ममता बनर्जी के महाकुंभ को 'मुत्युकुंभ' बताने वाले बयान पर भड़के मिलिंद परांडे

मिलिंद परांडे ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर तुष्टीकरण और राजनीतिक हितों के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। यह हिंदू-सनातन का अपमान है। यह विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक एकत्रीकरण है।

Milind Parande

Photograph: (IANS)

मुंबई: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस बयान पर कि महाकुंभ 'मृत्यु कुंभ' में बदल गया है और महाकुंभ पर अन्‍य विपक्षी नेताओं के विवादित बयानों पर विश्व हिंदू परिषद के संगठन महासचिव मिलिंद परांडे ने सोमवार को न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत की। 

मिलिंद परांडे ने कहा कि कुछ लोग जानबूझकर तुष्टीकरण और राजनीतिक हितों के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। जब इस कुंभ में 60 करोड़ से अधिक हिंदुओं ने भाग लिया है, तो ऐसी टिप्पणियां अस्वीकार्य हैं। यह हिंदू-सनातन का अपमान है। यह विश्व का सबसे बड़ा आध्यात्मिक एकत्रीकरण है। करोड़ों लोग एक जगह पर आ रहे हैं। पूज्य संतों का आशीर्वाद ले रहे हैं। पर्यावरण की दृष्टि से यहां पर बहुत प्रयोग हुए हैं।

'भारत में कुछ शक्तियां हिंदुओं को आगे नहीं आने देना चाहती'

बागेश्वर धाम से पीएम मोदी द्वारा विपक्ष के नेताओं पर हिंदू धर्म का मखौल उड़ाने पर दिए बयान पर उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पीएम मोदी ने सच बात कही है। इसमें दिखाई देता है भारत के अंदर कुछ शक्तियां इसमें राजनीतिक दल भी हैं, जो हिन्दुओं को आगे नहीं आना देना चाहते हैं।

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के मातृभाषा के प्रयोग पर उन्होंने कहा कि बिल्कुल सही बात है। हम लोगों को मातृभाषा में ही बात करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री द्वारा मोटापे को लेकर शुरू किए गए अभियान के बारे में उन्होंने कहा कि मोटापे के कारण कई बीमारियां शरीर से जुड़ रही है। पीएम मोदी इस बारे में अभियान शुरू कर चुके हैं। इससे लोग जागरूक होंगे। पीएम मोदी द्वारा स्वच्छता अभियान भी सफल हुआ था। काफी लोग इससे जुड़े थे। मुझे विश्वास है कि इस अभियान से भी जुड़ेंगे।

' मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण ठीक नहीं'

मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से दूर रखे जाने पर उन्होंने कहा कि हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण में रखना हिन्दुओं के साथ भेदभाव है। हिन्दुओं का मंदिरों का नियंत्रण रखना चाहिए।

वफ्फ बोर्ड पर उन्होंने कहा कि इसकी जरूरत नहीं है। अनियंत्रित शक्ति को कम करने के सुझाव आए हैं। कानून पारित होना चाहिए।

महाराष्ट्र में धर्मांतरण और लव जिहाद कानून के विषय पर उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से दोनों को एकत्र कर भी कानून बनाया जा सकता है। एक ही प्रकार दो विधाएं हैं। कानून तो लाना ही चाहिए।

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