लखनऊ: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में मौत की सजा का सामना कर रही एक भारतीय महिला शहजादी खान को फांसी दे दी गई है। विदेश मंत्रालय ने सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट को बताया। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की तैंतीस वर्षीय महिला को चार महीने के बच्चे की हत्या के आरोप में अबू धाबी में फांसी का सामना करना पड़ रहा था।

विदेश मंत्रालय ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया किया है कि संयुक्त अरब अमीरात में मौत की सजा पाने वाली भारतीय महिला शहजादी खान को फांसी दे दी गई है और उसका अंतिम संस्कार पांच मार्च को किया जाएगा। यूपी के बांदा जिले की रहने वाली शाहजादी खान के पिता ने शनिवार को दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने विदेश मंत्रालय और संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की थी ताकि उनकी बेटी की मौजूदा कानूनी स्थिति और कुशलक्षेम के बारे में सही जानकारी प्राप्त की जा सके। 

बच्चे की मौत में आरोपी 

बता दें कि 33 साल की शाहजादी खान अबू धाबी में फांसी की सजा का सामना कर रही थी। शाहजादी खान अबू धाबी की अल वथबा जेल में बंद थी और उन्हें उनकी देखरेख में रहे एक बच्चे की मौत के मामले में मौत की सजा सुनाई गई थी। विदेश मंत्रालय के जवाब के बाद कोर्ट ने याचिका का निपटारा कर दिया। विदेश मंत्रालय ने बताया कि पिछले महीने 15 फरवरी को ही शहजादी खान को फांसी दे दी गई थी। 

हत्या का दोषी ठहराया

बता दें कि अबू धाबी में शहाजादी खान को एक बच्चे की हत्या का दोषी ठहराया गया था। दिसंबर, 2021 में वह वीजा लेकर अबू धाबी गई थीं और अगस्त, 2022 में एक परिवार के यहां बच्चे की देखभाल के लिए नियुक्त हुईं। इसके बाद सात दिसंबर, 2022 को बच्चे को टीका लगाया गया, लेकिन उसी दिन बच्चे की मृत्यु हो गई। वहीं, पोस्टमार्टम कराने की सिफारिश के बावजूद माता-पिता ने इसे खारिज कर दिया और जांच रोकने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए।

सामने आया था शहजादी खान का वीडियो

फिर फरवरी, 2023 में शहजादी खान का एक वीडियो सामने आया, जिसमें उन्हें बच्चे की हत्या स्वीकार करते देखा गया। हालांकि, शहजादी के माता-पिता का कहना है कि यह कबूलनामा दवाब और यातना देकर उनसे लिया गया था। मामले में 10 फरवरी, 2023 को शहजादी को पुलिस के हवाले किया गया और 31 जुलाई, 2023 को उन्हें मौत की सजा सुना दी गई। शहजादी की मौत की सजा के खिलाफ सितंबर, 2023 में अपील की गई, जिसे खारिज कर दिया गया और 28 फरवरी, 2024 को सजा को बरकरार रखा गया।