नई दिल्ली: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को कहा कि भारत सीमा के मोर्चे पर "बहुत भाग्यशाली नहीं" है, क्योंकि उसे बाहरी और आंतरिक दोनों मोर्चों पर खतरों का सामना करना पड़ रहा है। रक्षा मंत्री ने सेना के जवानों से हर समय सतर्क रहने को कहा, क्योंकि दुश्मन "हमेशा सक्रिय रहते हैं।"

मध्य प्रदेश के इंदौर में महू छावनी में सेना के जवानों को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, "सुरक्षा हालात को ध्यान में रखते हुए, भारत बहुत भाग्यशाली देश नहीं है, क्योंकि हमारी उत्तरी सीमा और पश्चिमी सीमा लगातार चुनौतियों का सामना कर रही है।" उन्होंने थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी के साथ महू स्थित डॉ. बीआर अंबेडकर स्मारक पर पुष्पांजलि भी अर्पित की।

आंतरिक मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है- राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा, "हमें आंतरिक मोर्चे पर भी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। जमीनी हालात जिस तरह का है, उसको देखते हुए हम बेफिक्र होकर शांत नहीं बैठ सकते। हमारे दुश्मन, चाहे आंतरिक हों या बाहरी, हमेशा सक्रिय रहते हैं। इन परिस्थितियों में हमें उनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखनी चाहिए और उनके खिलाफ समय रहते उचित और प्रभावी कदम उठाने चाहिए।"

रक्षा मंत्री ने सैनिकों से कहा, "देश के रक्षा मंत्री के तौर पर मैं आपसे कहना चाहूंगा कि हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। इस समय को शांतिकाल भी कहा जाता है, लेकिन जब मैं यहां पहुंचा और देखा कि आप किस अनुशासन और समर्पण के साथ प्रशिक्षण ले रहे हैं, तो यह मेरे लिए बहुत बड़ा झटका था। आपकी व्यवस्था किसी युद्ध से कम नहीं है।"

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काम के प्रति आपकी लगन मुझे प्रभावित करती है- रक्षा मंत्री

रक्षा मंत्री ने कहा कि अनुशासन के इस स्तर को बनाए रखने के लिए समर्पण और दृढ़ विश्वास की आवश्यकता होती है। सिंह ने यह भी बताया कि वह देश भर में सैन्य प्रतिष्ठानों और छावनियों में साफ-सफाई से प्रभावित हैं।

राजनाथ सिंह ने आगे कहा, "काम के प्रति आपकी लगन मुझे प्रेरित करती है। मैं कह सकता हूं कि सबसे अच्छी बात है काम के प्रति आपकी लगन और जिम्मेदारी की भावना। यह हम सभी के लिए प्रेरणादायी है।"

इसके साथ ही रक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित और आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए सेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।