसे छीन लिया जाएगा। वे चिंतित हैं क्योंकि यह अमीरों से छीन लिया जाएगा। हमें यकीन है कि पीएम मोदी वक्फ संशोधन विधेयक पारित करेंगे और गरीब मुसलमानों को उनके अधिकार देंगे।'
संसद में आज पेश होना है संशोधन विधेयक
वक्फ (संशोधन) विधेयक- 2024 आज संसद में पेश किया जाना है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस दोनों ने अपने सांसदों को उपस्थित रहने को कहा है। प्रश्नकाल के बाद विधेयक पेश किया जाएगा और उसके बाद 8 घंटे की चर्चा होगी, जिसे जरूरत के अनुसार बढ़ाया जा सकता है। भाजपा और कांग्रेस के सहयोगी दलों ने अपने सांसदों को 2 और 3 अप्रैल को संसद में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है।
विपक्ष विधेयक का मजबूती से विरोध कर रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) के मुख्य सचेतक धर्मेंद्र यादव ने लोकसभा में सभी सपा सांसदों को चर्चा में भाग लेने का निर्देश दिया है। विधेयक को पहली बार पिछले साल अगस्त में लोकसभा में पेश किया गया था। बाद में इसकी समीक्षा के लिए जगदंबिका पाल की अध्यक्षता में एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया था।
विधेयक में वक्फ अधिनियम- 1995 में संशोधन करने का प्रस्ताव है, ताकि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और विनियमन में सुधार हो सके। इसमें अधिनियम का नाम बदलने, वक्फ की परिभाषा को अपडेट करने, पंजीकरण प्रक्रियाओं में सुधार करने और वक्फ रिकॉर्ड बनाए रखने में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ाने का प्रस्ताव है।
वक्फ अधिनियम- 1995 को मूल रूप से वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने के लिए बनाया किया गया था। हालांकि कुप्रबंधन, भ्रष्टाचार और अतिक्रमणों आदि की चिंताएँ लगातार जताई जाती रही हैं। इस कानून में 2013 में यूपीए की सरकार के समय भी संशोधन हुए थे।
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि, 'संशोधनों के बावजूद, यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, वक्फ की परिभाषा सहित संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अधिनियम में अब भी और सुधार की आवश्यकता है।'