पुरानी पेंशन की मांग कर रहे यूपी के हजारों शिक्षकों को झटका, सरकार ने कहा नहीं मिलेगा OPS का लाभ

शिक्षकों का तर्क है कि उनका चयन 2004 में हो चुका था और विज्ञापन के आधार पर एसआईआरटीआई की ओर से प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी 2004 में शुरू हो गई थी। इसलिए उन्हें पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।

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Photograph: (सोशल मीडिया।)

लखनऊः उत्तर प्रदेश के परिषदीय शिक्षकों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। हजारों शिक्षकों को पुरानी पेंशन के लाभ से वंचित कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में 2004 में विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से नियुक्त किए गए 35,738 सहायक अध्यापकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलेगा। यह जानकारी बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने विशेष सचिव बेसिक शिक्षा को भेजे एक पत्र में दी है। 

समाचार वेबसाइट हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार, सचिव ने स्पष्ट किया है कि इन शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया और प्रशिक्षण का प्रारंभ वर्ष 2004 में नहीं बल्कि बाद के वर्षों में हुआ, इसलिए ये कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के पात्र नहीं हैं।

क्या है मामला?

जनवरी 2004 में बीएड डिग्रीधारकों के लिए बेसिक शिक्षक भर्ती का विज्ञापन जारी किया गया था, जिसे फरवरी 2004 में संशोधित किया गया। चयनित अभ्यर्थियों के लिए छह माह का प्रशिक्षण अनिवार्य था, लेकिन विभागीय तैयारियों की कमी के कारण यह प्रशिक्षण एकसाथ शुरू नहीं हो सका। नतीजतन, इसे तीन अलग-अलग चरणों में संचालित किया गया और पूरी प्रशिक्षण प्रक्रिया दिसंबर 2005 तक जाकर पूरी हुई। जबकि अगर सभी अभ्यर्थियों को एक साथ प्रशिक्षण दिया गया होता, तो यह प्रक्रिया जनवरी 2005 तक ही पूरी की जा सकती थी।

इस बीच, राज्य सरकार ने 1 अप्रैल 2005 से नई पेंशन योजना लागू कर दी। चूंकि विशेष बीटीसी 2004 बैच के अधिकांश शिक्षकों की नियुक्ति प्रशिक्षण पूर्ण होने के बाद, यानी दिसंबर 2005 के बाद हुई, इसलिए उन्हें स्वचालित रूप से नई पेंशन व्यवस्था में शामिल कर दिया गया। शिक्षकों का कहना है कि यह नियुक्ति में हुई देरी विभागीय लापरवाही का परिणाम थी और इसका खामियाजा उन्हें पुरानी पेंशन से वंचित होकर भुगतना पड़ रहा है।

पुरानी पेंशन के लिए शिक्षक हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में कहा कि शिक्षक राज्य सरकार के समक्ष अपनी अपील प्रस्तुत करें और राज्य सरकार को भी यह सुझाव दिया कि मामले का निस्तारण मेरिट के आधार पर किया जाए। हालांकि, प्रदेश सरकार ने शिक्षकों की नियुक्ति तिथि को आधार बनाकर उन्हें नई पेंशन योजना के अंतर्गत ही रखा।

शिक्षकों की उम्मीदें तब फिर से जगीं, जब सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय में स्पष्ट किया कि जिन सरकारी नौकरियों का विज्ञापन नई पेंशन योजना लागू होने से पहले निकाला गया था, उन्हें पुरानी पेंशन व्यवस्था के तहत माना जाए। इस आदेश के बाद पहले केंद्र सरकार और फिर राज्य सरकार ने भी इससे संबंधित आदेश जारी कर दिए। हालांकि सरकार ने कहा कि वह इसपर समीक्षा बैठक करेगी।

पुरानी पेंशनः शिक्षकों ने क्या कहा?

विशेष बीटीसी 2004 बैच के शिक्षकों की ओर से एमएलसी अरुण कुमार पाठक ने विधान परिषद में सवाल उठाया था कि इन शिक्षकों का चयन जनवरी और फरवरी 2004 में हुए विज्ञापनों के माध्यम से हुआ था और उनका प्रशिक्षण अगस्त 2004 में शुरू हुआ। विभागीय विलंब के कारण उनकी नियुक्ति दिसंबर 2005 और जनवरी 2006 में हुई, जिससे वे पुरानी पेंशन योजना से बाहर हो गए।

शिक्षकों का तर्क है कि उनका चयन 2004 में हो चुका था और विज्ञापन के आधार पर एसआईआरटीआई की ओर से प्रशिक्षण की प्रक्रिया भी 2004 में शुरू हो गई थी। इसलिए उन्हें पुरानी पेंशन योजना के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।

शासनादेश और नियुक्ति की तारीखें

शिक्षकों का कहना है कि 14 और 22 जनवरी 2004 के शासनादेश में यह स्पष्ट किया गया था कि प्रशिक्षण पूरा होने और नियुक्ति से पहले तक हर प्रशिक्षु को 2500 रुपये प्रतिमाह मानदेय दिया जाएगा। इस घोषणा के आधार पर उनकी प्रक्रिया 2004 में ही शुरू हो गई थी, इसलिए नियुक्ति में देरी के लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

28 जून 2024 को जारी एक प्रशासनिक आदेश के अनुसार भी यह सुझाव दिया गया है कि यदि पूरी भर्ती प्रक्रिया 2004 प्रशिक्षण विज्ञापन के तहत ही हुई हो तो ऐसे मामलों में विवेकाधिकार के आधार पर पुरानी पेंशन दी जा सकती है, ताकि भ्रम की स्थिति दूर हो सके।

सरकार की दलील और हाईकोर्ट का हवाला

हालांकि सचिव सुरेंद्र कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए शिक्षकों की दलीलों को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि 2004 में प्रशिक्षण शुरू होने के बावजूद नियुक्ति 2005 में हुई, इसलिए सेवा की गणना उसी आधार पर होगी।

साथ ही यह भी बताया गया कि नियुक्तियों की प्रक्रिया उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा (अध्यापक) (नियुक्ति) नियमावली 2008 के तहत हुई थी, जिसके अनुसार सेवा प्रारंभ होने की तिथि से ही अध्यापक को नियमित कर्मचारी माना जाएगा और उसी तिथि से पेंशन का निर्धारण किया जाएगा।

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