उत्तराखंड के चमोली में हिमस्खलन, माणा गांव में फंसे 57 मजदूरों का रेस्क्यू जारी

उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में हिमस्खलन की घटना में 57 मजदूर फंस गए हैं। जब यह हिमस्खलन हुआ, तब सभी मजदूर BRO के निर्माण कार्य में लगे हुए थे।

उत्तराखंड के चमोली में बर्फीले तूफान के बाद बचाव अभियान तेज।

उत्तराखंड के चमोली में बर्फीले तूफान के बाद बचाव अभियान तेज। Photograph: (IANS)

देहरादून: उत्तराखंड के चमोली जिले के माणा गांव में हिमस्खलन के कारण 57 मजदूर फंस गए हैं। जब यह हिमस्खलन हुआ, तब सभी मजदूर सीमा सड़क संगठन (BRO) के निर्माण कार्य में लगे हुए थे। अब तक 10 मजदूरों को सुरक्षित बचा लिया गया है, जबकि गढ़वाल 9वीं ब्रिगेड और BRO की टीम बचाव कार्य में जुटी हुई है।

बचाव अभियान में SDRF, NDRF और ITBP की टीमें तैनात

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF), राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और जिला प्रशासन की टीमें मौके पर राहत कार्यों में लगी हुई हैं। जोशीमठ से एक SDRF टीम मौके पर भेजी गई है, जबकि देहरादून में एक अन्य टीम हवाई मार्ग से मदद के लिए स्टैंडबाय पर रखी गई है।

हालात की गंभीरता को देखते हुए, स्थानीय प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। भारी बर्फबारी और खराब मौसम के कारण हवाई सेवाएं शुरू करना संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे बचाव कार्य में चुनौतियां बढ़ गई हैं। माणा गांव में संचार सुविधाएं सीमित होने के कारण अधिकारियों को स्पष्ट संवाद स्थापित करने में कठिनाई हो रही है।

पुष्कर सिंह धामी ने घटना को दुखद बताया 

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर पोस्ट किया। उन्होंने कहा, "चमोली जिले के माणा गांव के पास BRO द्वारा किए जा रहे निर्माण कार्य के दौरान हिमस्खलन की दुखद घटना हुई है। ITBP, BRO और अन्य एजेंसियां राहत और बचाव कार्य में लगी हैं। मैं भगवान बद्री विशाल से सभी श्रमिकों की सुरक्षा की प्रार्थना करता हूं।"

चमोली के डीएम संदीप तिवारी ने कहा कि घटनास्थल पर लगातार बारिश और बर्फबारी हो रही है, जिससे बचाव कार्य में कठिनाई हो रही है। हवाई मार्ग से मदद संभव नहीं है, लेकिन प्रशासन सभी संसाधनों के साथ राहत अभियान चला रहा है।

हिमस्खलन की चेतावनी पहले ही जारी की गई थी

इससे पहले लाहौल और स्पीति पुलिस ने 28 फरवरी के लिए हिमस्खलन की चेतावनी जारी की थी। डीजीआरई और एचपीएसडीएमए के अनुसार, लाहौल और स्पीति में हिमस्खलन का खतरा 'नारंगी' (खतरे का स्तर 3) पर था। परामर्श में स्थानीय लोगों और यात्रियों को केवल सुरक्षित मार्गों पर चलने की सलाह दी गई थी।

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