दिल्ली: साल 2020 में दिल्ली में हुए दंगा मामले में जेल में बंद उमर खालिद को एक बार फिर अदालत से झटका लगा है। दिल्ली की एक अदालत ने उमर खालिद की जमानत याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। दिल्ली दंगे की साजिश के आरोपों को लेकर उमर खालिद की गिरफ्तारी हुई थी। खालिद की जमानत याचिका की अर्जी दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में लगाई गई थी।
उमर खालिद ने मामले में देरी और अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ समानता के आधार पर नियमित जमानत की मांग की थी। यह खालिद की ओर दूसरी जमानत अर्जी थी। मार्च 2022 में भी ट्रायल कोर्ट ने उमर खालिद की जमानत याचिका खारिज की थी। अब कड़कड़डूमा कोर्ट के एडिशनल सेशन जज समीर बाजपेयी ने उमर खालिद की जमानत की याचिका पर फैसला सुनाते हुए इसे खारिज किया है।
सितंबर-2020 से जेल में बंद है उमर खालिद
उमर खालिद यूएपीए के तहत केस में सितंबर 2020 से हिरासत में हैं। खालिद पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत आपराधिक साजिश, दंगा, गैरकानूनी सभा और कई अन्य अपराधों का आरोप लगाया गया था। दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि उमर खालिद ने 2020 में 23 जगहों पर पूर्व नियोजित विरोध प्रदर्शन किया, जिसकी परिणति दंगों में हुई। इस साल फरवरी में सुप्रीम कोर्ट से अपनी जमानत याचिका वापस लेने के बाद, खालिद ने परिस्थितियों में बदलाव और अन्य आरोपियों के साथ समानता के आधार पर जमानत की मांग करते हुए ट्रायल कोर्ट का रुख किया था।
निचली अदालत ने सबसे पहले मार्च 2022 में खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद खालिद ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। अक्टूबर 2022 में वहां से भी राहत नहीं मिली, जिसके बाद उमर खालिद ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपील दायर की थी। मई 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था। इसके बाद से सुप्रीम कोर्ट 14 बार खालिद की याचिका को स्थगित कर चुका था। बाद में 14 फरवरी को खालिद ने अपनी जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली थी।
कोर्ट में जमानत पर बहस, किसने क्या कहा?
मामले में उमर खालिद का बचाव कर रहे वरिष्ठ वकील त्रिदीप पेस ने दिल्ली पुलिस की दलीलों पर सवाल उठाते हुए पूछा, ‘क्या मैसेज शेयर करना एक आपराधिक या आतंकी कृत्य है?’ उन्होंने विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) की पहले की दलीलों का जवाब देते हुए यह बातें कही। एसपीपी ने दावा किया था कि खालिद राजनीति में सक्रिय लोगों और सोशल मीडिया पर अन्य लोगों के साथ कुछ लिंक साझा करके एक साजिश के तहत अपने नैरेटिव को बढ़ा रहा था।
पेस ने तर्क दिया कि खालिद ‘सही नैरेटिव’ साझा कर रहे थे। उन्होंने कई समाचार एंकरों के बयानों का जिक्र करते हुए यह भी दावा किया कि खालिद के खिलाफ एक ‘शातिर मीडिया ट्रायल’ हो रहा था, जो हर समय आरोपपत्र को पढ़ रहे थे। पेस ने तर्क दिया कि खालिद के खिलाफ कोई आतंकी मामला नहीं बनता है और पुलिस के पास इस संबंध में कोई सामग्री नहीं है। उन्होंने अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयानों में विरोधाभास की भी बात कही।
खालिद के वकील ने यह भी कहा कि अन्य आरोपी व्यक्तियों जैसे नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और आसिफ इकबाल तान्हा, जिनकी खालिद के जैसी ही भूमिका थी, उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा जमानत दे दी गई। बता दें कि दिल्ली में फरवरी 2020 में हुए दंगों की साजिश रचने के आरोप में उमर खालिद, शरजील इमाम समेत कईयों के खिलाफ यूएपीए और अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। शरजील इमाम भी अभी जेल में है।