नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गुरुवार (15 अगस्त) को लगातार 11वीं बार लाल किले के प्राचीर से ध्वजारोहण किया। इस दौरान पीएम ने मौजूद विशाल जनसमूह को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यूनिफॉर्म सिविल कोड का भी जिक्र किया और कहा कि आज ये देश की जरूरत है। अहम बात ये रही कि पीएम मोदी ने युनिफॉर्म सिविल कोड को सेक्युलर सिविल कोड कहकर भी संबोधित किया। पीएम मोदी ने कहा कि देश में मौजूदा नागरिक संहिता एक कॉम्युनल सिविल कोड है। पीएम मोदी ने साथ ही 2047 तक भारत को ‘विकसित भारत’ बनाने के संकल्प को भी दोहराया।
सेक्युलर सिविल कोड देश की जरूरत
पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में समान नागरिक संहिता की जोरदार वकालत करते हुए कहा कि आज आधुनिक समाज में देश को विभाजित करने वाले कानूनों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे कानून को खत्म किया जाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि देश में मौजूदा नागरिक संहिता एक सांप्रदायिक सिविल कोड है।
पीएम मोदी ने कहा, ‘हमारे देश में सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर चर्चा की है। अनेक बार आदेश दिए हैं। क्योंकि देश का एक बहुत बड़ा वर्ग मानता है और उसमें सच्चाई भी है कि जिस सिविल कोड को लेकर हम जी रहे हैं, वो सिविल कोड सचमुच में तो कॉम्युनल सिविल कोड है। भेदभाव पैदा करने वाला सिविल कोड है। ऐसे सिविल कोड से…जब संविधान के 75 वर्ष मना रहे हैं और संविधान की भावना भी जो कहती है, हमें करने के लिए…देश की सुप्रीम कोर्ट भी कहती है हमें करने के लिए…और तब जो संविधान निर्माताओं का सपना था, उसे पूरा करना हम सभी का दायित्व है।
Prime Minister @narendramodi also pitched for implementation of a secular civil code in the country saying that the Supreme Court had time and again prescribed Uniform Civil Code.
He said that the country has a communal civil code and it needs a secular… pic.twitter.com/GYqvadgV9u
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 15, 2024
पीएम मोदी ने आगे कहा, ‘मैं मानता हूं कि इस गंभीर विषय पर चर्चा हो…व्यापक चर्चा हो। हर कोई अपनी राय लेकर आए और उन कानूनों को जो धर्म के आधार पर देश को बांटते हैं, ऊंच-नीच का कारण बन जाते हैं, उनका आधुनिक समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता है। इसलिए मैं तो कहूंगा कि अब समय की मांग है कि देश में एक सेक्यूलर सिविल कोड हो। कॉम्यूनल सिविल कोड में हमने 75 साल बिताए हैं। अब हमें सेक्युलर सिविल कोड की ओर जाना होगा। तभी जाकर देश में धर्म के आधार पर जो भेदभाव हो रहे हैं, उससे हमें मुक्ति मिलेगी।’
विकसित भारत का सपना
प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से ‘विकसित भारत 2047’ मिशन का भी उल्लेख किया। उन्होंने देशवासियों से कहा कि विकसित भारत 2047 केवल आशा के शब्द नहीं है, इसके पीछे कठोर परिश्रम चल रहा है। उन्होंने आम देशवासियों की भारत को विकसित देखने की इच्छा का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री ने कहा मुझे प्रसन्नता है कि देश के करोड़ों नागरिकों ने विकसित भारत 2047 के लिए अनगिनत सुझाव दिए। देशवासियों के सपने, संकल्प उसमें दिखते हैं। युवा, गरीब, आदिवासी, ग्रामीण, शहरी, किसान, कामगार, ने विकसित भारत के लिए अनमोल सुझाव दिए हैं। मैने जब इन सुझावों को देखा था मन प्रसन्न हो जाता था।
पीएम ने कहा, ‘कुछ लोगों ने भारत को दुनिया का स्किल कैपिटल बनाने का प्रस्ताव हमारे सामने रखा। कुछ लोगों ने मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल हब बनाने का प्रस्ताव रखा। कुछ लोगों ने भारत के हमारे विश्वविद्यालयों को ग्लोबल बनाया जाए इसका सुझाव दिया। कई लोगों ने ग्लोबल मीडिया के सुझाव दिए। कुछ लोगों ने जीवन की हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने का सुझाव दिया। कुछ लोगों ने मोटा अनाज जिसे श्री अन्न कहा जाता है, सुझाव दिया कि ऐसे सुपर फूड को दुनिया की हर डाइनिंग टेबल पर पहुंचाना है। इसके अलावा कई लोगों ने यह सुझाव दिए की देश में स्थानीय स्वराज संस्थाओं से लेकर अनेक इकाइयां हैं, उन सब में गवर्नेंस के रिफॉर्म की बहुत जरूरत है।’
(समाचार एजेंसी IANS इनपुट के साथ)