भारत में शहरी बेरोजगारी 6 साल में सबसे कम, महिलाओं की भागीदारी बढ़ी: रिपोर्ट

जुलाई-सितंबर 2024 में पुरुषों की श्रम भागीदारी दर 75 फीसदी थी, जबकि महिलाओं की दर 25.5 फीसदी रही। श्रम शक्ति में करीब आधे लोग नियमित वेतन पर काम कर रहे थे, 39.9 प्रतिशत स्वरोजगार में थे और 10.7 फीसदी आकस्मिक श्रमिक थे।

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Urban unemployment in India lowest in 6 years Ministry of Statistics and Program Implementation Mospi Report

प्रतीकात्मक फोटो (फोटो- IANS)

नई दिल्ली: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने जुलाई-सितंबर 2024 की तिमाही के लिए बेरोजगारी और रोजगार के आंकड़े जारी किए। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की शहरी बेरोजगारी दर छह साल में सबसे कम 6.4 फीसदी पर आ गई है। यह दर पिछली तिमाही और पिछले साल की समान अवधि में 6.6 फीसदी थी।

बेरोजगारी दर का मतलब है कि श्रम बल में शामिल लोगों में से कितने काम नहीं कर रहे हैं। इस दौरान श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) भी बढ़कर 50.4 फीसदी हो गई, जो पिछली तिमाही में 50.1 फीसदी और पिछले साल 49.3 फीसदी थी।

यह दर काम करने वाले या काम की तलाश करने वाले लोगों का प्रतिशत दर्शाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि कंपनियों द्वारा नई भर्तियों और बढ़ती मांग ने इस सुधार में योगदान दिया है।

जम्मू और कश्मीर में सबसे अधिक थी बेरोजगारी दर

अंग्रेजी वेबसाइट फर्स्टपोस्ट ने सरकार के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि पुरुषों और महिलाओं की बेरोजगारी दर क्रमशः 5.7 फीसदी और 8.4 फीसदी थी। अधिक महिलाएं कार्यबल में शामिल हो रही हैं और सभी श्रेणियों में आय बढ़ रही है।

हालांकि, जम्मू और कश्मीर में बेरोजगारी दर सबसे अधिक 11.8 फीसदी थी, इसके बाद ओडिशा, बिहार और केरल जैसे राज्यों का स्थान है।

रिपोर्ट के मुताबिक, पीएलएफएस सर्वेक्षण में 45,005 परिवारों और 1,70,598 व्यक्तियों को शामिल किया गया। जुलाई-सितंबर 2024 में पुरुषों की श्रम भागीदारी दर 75 फीसदी थी, जबकि महिलाओं की दर 25.5 फीसदी रही।

श्रम शक्ति में करीब आधे लोग नियमित वेतन पर काम कर रहे थे, 39.9 प्रतिशत स्वरोजगार में थे और 10.7 फीसदी आकस्मिक श्रमिक थे। स्वरोजगार में 32.6 फीसदी लोग स्वतंत्र रूप से काम कर रहे थे और 6.2 फीसदी घरेलू उद्यमों में सहयोगी के रूप में कार्यरत थे।

घरेलू उद्यमों में महिलाओं का स्वरोजगार में हिस्सा बढ़ा

महिलाओं में स्वरोजगार का हिस्सा, खासकर घरेलू उद्यमों में बढ़ा है। नियमित वेतन वाली महिलाओं का प्रतिशत 54 प्रतिशत से थोड़ा कम हुआ, जबकि पुरुषों में यह 47.9 फीसदी था।एलएफपीआर के मामले में, हिमाचल प्रदेश सबसे आगे रहा, जहां यह 61.8 फीसदी था। गुजरात, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में यह राष्ट्रीय औसत से अधिक था।

युवाओं (15-29 वर्ष) की श्रम भागीदारी दर 41.6 प्रतिशत थी, जिसमें पुरुषों के लिए 59.8 फीसदी और महिलाओं के लिए 21.9 प्रतिशत दर्ज की गई। हालांकि, युवा बेरोजगारी दर 15.9 फीसदी रही, जिसमें महिलाओं की दर पुरुषों से अधिक थी।

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