उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद आई बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं से जनजीवन अस्त-व्यस्त है। इस आपदा में कई लोगों की जान चली गई है, जबकि कुछ लोग अभी भी लापता हैं। बचाव अभियान के पाँचवें दिन, शनिवार को भी प्रभावित क्षेत्रों में फंसे लोगों को निकालने का काम जारी रहा।
आपदा के बाद से अब तक 729 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा चुका है। इनमें से 154 लोगों को हर्षिल से मातली और 121 लोगों को चिन्यालीसौर हवाई मार्ग से पहुँचाया गया है। बचाव कार्य में भारतीय सेना, राज्य आपदा मोचन बल (SDRF), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) और अन्य स्थानीय एजेंसियाँ संयुक्त रूप से काम कर रही हैं। SDRF ने लापता लोगों को खोजने के लिए अपने खोजी कुत्तों की टीम को भी लगाया है।
शनिवार को मौसम साफ होने के बाद बचाव कार्यों में तेजी आई। उत्तराखंड नागरिक उड्डयन प्राधिकरण के चार हेलीकॉप्टरों को बचाव अभियान में लगाया गया है। इस दौरान जॉलीग्रांट हवाई अड्डे से एक चिनूक हेलीकॉप्टर ने भी उड़ान भरी, जो राहत शिविर के लिए जनरेटर सेट लेकर गया।
आधिकारिक आँकड़ों के मुताबिक, अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 49 लोग अभी भी लापता हैं। भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन और अचानक आई बाढ़ से कई घर नष्ट हो गए, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी।
संपर्क बहाल करने का प्रयास
बाढ़ और भूस्खलन की वजह से धरली और आसपास के इलाकों में बिजली की आपूर्ति ठप हो गई है। प्रभावित क्षेत्रों तक सड़क संपर्क बहाल करने के लिए गंगनानी के पास लिमचीगाड में एक बेली ब्रिज का निर्माण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है, जिसे 24 घंटे में तैयार करने का लक्ष्य है। गंगोत्री राजमार्ग भी कई जगहों पर अवरुद्ध है, जिससे लापता लोगों की तलाश के लिए ज़रूरी उपकरण पहुँचाने में दिक्कत आ रही है।
उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक दीपम सेठ ने बताया कि भटवाड़ी और गंगनानी के मार्गों को जल्द ही बहाल कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार प्रभावित और घायल लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि हर बचाए गए व्यक्ति की स्वास्थ्य जाँच की जा रही है और ज़रूरत के अनुसार उनका इलाज किया जा रहा है।