लखनऊः उत्तर प्रदेश सरकार गौ संरक्षण को लेकर एक योजना पर विचार कर रही है। सरकार गौ संरक्षण को आजीविका के साधनों से जोड़कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए नई पहल शुरू करने का फैसला किया है। 

इंडियन एक्सप्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार के एक अधिकारी के हवाले से लिखा कि मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत किसान एक से चार गाय रख सकते हैं। वहीं, मनरेगा के माध्यम से पशु शेड का निर्माण कर सकते हैं। इसके अलावा स्वच्छ ऊर्जा तथा स्थायी आय स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए छोटी बायोगैस इकाइयां स्थापित कर सकेंगे। 

सरकार ने क्या कहा?

उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग के विशेष ड्यूटी अधिकारी (ओएसडी) अनुराग श्रीवास्तव ने पुष्टि की कि इस योजना का उद्देश्य गांवों में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है। उन्होंने बताया कि इसका खाका तैयार हो चुका है और जल्द ही इसे लॉन्च किया जाएगा। 

वहीं, इस संबंध में सरकार की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया है। सरकार के बयान में कहा गया "यह योजना जैविक खेती, जैव-उर्वरक उत्पादन और स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्साहित करेगी। इसका उद्देश्य स्थायी रोजगार पैदा करना भी है, खासकर महिला स्वयं सहायता समूहों और ग्रामीण युवाओं के लिए, जो इस परियोजना में प्रमुख भागीदार होंगे।"

भारत के कुल मवेशियों का 16 प्रतिशत उत्तर प्रदेश में

सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री सहभागिता योजना "ग्रामीण विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है जिसमें पारंपरिक पशुपालन को आधुनिक तकनीक के साथ मिलाकर गाय संरक्षण, जैविक कृषि, नवीकरणीय ऊर्जा और सामुदायिक सशक्तिकरण शामिल है। इसमें कहा गया है कि "इस पहल से राज्य भर में हरियाली और आर्थिक रूप से मजबूत गांवों को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।"

सरकार का कहना है कि उत्तर प्रदेश देश में गौ संरक्षण और पशुधन विकास में अग्रणी है। उत्तर प्रदेश भारत के कुल मवेशियों का 16 प्रतिशत हिस्सा रखता है। 

सरकार ने 2019 में हुई 20वीं पशुधन जनगणना में दावा किया कि राज्य में करीब 1.90 करोड़ मवेशी हैं। इनमें 11.84 लाख आवारा मवेशी शामिल हैं। सरकार ने कहा कि साल 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में गौ संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है। 

सरकार के मुताबिक, भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पशुधन 4.11 प्रतिशत का योगदान देता है। जबकि उत्तर प्रदेश 7.1 प्रतिशत का योगदान देता है। उत्तर प्रदेश में हर साल 390 लाख मीट्रिक टन दूध का उत्पादन होता है जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होती है।