गाजियाबाद: क्या आपने कभी सुना है कि किसी ने ऐसे देशों के नाम पर दूतावास खोल लिया हो, जो वास्तव में धरती पर अस्तित्व में ही नहीं हैं? उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां एक व्यक्ति ने ‘वेस्टआर्कटिका’ नामक काल्पनिक देश के नाम पर फर्जी दूतावास खोल रखा था। इस गिरोह का भंडाफोड़ यूपी पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने किया है।
गिरफ्तार आरोपी की पहचान हर्षवर्धन जैन के रूप में हुई है, जो गाजियाबाद के कविनगर क्षेत्र में केबी-35 नामक मकान में 'वेस्टआर्कटिका एम्बेसी' के नाम से दूतावास चला रहा था। वेस्टआर्कटिका असल में एक माइक्रोनेशन है—एक काल्पनिक राष्ट्र जिसे एक पूर्व अमेरिकी नौसेना अधिकारी ने स्थापित किया था, लेकिन जिसे दुनिया का कोई भी देश मान्यता नहीं देता।
एसटीएफ के अनुसार, हर्षवर्धन खुद को वेस्टआर्कटिका, सबोर्गा, पौल्विया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक राष्ट्रों का राजदूत या कॉन्सुल बताता था। वह अपनी गाड़ियों पर डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगाकर चलता था और लोगों को झांसा देता था। वह नकली पासपोर्ट, पहचान पत्र और राजनयिक दस्तावेज भी जारी करता था।
Noida unit of UP STF busted an illegal embassy running in Ghaziabad and arrested Harsh Vardhan Jain, who was running an illegal West Arctic Embassy by taking a rented house in Kavinagar calling himself Consul/Ambassador of countries like West Arctica, Saborga, Poulvia, Lodonia… pic.twitter.com/4xdFRi65DR
— ANI (@ANI) July 23, 2025
छापेमारी में एसटीएफ को क्या-क्या मिला?
एसटीएफ की छापेमारी में भारी मात्रा में नकली दस्तावेज और सामग्रियां बरामद हुईं। इनमें चार डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी गाड़ियां, बारह नकली राजनयिक पासपोर्ट, विदेश मंत्रालय की सील लगे जाली दस्तावेज, दो फर्जी पैन कार्ड और चौँतीस देशों और कंपनियों की नकली मुहरें शामिल थीं। इसके अलावा दो फर्जी प्रेस आईडी कार्ड, 44.7 लाख रुपये नकद और कई देशों की विदेशी मुद्रा भी बरामद की गई।
पुलिस ने यह भी बताया कि हर्षवर्धन प्रधानमंत्री और अन्य हस्तियों के साथ मॉर्फ की गई तस्वीरों का इस्तेमाल कर लोगों को प्रभावित करता था। उसकी ठाठ-बाट और फर्जी पहचान को देखकर कई लोग उसे सचमुच का राजनयिक मान बैठते थे।
हवाला नेटवर्क और शेल कंपनियों से संबंध
जांच में यह भी सामने आया है कि वह शेल कंपनियों के जरिए हवाला लेनदेन का नेटवर्क चला रहा था। विदेशों में काम दिलाने के नाम पर उसने कई लोगों से मोटी रकम वसूली थी। इसके अलावा, उसके चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खशोगी से पुराने संपर्क की भी पुष्टि हुई है।
गौरतलब है कि यह आरोपी पहले भी विवादों में रहा है। साल 2011 में कविनगर थाने में हर्षवर्धन के खिलाफ अवैध सैटेलाइट फोन रखने का मामला दर्ज किया गया था, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका था।
एसटीएफ का कहना है कि यह कोई अकेला व्यक्ति नहीं, बल्कि एक संगठित गिरोह हो सकता है, जिसकी जड़ें अन्य राज्यों या देशों तक फैली हों। फिलहाल आरोपी से गहन पूछताछ की जा रही है और उसके संपर्कों की तलाश जारी है।