उत्तराखंड में नये भू-कानून को मिली मंजूरी, क्या कुछ बदलेगा...जानें मुख्य बिंदु

मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस निर्णय से स्पष्ट हो जाता है कि राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

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Photograph: (IANS)

देहरादूनः उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट ने बुधवार को बहुप्रतीक्षित भू-कानून को मंजूरी दे दी। इस कानून की मांग लंबे समय से प्रदेश में उठ रही थी। सरकार ने इस कानून को आगामी बजट सत्र में पेश करने का निर्णय लिया है, ताकि इसे लागू करने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सके।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "राज्य, संस्कृति और मूल स्वरूप की रक्षक हमारी सरकार!" उन्होंने आगे कहा, "प्रदेश की जनता की लंबे समय से उठ रही मांग और उनकी भावनाओं का सम्मान करते हुए कैबिनेट ने सख्त भू-कानून को मंजूरी दे दी है। यह ऐतिहासिक कदम राज्य के संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा, साथ ही प्रदेश की मूल पहचान को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।"

मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी सरकार जनता के हितों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और इस निर्णय से स्पष्ट हो जाता है कि राज्य और संस्कृति की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे।

पुराने और नये भू-कानून में अंतर

कैबिनेट द्वारा मंजूरी प्राप्त नए भू-कानून के तहत उत्तराखंड में बाहरी व्यक्तियों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर सख्त प्रतिबंध लगाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर, उत्तराखंड में भी कुछ कठोर प्रावधान लागू किए जा सकते हैं। इस कानून के लागू होने से बाहरी लोगों द्वारा अनियंत्रित भूमि खरीद पर रोक लगेगी। साथ स्थानीय निवासियों के हितों और संसाधनों की सुरक्षा की जा सकेगी और राज्य की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय संरचना को बनाए रखा जाएगा।

उत्तराखंड में वर्तमान भू-कानून के अनुसार, नगर निकाय क्षेत्र के बाहर कोई भी व्यक्ति 250 वर्ग मीटर तक भूमि बिना अनुमति के खरीद सकता है। सास 2017 में भूमि क्रय संबंधी नियमों में संशोधन किया गया था, जिसके तहत बाहरी व्यक्तियों के लिए अधिकतम 12.5 एकड़ तक भूमि खरीद की सीमा को समाप्त कर दिया गया था, और इसकी अनुमति जिलाधिकारी स्तर पर दिए जाने की व्यवस्था की गई थी।

बजट सत्र के दौरान इस प्रस्ताव को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया जाएगा। इसके पारित होते ही भूमि खरीद से जुड़े नए नियम प्रभावी हो जाएंगे। राज्य में लंबे समय से इस कानून की मांग की जा रही थी, और इसके लागू होने से स्थानीय निवासियों को एक बड़ी राहत मिलेगी। इससे पहले, भू-कानून की मांग को लेकर कई सामाजिक संगठनों ने आंदोलन किया था। 

कैबिनेट द्वारा पारित नए भू-कानून के मुख्य बिंदु

1 उत्तराखंड में व्यवसायिक उपक्रमों एवं संस्थानों को भूमि केवल लीज पर दी जाएगी, जिससे इसकी खरीद-फरोख्त पर नियंत्रण रहेगा।
2 व्यवसायिक या अन्य उपक्रमों के लिए दी गई भूमि को 2 वर्ष के भीतर उपयोग में लाना होगा, अन्यथा वह सरकार को वापस स्थानांतरित हो जाएगी।
3 किसी व्यवसायिक कार्य के लिए खरीदी गई भूमि का उपयोग अन्य उद्देश्य से नहीं किया जा सकेगा। अगर ऐसा होता है तो वह भूमि स्वतः सरकार के पास लौट आएगी।
4 उत्तराखंड में नगर निगम, नगर पालिकाओं, नगर पंचायतों, ग्राम पंचायतों के लिए एक समान भूमि कानून लागू होगा।
5 कृषि या उद्यान भूमि रखने की एक निश्चित सीमा तय होगी, जिसे नाली, बीघा, एकड़ या हेक्टेयर में मापा जाएगा।
6 1950 से पहले बसे व्यक्तियों को ही राज्य का मूल निवासी माना जाएगा।
7 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा किए गए भू-कानून संशोधन एवं 2022 में पुष्कर सिंह धामी सरकार द्वारा लैंड यूज एक्ट को तुरंत निरस्त किया जाएगा।
8 हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर भू-सुधार अधिनियम धारा-118 लागू किया जाएगा, जिसमें गैर-कृषकों को जमीन ट्रांसफर करने पर प्रतिबंध होगा। कोई बाहरी व्यक्ति कृषि भूमि का उपयोग निजी या व्यावसायिक कार्यों के लिए नहीं कर सकेगा।
9 उत्तराखंड में भू-कानून को अनुच्छेद 371A के तहत शामिल किया जाएगा, जिससे गैर-कृषक उत्तराखंड में जमीन नहीं खरीद सकेंगे।
10 अन्य राज्यों के व्यक्ति निजी उपयोग के लिए केवल 250 वर्ग मीटर (गैर-कृषि भूमि) ही खरीद सकेंगे। केवल वे व्यक्ति, जो उत्तराखंड में 25 वर्षों से रह रहे हैं, भूमि खरीदने के पात्र होंगे।
11 हिमाचल प्रदेश की तरह धारा-118 के अंतर्गत भूमि ट्रांसफर को नियंत्रण में रखा जाएगा, जिससे कृषि भूमि का व्यावसायिक उपयोग प्रतिबंधित किया जा सके।
12 खरीदी गई भूमि पर केवल मूल निवासी महिला का ही अधिकार सुनिश्चित किया जाएगा।
13 उत्तराखंड की मूल निवासी महिला का दूसरे राज्य या गैर-मूल निवासी व्यक्ति से विवाह होने के बाद भी उसकी पैतृक भूमि केवल उसके जैविक बच्चों के नाम ही हस्तांतरित होगी, न कि पति या उसके परिवार को।
14 ट्रस्टों, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं के नाम पर ली गई भूमि को भी लीज पर दिया जाएगा और उसकी सीमा तय की जाएगी।
15 ट्रस्टों, सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाओं द्वारा खरीदी गई भूमि यदि किसी अवैध गतिविधि में शामिल पाई गई तो उसका रजिस्ट्रेशन तुरंत निरस्त कर दिया जाएगा और भूमि सरकार के पास वापस आ जाएगी।
16 2018 के बाद भू-कानून में हुए सभी संशोधनों को निरस्त किया जाएगा।
17 09 नवंबर 2000 (राज्य निर्माण) के बाद जिन लोगों ने भूमि खरीदी, उनमें से गैर-मूल निवासी लोगों की भूमि खरीद की अधिकतम सीमा 250 वर्ग मीटर होगी।
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