यूपी धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम समेत 12 को उम्रकैद, 4 अन्य को 10-10 साल की सजा

अधिकारियों के अनुसार, आरोपी उत्तर प्रदेश में सुनने में अक्षम छात्रों और गरीब लोगों को इस्लाम में धर्मांतरण कराने वाला गिरोह चला रहे थे। इस गिरोह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंडिंग मिल रही थी।

एडिट
यूपी धर्मांतरण मामले में मौलाना कलीम सिद्दीकी और उमर गौतम समेत 12 को उम्रकैद, 4 अन्य को 10-10 साल की सजा

मौलाना कलीम सिद्दीकी और इस्लामिक दावा सेंटर के संस्थापक मोहम्मद उमर गौतम की फाइल फोटो। क्रेडिट : X

लखनऊः धर्मांतरण सिंडिकेट चलाने के आरोप में गिरफ्तार मौलाना कलीम सिद्दीकी और इस्लामिक दावत सेंटर के संस्थापक उमर गौतम समेत 12 लोगों को बुधवार एनआईए-एटीएस की एक विशेष अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा चार अन्य आरोपियों राहुल भोला, मन्नू यादव, कुणाल अशोक चौधरी और सलीम को 10-10 साल की सजा सुनाई गई है।

मामले में मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने मौलाना कलीम और उमर गौतम सहित 16 लोगों को दोषी करार दिया था। इस केस में 17वें आरोपी इदरीस कुरैशी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे मिल गया है।

इन आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगे थे, जिनमें 417 (धोखाधड़ी), 120B (आपराधिक साजिश), 153A (धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी फैलाना), 153B (भ्रामक आरोप), 295A (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से जानबूझकर किए गए कार्य), 121A (राज्य के खिलाफ साजिश) और 123 (अपराधों को छिपाने) शामिल हैं। इसके अलावा, उन्हें अवैध धर्मांतरण अधिनियम (धारा 3, 4 और 5) के तहत भी दोषी ठहराया गया है।

पैसे, शादी और नौकरी का लालच देकर कराते थे धर्मांतरण

अधिकारियों के अनुसार, आरोपी उत्तर प्रदेश में सुनने में अक्षम छात्रों और गरीब लोगों को इस्लाम में धर्मांतरण कराने वाला गिरोह चला रहे थे। इस गिरोह को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से फंडिंग मिल रही थी। लोगों को शादी, पैसे और नौकरी का लालच देकर धर्मांतरण कराया जाता था।

दिल्ली के जामिया नगर स्थित बटला हाउस में रहने वाला मोहम्मद उमर गौतम  पहले हिंदू धर्म से इस्लाम में परिवर्तित हो चुका थे। पुलिस पूछताछ के दौरान उसने दावा किया था कि उसने लोगों को नौकरी, शादी और पैसे का लालच देकर1,000 लोगों को इस्लाम में धर्मांतरित किया था।

आईसएआई से मिलता था फंड

तत्कालीन ATS प्रभारी और पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार के मुताबिक, गौतम और कलीम सिद्दीकी का संगठन "इस्लामिक दावत सेंटर" पाकिस्तान की आईएसआई और अन्य विदेशी एजेंसियों से फंड प्राप्त करता था। आरोपी एक राष्ट्रीय स्तर का अवैध धर्मांतरण गिरोह चला रहे थे, जो धार्मिक उन्माद, दुश्मनी और नफरत फैलाने का काम करता था और इसके अंतरराष्ट्रीय संबंध भी थे।

दोषी ठहराए गए लोगों में मौलाना कलीम सिद्दीकी और मोहम्मद उमर गौतम के अलावा प्रकाश रमेश्वर कावड़े उर्फ आदम, कौसर आलम, भूप्रिया बंधो उर्फ अर्सलान मुस्तफा, डॉ. फराज़ बाबुल्लाह शाह, मुफ्ती क़ाज़ी जहांगिर आलम क़ासमी और इरफ़ान शेख उर्फ इरफ़ान खान शामिल हैं।

उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार, गौतम और मुफ्ती काजी जहांगिर आलम कासमी को 20 जून 2021 को जामिया नगर से गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद ATS ने विभिन्न अभियानों में देश के अलग-अलग हिस्सों से आरोपियों को गिरफ्तार किया था। लखनऊ में दर्ज की गई FIR के आधार पर ATS ने अवैध धर्मांतरण और विदेशी फंडिंग की जांच शुरू की थी।

विशेष लोक अभियोजक एमके सिंह के अनुसार, "उनका अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क भी था, जिसके लिए विदेशों से हवाला के जरिए पैसा आता था। वे आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं और विकलांग लोगों का बड़े पैमाने पर धर्मांतरण कर रहे थे, ताकि जनसंख्या संतुलन को प्रभावित कर सकें। उनका उद्देश्य शरीयत-आधारित सरकार की स्थापना करना था।"

यह भी पढ़ें
Here are a few more articles:
Read the Next Article