देहरादूनः उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू होने के बाद इससे प्रभावित लोगों के लिए एक बड़ी राहत की खबर आई है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार आदेश दिया कि यूसीसी से प्रभावित कोई भी व्यक्ति अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है और उसके मामले पर सुनवाई की जाएगी। हाईकोर्ट की यह टिप्पणी यूसीसी के कार्यान्वयन को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आई।
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की ओर से प्रस्तुत करते हुए तर्क दिया कि यूसीसी के प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 21 और 25 के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के पास यूसीसी लागू करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि विवाह और तलाक से संबंधित कानून बनाना संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।
'दंडात्मक कार्रवाई के खिलाफ प्रभावित व्यक्ति अदालत का रुख कर सकता है'
इस पर, मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र की अध्यक्षता वाली डिवीजन बेंच ने कहा कि यदि कोई व्यक्ति यूसीसी के तहत किसी दंडात्मक कार्रवाई का सामना करता है, तो वह अदालत में आ सकता है और उसकी सुनवाई की जाएगी। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। कपिल सिब्बल से मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि अगर किसी के खिलाफ यूसीसी के तहत दंडात्मक कार्रवाई होती है, तो उसे सुनवाई का पूरा अधिकार होगा।
झूठी शिकायतों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान
इस बीच, उत्तराखंड सरकार ने यूसीसी के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए सख्त चेतावनी जारी की है। गुरुवार को सरकार की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि अगर कोई व्यक्ति यूसीसी के तहत झूठी शिकायत करता है, तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा, जिसे भूमि राजस्व के रूप में वसूला जाएगा।
सरकार ने झूठी शिकायतों को रोकने के लिए एक सख्त दंड प्रणाली लागू की है। इसके तहत पहली बार झूठी शिकायत करने पर चेतावनी दी जाएगी। दूसरी बार गलती दोहराने पर ₹5,000 का जुर्माना लगेगा। वहीं, तीसरी बार गलती करने पर ₹10,000 का जुर्माना वसूला जाएगा।
यह जुर्माना 45 दिनों के भीतर ऑनलाइन जमा करना होगा, अन्यथा यह तहसील अधिकारी द्वारा वसूला जाएगा। सरकार का कहना है कि इस प्रावधान का उद्देश्य यूसीसी से जुड़े पंजीकरण और कानूनी मामलों को विवाद-मुक्त बनाना और किसी भी प्रकार के उत्पीड़न को रोकना है।
UCC: समर्थन और विरोध
उत्तराखंड स्वतंत्र भारत का पहला राज्य है जिसने 27 जनवरी को UCC लागू किया। यह कानून शादी, तलाक और संपत्ति से जुड़े व्यक्तिगत कानूनों को सभी धर्मों के लिए समान बनाता है। इसे लेकर समाज में मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
UCC का सबसे विवादास्पद प्रावधान लिव-इन रिलेशनशिप का अनिवार्य पंजीकरण है। कुछ लोगों का मानना है कि यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गोपनीयता के अधिकार का उल्लंघन कर सकता है। हालांकि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रावधान का समर्थन करते हुए कहा कि इससे श्रद्धा वालकर हत्याकांड जैसी घटनाओं को रोका जा सकेगा, जिसमें आफताब पूनावाला ने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वाकर की बेरहमी से हत्या कर दी थी।