तिलमिलाए चीन को जवाब! भारत ने कहा- दलाई लामा के अलावा कोई उनके उत्तराधिकारी का फैसला नहीं कर सकता

दलाई लामा ने बुधवार को कहा था कि उनकी मृत्यु के बाद भी 600 साल पुरानी दलाई लामा की संस्था चलती रहेगी। वहीं, चीन ने कहा था कि किसी भी 'नियुक्ति' को बीजिंग द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए।

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Photograph: (IANS)

नई दिल्ली: भारत ने चीन की इस मांग पर कड़ी आपत्ति जताई है कि अगले दलाई लामा के चुनाव में बीजिंग की मंजूरी होनी चाहिए। भारत की ओर से साफ किया गया है कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता के अलावा किसी और को उनके उत्तराधिकारी के बारे में फैसला करने का अधिकार नहीं है।

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने एक बयान में कहा, 'दलाई लामा का पद न केवल तिब्बतियों के लिए बल्कि दुनिया भर में उनके सभी अनुयायियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने उत्तराधिकारी के बारे में फैसला करने का अधिकार पूरी तरह से दलाई लामा के पास है।'

रिजिजू और जनता दल (यूनाइटेड) के नेता लल्लन सिंह दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में धर्मशाला पहुंच रहे हैं। रिजिजू ने इस यात्रा को लेकर कहा, 'यह पूरी तरह से धार्मिक अवसर है।'

दलाई लामा ने क्या कहा था?

तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा ने बुधवार को घोषणा की थी कि उनकी मृत्यु के बाद भी 600 साल पुरानी दलाई लामा की संस्था चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि गदेन फोडरंग ट्रस्ट को ही उनके पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार होगा।

गदेन फोडरंग ट्रस्ट की स्थापना तिब्बती संस्कृति को संरक्षित करने और तिब्बती लोगों के साथ-साथ अन्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए की गई थी, चाहे उनकी राष्ट्रीयता, धर्म या पृष्ठभूमि कुछ भी हो।

धर्मशाला के पास मैकलियोडगंज में तीन दिवसीय बौद्ध धार्मिक सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान दलाई लामा ने यह महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा, '24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की बैठक में मैंने तिब्बत के अंदर और बाहर रहने वाले तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और तिब्बत से जुड़े लोगों के सामने यह स्पष्ट किया था कि दलाई लामा की संस्था को जारी रखने का फैसला लिया गया है।'

6 जुलाई को 90 वर्ष के होने जा रहे नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा ने धर्मशाला के मैकलियोडगंज में एक बौद्ध सम्मेलन के दौरान यह बयान दिया। उन्होंने बताया कि 1969 में उन्होंने कहा था कि दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखने का फैसला तिब्बती लोगों और संबंधित समुदायों को करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि 90 वर्ष की आयु के आसपास वे तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं, तिब्बती जनता और बौद्ध धर्म के अनुयायियों से इस पर चर्चा करेंगे।

दलाई लामा का बयान और चीन की आपत्ति

दलाई लामा ने कहा कि पुनर्जन्म की प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपराओं के प्रमुख लामाओं और शपथबद्ध धर्म रक्षकों के परामर्श से होगी। यह प्रक्रिया दर्शन, संकेत और आध्यात्मिक अनुष्ठानों पर आधारित होगी, जैसा कि तिब्बती परंपरा में होता है। उन्होंने जोर दिया कि दलाई लामा का पुनर्जन्म नियुक्त नहीं किया जाता, बल्कि इसे पवित्र प्रक्रिया के जरिए मान्यता दी जाती है। इस प्रक्रिया में केवल दलाई लामा ही अपने उत्तराधिकारी की पहचान कर सकते हैं।

हालांकि, चीन ने जोर देकर कहा है कि किसी भी 'नियुक्ति' को बीजिंग द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। देश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने कहा, 'दलाई लामा के उत्तराधिकार को चीनी कानूनों के साथ-साथ धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं का पालन करना चाहिए।' चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा था कि बीजिंग के लंबे समय से चले आ रहे रुख को दोहराते हुए कि चयन चीन की सीमाओं के भीतर उसकी निगरानी में होना चाहिए।

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